आज है भगवान चित्रगुप्त पूजा, जानिए कथा, पूजा मुहुर्त और पूजन विधि
नई दिल्लीः ज्योतिषियों के मुताबिक दिवाली के दो दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। मान्यताओं के मुताबिक भगवान चित्रगुप्त को हिंदुओं के प्रमुख देवताओं में माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान चित्रगुप्त मनुष्य के अच्छे और बुरे क्रमों का लेखा-जोखा रखते हैं।
भगवान चित्रगुप्त की पूजा को शुभ समय दोपहर 12 बजे के बाद शुरू होगा। पूजा में चित्रगुप्त चित्रगुप्त जी का फोटो स्थापित करके, पूजा पाठ करना चाहिए। अगर आपके पास उनका फोटो उपलब्ध न हो तो कलश को प्रतीक मान कर चित्रगुप्त जी को स्थापित करें। भगवान चित्रगुप्त को अदरक और गुड़ सबसे ज्यादा प्रिय था इसलिए प्रसाद के रूप में ये चढ़ाया जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि भीष्म पितामह ने भी भगवान चित्रगुप्त की पूजा की थी। उनकी पूजा से खुश होकर पितामह को अमर होने का वरदान दिया था। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से गरीबी और अशिक्षा दूर होती है।
श्री
चित्रगुप्त
जी
की
आरती
-
जय
चित्रगुप्त
यमेश
तव,
शरणागतम,
शरणागतम|
जय
पूज्य
पद
पद्मेश
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
जय
देव
देव
दयानिधे,
जय
दीनबंधु
कृपानिधे
|
कर्मेश
तव
धर्मेश
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
जय
चित्र
अवतारी
प्रभो,
जय
लेखनीधारी
विभो
|
जय
श्याम
तन
चित्रेश
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
पुरुषादि
भगवत्
अंश
जय,
कायस्थ
कुल
अवतंश
जय
|
जय
शक्ति
बुद्धि
विशेष
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
जय
विज्ञ
मंत्री
धर्म
के,
ज्ञाता
शुभाशुभ
कर्म
के
|
जय
शांतिमय
न्यायेश
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
तव
नाथ
नाम
प्रताप
से,
छूट
जाएँ
भय
त्रय
ताप
से
|
हों
दूर
सर्व
क्लेश
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
हों
दीन
अनुरागी
हरि,
चाहें
दया
दृष्टि
तेरी
|
कीजै
कृपा
करुणेश
तव
शरणागतम,
शरणागतम||
अंत
में
प्रणाम
करें
और
प्रसाद
का
वितरण
करें।
चित्रगुप्त
पूजन
मंत्र
मसीभाजन
संयुक्तश्चरसि
त्वम्
!
महीतले
.
लेखनी
कटिनीहस्त
चित्रगुप्त
नमोस्तुते
..
चित्रगुप्त
!
मस्तुभ्यं
लेखकाक्षरदायकं
.
कायस्थजातिमासाद्य
चित्रगुप्त
!
नामोअस्तुते
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