Diwali 2018: दीपावली के एक दिन पहले मनाई जाती है नरक चतुर्दशी, सूर्योदय के वक्त जरूरी है स्नान
लखनऊ। आज नरक चतुदर्शी है, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को सूर्योदय के समय स्नान अवश्य करना चाहिए। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन प्रातः काल स्नान करता है, उसे यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है। अपामार्ग, लौकी और जायफल इनको स्नान के समय मस्तक पर घुमाना चाहिए। इससे नरक के भय का नाश होता है। उस समय इस प्रकार की प्रार्थना करें- हे अपामार्ग, मैं हराई के टेले, काॅटे और पत्तों के सहित तुम्हें बार-2 मस्तक पर घुमा रहा हॅू। मेरे द्वारा जाने-अनजाने में किये गये पापों को नष्ट करें। तत्पश्चात यमराज के नामों का तीन-2 बार उच्चारण करके तर्पण करें। यहाॅ तक कि जिसका पिता जीवित हो उसको भी यह तर्पण करना चाहिए।
यमराज के नाम निम्न प्रकार से है-
- यमाय नमः।।
- धर्मराजाय नमः।।
- मृत्यवे नमः।।
- अन्तकाय नमः।।
- वैवस्वताय नमः।। कालाय नमःं।।
- सर्वभूतक्षाय नमः।।
- औदुम्बराय नमः।।
- दध्नाय नमः।।
- नीलाय नमः।।
- परमेष्ठिने नमः।।
- वृकोदराय नमः।।
- चित्राय नमः।।
- चित्रगुप्ताय नमः।।
देवताओं का पूजन कर दीपदान करना चाहिए। ब्रहमा, विष्णु और महेश आदि के मन्दिरों में गुप्त गृहों, रसोईघर, स्नानघर, देववृक्षों के नीचे, सभा भवन में, नदियों केे किनारे, चहारदीवारी पर, बगीचे में, गली-कूची में एंव गौशाला में भी दीप जलाना चाहिए। जो मनुष्य इस तिथि में अरूणोदय के पश्चात स्नान करता है, उसके वर्ष भर के शुभ कार्यो का नाश हो जाता है। दीपदान विधि त्रयोदशी से अमावस्या तक करना चाहिए।
प्रसंग
वामन भगवान ने क्रमशः इन्हीं तीन दिनों में राजा बलि को पृथ्वी को नापने के पश्चात बलि से वरदान माॅगने को कहा था। उस समय बलि ने प्रार्थना की थी। 'महराज' मुझको तो किसी वर की आकांक्षा नहीं, किन्तु लोककल्याण के निमित्त एक वरदान मांगता हूं अर्थात कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या। इन तीन दिनों में आपने मेरा राज्य नापा है। अतः जो भी मनुष्य मेरे राज्य में चुतर्दशी के दिन यमराज के हेतु दीपदान करें। उसके घर में मां लक्ष्मी का वास सदा बना रहें। राजा बलि प्रार्थना सुनकर भगवान ने कहा- '' एवमस्तु '' जो मनुष्य इन तीन दिनों में दीपोत्सव और महोत्सव करेगा, उसको छोड़कर मेरी प्रिया लक्ष्मी नहीं जायेंगी।