5 अक्टूबर को मनाई जाएगी महर्षि वाल्मीकि की जयंती
वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का पहला महाकवि कहा जाता है। उन्होंने ही संस्कृत में पहले महाकाव्य की रचना की थी जिसे दुनिया वाल्मीकि रामायण से जानती है।
नई दिल्ली। वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का पहला महाकवि कहा जाता है। उन्होंने ही संस्कृत में पहले महाकाव्य की रचना की थी जिसे दुनिया वाल्मीकि रामायण से जानती है।
वाल्मीकि को महर्षि वाल्मीकि कहा जाता है और ये आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना करने के कारण वाल्मीकि आदिकवि कहलाये। महर्षि वाल्मीकि को भगवान श्री राम के समकालीन माना जाता है।
उनके जन्म का सही समय किसी को नहीं मालूम और आधुनिक इतिहासकारों के बीच ये चर्चा का विषय रहा है। वाल्मीकि का उल्लेख सतयुग, त्रेता और द्वापर, तीनों कालों में मिलता है। हालांकि उनका जन्मदिन जयंती के रूप में हिंदु चंद्र कैलेंडर के अनुसार अश्विन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो इस बार 5 अक्टूबर को पड़ रही है।
रामायण के अनुसार, श्री राम ने वनवास के दौरान वाल्मीकि से मुलाकात की और उनके साथ बातचीत की। बाद में, जब भगवान राम ने देवी सीता को महल से निकाल दिया था तब वाल्मीकि ने उन्हें अपने आश्रम में आश्रय दिया था। देवी ने इसी आश्रम में अपने जुड़वा पुत्र, लव और कुश को जन्म दिया था। वाल्मीकि दोनों बच्चों को रामायण पढ़ाया करते थे।
महर्षि वाल्मीकि अपने शुरुआती जीवन में रत्नाकर नामक एक डाकू हुआ करते थे, जो लोगों को मारने के बाद उन्हें लूटा करते थे। यह माना जाता है कि ऋषि नारद मुनी ने रत्नाकर को भगवान राम के महान भक्त में बदल दिया था। नारद मुनी की सलाह पर, रत्नाकर ने राम नामा के महान मंत्र को पढ़ कर बहुत तपस्या की। उन्होंने इतनी तपस्या की कि चीटियों ने उनपर अपना घर तक बना लिया था। ध्यान के वर्षों के बाद उन्हें उनकी तपस्या का फल मिला और उनके नाम के साथ वाल्मिकी जो जुड़ गया।