जानिए जगन्नाथपुरी से जुड़ी कुछ खास बातें, जहां के खजाने की खोई है चाभी........
नई दिल्ली। विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी धाम में इस वक्त हंगामा मचा हुआ है क्योंकि यहां के खजाने की चाभी गायब हो गई है, जिसे लेकर पुरी के शंकराचार्य और बीजेपी ने कड़ा विरोध जताया है, जहां मदिर प्रबंधन इस बात के लिए सरकार से सवाल कर रहा है वहीं दूसरी ओर विपक्ष के दल इस मुद्दे पर सीएम नवीन पटनायक से जवाब मांग रहे हैं, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य रामचंद्र दास महापात्रा ने कहा कि ओडिशा हाईकोर्ट के आर्डर के बाद यहां एक जांच टीम 4 अप्रैल को आई थी, उसके बाद से ही खजाने की चाभी लापता है, फिलहाल चाभी मिलती है या नहीं, ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन चलिए इससे पहले जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ बेहद खास बातें...
चार धाम में से एक जगन्नाथ धाम पुरी
श्री जगन्नाथ मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है।
भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा....
इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है। ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण इन रथों को खींचते हैं।
'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज'
रथयात्रा
में
सबसे
आगे
बलरामजी
का
रथ,
उसके
बाद
बीच
में
देवी
सुभद्रा
का
रथ
और
सबसे
पीछे
भगवान
जगन्नाथ
श्रीकृष्ण
का
रथ
होता
है,इसे
उनके
रंग
और
ऊंचाई
से
पहचाना
जाता
है।बलरामजी
के
रथ
को
'तालध्वज'
कहते
हैं,
जिसका
रंग
लाल
और
हरा
होता
है।
देवी
सुभद्रा
के
रथ
को
'दर्पदलन'
या
‘पद्म
रथ'
कहा
जाता
है,
जो
काले
या
नीले
और
लाल
रंग
का
होता
है,
जबकि
भगवान
जगन्नाथ
के
रथ
को
'नंदीघोष'
या
'गरुड़ध्वज'
कहते
हैं।
इसका
रंग
लाल
और
पीला
होता
है।
मंदिर की कुल संपत्ति 250 करोड़ रुपये
रथों का निर्माण रथयात्रा के लिए जिन रथों का निर्माण किया जाता है उनमें किसी तरह की धातु का इस्तेमाल भी नहीं होता,ये सभी रथ नीम की पवित्र और लकड़ियों से बनाये जाते है, जिसे ‘दारु' कहते हैं। इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है, जिसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है।आषढ़ माह के दसवें दिन सभी रथ पुन: मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की इस यात्रा की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहते हैं। इस मंदिर की कुल संपत्ति 250 करोड़ रुपये है।
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