Lord Shiva: चाहते हैं हर पाप से मुक्ति तो जरूर कीजिए सोमवार को भोलेनाथ की पूजा...
नई दिल्ली। सोमवार, भगवान भोलेनाथ का दिन है, इस दिन भगवान की पूजा करने से जातक के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आज के दिन अगर शिवभक्त अपने शिव की भांग, धतूरा और शहद से पूजा करें, तो उन्हें शक्ति और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है और उनकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी। शिवपुराण और शिव चालीसा का पाठ करना भी श्रेयस्कर होता है। कुछ लोग आज उपवास भी रखते हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि व्रत करना शुभ फलदायी होता है। इंसान के मार्ग की सारी रूकावटें दूर हो जाती हैं।शिव की पूजा अगर आप आज बिल्व पत्र से करें, आपको शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यही नहीं सोमवार का पूजन करने से आपको आर्थिक लाभ भी होगा और आपका क्रोध भी शांत होगा। शिवलिंग को गंगाजल या दूध से नहलाइये, इससे जातक पर आने वाले सारे पाप भी धूल जाते हैं।
कौन है शिव
शिव त्रिदेवों में एक देव हैं, इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव का नाम भी दिया गया है। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धाङ्गिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं।
शिव योगी के रूप में देखे जाते हैं
शिव योगी के रूप में देखे जाते हैं, उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है।
संहार का देवता
भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति और रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं।
आदिस्रोत
शिव अनादि और सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय और प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं।
पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण
शिव अपने इस स्वरूप द्वारा पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं। परमात्मा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है क्योंकि पूर्ण सृष्टि का आधार इसी स्वरूप पर टिका हुआ है।
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