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Diwali 2017: क्या है दिवाली और पटाखों का कनेक्शन?

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नई दिल्ली। भले ही लोग कहे कि दिवाली पर पटाखे ना फोड़ो, प्रदूषण ना फैलाओ लेकिन बिना पटाखों के दिवाली पूरी कहां होती है। बहुत कम ही घर ऐसे होंगे जहां दीपक के साथ फूलझड़ी ना जली हो लेकिन क्या आपको बता दें कि पटाखों का अविष्कार भारत में नहीं चीन में हुआ था वो भी दुर्घटनावश। कहा जाता है कि चीन के एक शहर में एक रसोइए ने गलती से साल्टपीटर (पोटैशियम नाईट्रेट) आग पर डाल दिया था, जिसके कारण आग के कलर में परिवर्तन हुआ जिससे लोगों के अंदर उत्सुकता पैदा हुई और उसके बाद उस रसोइए ने आग में कोयले और सल्फर का मिश्रण डाला,जिससे काफी तेज़ आवाज के साथ रंगीन लपटें उठने लगी, बस, यहीं से आतिशबाज़ी यानी पटाखों की शुरुआत हुई।

पटाखों की शुरूआत

पटाखों की शुरूआत

भारत के इतिहास पर नजर डाले तो पटाखों की शुरूआत कब, कहां से हुई ,इसका स्पष्ट प्रमाण तो नहीं मिलता है लेकिन मुगलकाल की किताबों में दिवाली का जिक्र है। कई जगहों पर लिखा है कि लोग अपने घरों को लैंप और मोमबत्ती से सजाकर दिवाली मनाते थे।

 औरंगजेब (1677)

औरंगजेब (1677)

हालांकि मुगल शासक औरंगजेब (1677) ने दिवाली को अपने शासनकाल में प्रतिबंधित किया था, ऐसा लोग कहते हैं लेकिन बहुत सारे इतिहासकार इस बात से इत्तफाक नहीं रखते हैं।

'पटाखों के शहर'

'पटाखों के शहर'

पटाखे की शुरूआत वैसे तो चीन में हुयी थी लेकिन भारत में भी एक ऐसा शहर है जिसे 'पटाखों के शहर' के नाम से जाना जाता है और वो शहर है शिवकाशी। ये शहर चेन्नई से 500 किमी की दूरी पर स्थित है।20वीं शताब्दी में शिवकाशी में पहली बार पटाखा कंपनी की शुरुआत हुयी थी।

 पी अय्या नादर

पी अय्या नादर

इस छोटे से शहर को पटाखों का शहर बनाने का क्रेडिट पी अय्या नादर और उनके भाई शनमुगा नादर को जाता है। इन्होंने ही अनिल ब्रांड के पटाखों का निर्माण किया था।1923 में ये दोनों भाई माचिस बनाने का तरीका सीखने के लिए कोलकाता गये थे। उसके बाद इन्होंने ये बिजनेस शुरू किया और दोनों ने अपनी पहली कंपनी खोली और आज एक छोटी सी कंपनी से पूरा शहर पटाखा हब बन गया।

 पटाखा उद्योग की राजधानी

पटाखा उद्योग की राजधानी

यह भारत के पटाखा उद्योग की राजधानी है जहाँ लगभग 8,000 बड़े और छोटे कारखाने हैं जिनमें कुल मिलाकर 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन होता है।यह शहर अपने शक्तिशाली छपाई उद्योग और माचिस-निर्माण उद्योगों के लिए भी जाना जाता है। जवाहरलाल नेहरू ने इसे "कुट्टी जापान" (अंग्रेजी में मिनी जापान) का नाम दिया था। इसके आसपास के शहर हैं ।

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Comments
English summary
As far as I know, firecrackers were not a part of Diwali before The Indian Explosives Act, 1940 which licensed manufacture of firecrackers. here is interesting facts about it
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