Bhairav Ashtami 2017: आज काल भैरव की पूजा करने से मिलेगी पापों से मुक्ति, राहु को ऐसे करें शांत
साल का सबसे खास संयोग पुष्य नक्षत्र में भैरव की पूजा आज यानी 10 नवंबर के दिन की जाएगी। आज भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखकर शुक्ल योग में भैरव पूजन करने से राहु को शांत किया जा सकता है। भैरव के बारे में कहा जाता है कि इनसे काल भी सहम जाता है, इसलिए इन्हें कई जगह काल भैरव का नाम दिया गया है।
नई दिल्ली। साल का सबसे खास संयोग पुष्य नक्षत्र में भैरव की पूजा आज यानी 10 नवंबर के दिन की जाएगी। आज भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखकर शुक्ल योग में भैरव पूजन करने से राहु को शांत किया जा सकता है। शिव पुराण की शतरूद्र संहिता में शिव के भैरव रूप में अवतार लेने की बात बताई गई है। भैरव के बारे में कहा जाता है कि इनसे काल भी सहम जाता है, इसलिए इन्हें कई जगह काल भैरव का नाम दिया गया है। सुबह उठकर सबसे पहले क्या करना चाहिए, क्या कहता है धर्म?
मध्याह्न व्यापिनी अष्टमी तिथि शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 50 मिनट से शनिवार दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक लगेगी। भैरव अष्टमी के दिन व्रत रखकर पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सुख-शांति-समृद्धि का वास होता है। दिन में पूजा के वक्त 'ऊं भैरवाय नम:' का जाप करने और चालीसा का पाठ करने से सभी मुश्किलों का खात्मा होता है।
इस दिन काल भैरव के दर्शन करने से दिल से भूतों का डर भी चला जाता है। काल भैरव की सच्चे मन से पूजा करने से पापों से भी मुक्ति मिलती है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए कुत्तों को मीठा भोजन कराएं। उनके मंदिर में मूर्ति पर तेल और सिंदूर चढ़ाएं और भैरव मंत्र का जाप करें। क्योंकि भैरव को शिव का ही अंश कहा जाता है तो इन्हें बेलपत्र भी चढ़ाना चाहिए। 21 बेलपत्रों पर 'ऊं नम: शिवाय' लिखकर चढ़ाएं।
पूजा के लिए सुबह 07:25 बजे से 10:20 बजे, दोपहर 12:00 बजे से 01:30 बजे, रात को 08:50 से 10:25 बजे और अर्द्धरात्रि 12:00 बजे से 03:08 बजे तक पूजा करेंगे तो सभी कष्टों का निवारण होगा।