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घर में आई रानी बिटिया

By आलोक कुमार श्रीवास्‍तव
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Poetry on daughter
बड़े इंतज़ार के बाद, घर में आई रानी बिटिया।
घर रौनक से भर जाता, हंसती जब मुस्काती बिटिया।

पैरों में पायल, माथे बिंदी, छम छम करती चलती बिटिया,
पल भर में तोड़ खिलौने, घर घर खेला करती बिटिया।

पापा-मम्‍मी, दादा-दादी, नाना-नानी,
चाचा-चाली, मामा-मामी सबकी एक चहेती बिटिया।
कभी इंजिनियर, कभी डॉक्टर, कभी पायलेट, कभी एक्टर,
खले खेल में जाने कितने, सपने दिखा देती है बिटिया।

जाने कब वक़्त निकल जाता है, पढ़ने जाने लगती है बिटिया,
राजकुमार के सपने दिल में, चुपके-चुपके बुनने लगती है,
पिता की सोच बढ़ जाती है, घर में है एक, सायानी बिटिया।

अपने से अच्छा घर ढूंढेंगे, सौ में एक अनोखा वर ढूंढेंगे,
देखने वाले घर आतें हैं तो, डर, सहम जाती है बिटिया!
नहीं पसंद आने का डर, मांग बड़ी होने का डर,
पिता की इज्ज़त अरमानों को, दिल में संजोये रखती बिटिया।

पराये घर को अपना करने, विदा को चलती है बिटिया
सूना-सूना घर रह जाता है, यादों में रह जाती है बिटिया
वक्‍त के साथ बदलता पहलु, पिताजी नाना बनते हैं
वही चहल-पहल फिरसे आती, जब बिटिया संग आती है बिटिया।

आलोक कुमार श्रीवास्‍तव के लेख एवं कविताएं।

आप भी लिख भेजिये कवितायें या लेख - [email protected] पर।

Comments
English summary
Bangalore techie Alok Kumar Srivastava presents a poetry in Hindi, which show love and affection with daughter.
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