जानिए मौलश्री वृक्ष का गुण और उसके आयुर्वेदिक उपयोग
लखनऊ। मौलश्री एक सुपरिचित वृक्ष है. इसे संस्कृत में केसव, हिन्दी में मोलसरी या बकुल, बंगाली में गांछ, गुजराती में बोलसरी, पंजाबी में मोलसरी, तमिल में अलांगु केसारम तथा लेटिन में माईमोसाप्स, इलेजाई कहते है। मौलश्री एक औषधीय वृक्ष है, इसका सदियों से आयुर्वेद में उपयोग होता आ रहा है। इसके चमकीले हरे पत्ते वृक्ष की सुन्दर बनावट मन को मोह लेती है।
चालिए जानते है इसके क्या-क्या लाभ है...
वास्तु दोष निवारण हेतु
यदि आपके घर में वास्तु दोष का प्रभाव है तो मोलश्री का वृक्ष घर की सीमा के अन्दर लगाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है। घर में इस वृक्ष को पश्चिम, नैऋत्य कोण में लगायें या फिर पूर्व या उत्तर दिशा में लगाना अधिक लाभप्रद होता है।
मंगल दोष के लिए
अगर लड़का या लड़की कोई भी माॅगलिक हो तो घबराने की जरूरत नहीं। आप नित्य मोलश्री की जड़ में जल चढ़ाने से मंगल दोष का शमन हो जाता है। अश्विनी व अनुराधा नक्षत्र में जन्में व्यक्तियों को मोलश्री का स्पर्श करना लाभकारी प्रतीत होता है। मंगल के कुप्रभाव से बचने के लिए स्नान के जल में बिल्व छाल, रक्त चन्दन, धमनी, रक्तपुष्प, सिंगरक मालकांगनी एवं मोलश्री के पुष्प व पत्ते मिलाकर मंगलवार को स्नान करना चाहिए।
सिर दर्द से परेशान है तो...
- आंव-दस्त दूर करने के लिए-इसके बीजों के तेल की दो बूंद बताशे में डालकर सेंवन करने से शीघ्र ही रोग दूर हो जाता है।
- शिरोपीड़ा-अगर आप आये दिन सिर दर्द से परेशान है तो मोलश्री के अर्क को सिर पर लगाने से आराम होता है।
- दंत दर्द निवारण-मोलश्री की छाल के काढ़े में पीपल, शहद और घी मिलाकर कुछ देर तक मुख में रखने से दाॅतो का दर्द समाप्त हो जाता है। छाल के काढ़े में में कुल्ला करने से हिलते हुये दाॅत जम जाते हैं।
- फोड़े-फुंसी, घाव आदि पर-किसी भी घाव को सुखाने के लिए अथवा फोड़े-फुसिंयों के उपचारार्थ हेतु मोलश्री के फल, फूल एवं छाल को सुखाकर, उनके चूर्ण को घी में मिलाकर रोग वाले स्थान पर लगाने से घाव, फोड़े-फुंसी आदि सब ठीक हो जाते है।
घाव को सुखाने के लिए प्रयोग होता है
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