क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

द्रौपदी के पांचों पुत्रों को मिला था कौन सा श्राप?

By पं.गजेंद्र शर्मा
Google Oneindia News

नई दिल्ली।महाभारत काल यानि इतनी सारी घटनाओं का मेला कि सुनते जाएं, पर कहानियां खत्म नहीं होती। इस काल में हर पात्र की अपनी कहानियां हैं और वह भी इतनी कि हर एक पर एक महाकाव्य लिखा जा सके। महाभारत के ऐसे ही मुख्य प्रभावी पात्रों में शामिल है द्रौपदी, जिसे महाभारत के युद्ध का कारण भी माना जाता है।

युधिष्ठिर का तप परखने के लिए धर्मराज को बनना पड़ा श्वानयुधिष्ठिर का तप परखने के लिए धर्मराज को बनना पड़ा श्वान

महाभारत में द्रौपदी से जुड़ी इतनी कहानियां है कि हर पल एक नया रहस्य सामने आता है। आज हम इन्हीं द्रौपदी के पांच पुत्रों की चर्चा कर रहे हैं, जो पांचों पांडवों से जन्मे थे और ये सभी महाभारत के युद्ध में मारे गए थे। क्या उप-पांडवों की यह मौत स्वाभाविक थी?

आइए, जानते हैं-

ऋषि विश्वामित्र का ध्यान भंग

ऋषि विश्वामित्र का ध्यान भंग

वास्तव में द्रौपदी के पांचों पुत्रों के जन्म से लेकर मृत्यु तक की कथा एक युग पूर्व ही लिखी जा चुकी थी। यह त्रेतायुग का समय था और इस समय सूर्य वंश के महाप्रतापी, महादानी, लोकप्रिय राजा हरिश्चंद्र का शासन था। राजा हरिश्चंद्र अपनी बात के पक्के माने जाते थे। एक समय शिकार खेलते समय उनके द्वारा अनजाने में ऋषि विश्वामित्र का ध्यान भंग हो गया।

कहानी का सुखद अंत

कहानी का सुखद अंत

राजा ने ऋषि को क्रोध त्यागने के लिए बहुत मनाया और उनके मांगने पर अपना राज्य ही उन्हें दे दिया। इसके बाद ऋषि दक्षिणा पर अड़ गए और लंबे तथा दिल दहलाने वाले घटनाक्रम के बाद यह स्पष्ट हुआ कि देवता और ऋषि मिलकर राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा ले रहे थे। इस तरह राजा को उनका राज्य वापस मिल गया और कहानी का सुखद अंत हुआ।

ऋषि विश्वामित्र को बुरा-भला कहने लगे

ऋषि विश्वामित्र को बुरा-भला कहने लगे

इसी कहानी के बीच में एक वर्णन आता है कि जब ऋषि हर तरह से राजा को प्रताडि़त कर रहे थे, तब प्रजा तो उनसे नाराज थी ही, देवता भी इस अत्याचार को सहन नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में जब एक बार ऋषि विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र को मारने के लिए छड़ी उठा ली थी, तब पांच विश्व देव उनका यह अपमान सहन ना कर सके। वे साक्षात् प्रकट होकर ऋषि विश्वामित्र को बुरा-भला कहने लगे।

श्राप दिया

श्राप दिया

ऋषि विश्वामित्र स्वभाव से ही प्रचंड थे और उस समय तो वह देवताओं की इच्छा से राजा की परीक्षा ले रहे थे। वे विश्व देवों का उलाहना सहन ना कर सके और अपने कमंडल से जल लेकर उन पर फेंकते हुए श्राप दिया कि तुम सब मनुष्य रूप में जन्म लोगे और मनुष्य होकर ही तुम जानोगे कि मैं क्या कर रहा हूं और क्यों कर रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि तुम सब केवल एक जीवन मनुष्य के रूप में काटोगे, उसके बाद वापस अपने विश्व देव रूप में आ जाओगे, पर मनुष्य होकर भी तुम्हें ना तो विवाह का सुख मिलेगा और ना ही संतान का।

संतान सुख नहीं मिला

संतान सुख नहीं मिला

कहा जाता है कि ऋषि के श्राप के फलस्वरूप ही द्वापर युग में पांचों विश्व देवों ने द्रौपदी के गर्भ से जन्म लिया। श्राप के कारण ही उन्हें लंबी आयु नहीं मिली और इतने शक्तिशाली पांच पिता और श्री कृष्ण जैसे महानायक का साथ मिलने के बावजूद वे सभी महाभारत युद्ध में मारे गए। युद्ध में अश्वत्थामा ने इन सबकी हत्या कर दी, बाद में ये सभी वापस देवलोक चले गए। ऋषि के श्राप के अनुसार ही इन पांचों को विवाह या संतान सुख नहीं मिला।

Comments
English summary
Draupadi had five sons, one son each from the Pandava brothers. They were known as Upapandavas. Their names were Prativindhya, Sutasoma, Shrutakarma, Satanika, and Shrutasena.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X