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आषाढ़ अमावस्या (23 June 2017): पितृकर्म के लिए श्रेष्ठ दिन

By पं.गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म ग्रंथों और खासकर ज्योतिष में अमावस्या का अत्यधिक महत्व बताया गया है। शास्त्रों में अमावस्या को पितरों का दिन कहा गया है। इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त किए गए दान-तर्पण, पितृकर्म आदि उन्हें सीधे प्राप्त होते हैं और अपने परिजनों को अच्छे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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वैसे तो प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि पितृकर्म के लिए श्रेष्ठ मानी गई है, किंतु हिंदू कैलेंडर का चौथा माह यानी आषाढ़ की अमावस्या का अलग महत्व है। यह वर्षाकाल के प्रारंभ का समय होता है और कहा जाता है पितृ इस अमावस्या के दिन अपने परिजनों से अन्न-जल ग्रहण करने आते हैं। इसलिए आषाढ़ी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों के तट पर बड़ी संख्या में पितृकर्म संपन्न किए जाते हैं। इसी कारण आषाढ़ अमावस्या को पितृकर्म अमावस्या भी कहते हैं।

आषाढ़ अमावस्या

आषाढ़ अमावस्या

इस साल आषाढ़ अमावस्या दो दिन 23 और 24 जून को है। जो जातक अमावस्या के दिन पितृकर्म, तर्पण आदि करना चाहते हैं उन्हें 23 जून शुक्रवार को पितृकर्म संपन्न करवाना चाहिए। इसका कारण यह है कि पितृकर्म दोपहर 12 बजे किए जाते हैं। 24 जून को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि तो रहेगी, लेकिन यह तिथि प्रातः 8 बजे ही समाप्त हो जाएगी और उसके बाद आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाएगी इसलिए 24 जून को पितृकर्म नहीं किए जा सकते। हां, 24 जून को शनि अमावस्या जरूर मनाई जाएगी। पितृकर्म 23 जून को ही संपन्न किए जाना शास्त्र सम्मत रहेगा क्योंकि 23 जून को प्रातः 11.49 बजे से अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी और दोपहर 12 बजे अमावस्या रहेगी। इसमें पितृकर्म आदि किए जा सकते हैं।

शनैश्चरी अमावस्या 24 जून को

शनैश्चरी अमावस्या 24 जून को

24 जून को शनिवार होने से अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए पवित्र नदियों में स्नान, दान आदि के लिए शनैश्चरी अमावस्या का दिन उत्तम है। जो लोग शनि की साढ़ेसाती या शनि के बुरे प्रभाव से पीडि़त हैं उनके लिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन शनिदोष निवारण पूजा, शनि अर्चन, शनि हवन आदि करने से शनि के कुप्रभाव कम होते हैं। वक्री शनि 21 जून से वृश्चिक राशि में भी पहुंचे हैं। शनि के इस परिवर्तन से प्रभावित जातकों के लिए भी शनैश्चरी अमावस्या विशेष है।

एक नजर में समझें तिथि प्रवेश

एक नजर में समझें तिथि प्रवेश

  • 23 जून 2017 शुक्रवार प्रातः 11.49 बजे अमावस्या तिथि प्रारंभ: पितृकर्म इस दिन करें।
  • 24 जून 2017 शनिवार प्रातः 8.00 बजे अमावस्या तिथि समाप्त: शनैश्चरी अमावस्या इस दिन करें।
  • क्या उपाय करें

    क्या उपाय करें

    शुक्रवार 23 जून को प्रातः 11.49 पर अमावस्या तिथि प्रारंभ होने के बाद पंडित से पितरों के निमित्त तर्पण, पितृकर्म संपन्न कराएं। इससे पितृदोष का निवारण होगा। पितरों से संबंधित परेशानी आ रही है तो उसका निवारण होगा। पितरों के निमित्त गरीबों को दान दें, भोजन कराएं।

    नदियों में स्नान करें

    नदियों में स्नान करें

    • शनिवार 24 जून शनैश्चरी अमावस्या के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान करें। इसके बाद या तो स्वयं या किसी पंडित से शनि हवन कराएं। शनि के जाप करें। शनि मंदिर में तिल का तेल, काले तिल, लौह, काले उड़द और काले वस्त्रों का दान करें। अपंग, नेत्रहीन लोगों खासकर बच्चों को भरपेट भोजन कराएं। इन कर्म से शनि से संबंधित दोषों का निवारण होगा।
    • शनिवार को हनुमान मंदिर में चमेली के तेल और सिंदूर से चोला चढ़ाएं। हनुमान जी को शुद्ध में बने बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

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English summary
The new moon day or the no moon day in the Hindu Calendar is known as Amavasya Aka Ashadha Amavasya (23 June 2017).
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