अनार की खेती से 90 लाख कमा रहा ये दिव्यांग, दूर-दूर के लोग सीख रहे इनसे, पद्मश्री समेत ढेरों पुरस्कार जीते
गांधीनगर। जिन्हें खेतीबाड़ी करना आता है, उन्हें भूमि के सोना उगलने की कहावत सच लगती है। गुजरात में कई किसान ये साबित करते हैं कि वे मेहनत करके सोने से कम नहीं पा रहे। उनकी फसलों से लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की कमाई होती है। बनासकांठा जिले में एक विकलांग किसान गेनाभाई दरगाभाई पटेल अनारों की खेती करते हैं। उन्हें सालभर में अनारों की ही पैदावार से 90 लाख रुपए तक की कमाई हुई है। इतना ही नहीं, गेनाभाई की देखा-देखी उन्हीं के गांव के करीब 150 किसान 1500 बीघा जमीन में अनार-बागबानी करने लगे हैं।
7 सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार आ चुके हैं इस विकलांग की झोली में
गेनाभाई दरगाभाई पटेल बनासकांठा के लाखणी के सरकारी गोरिया गांव के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 53 वर्ष है। उन्होंने एसएससी तक पढाई की। वह 15 साल से खेती-बाड़ी में सक्रिय हैं और 9 सालों से अनार की खेती कर रहे हैं। 2009 में उन्हें अनार की खेती के लिये ही सर्वश्रेष्ठ किसान का पहला पुरस्कार मिला था। 2012 में उनको राज्य के सर्वश्रेष्ठ आत्मा किसान पुरस्कार से नवाजा गया। अब तक उनकी झोली में 7 सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार आ चुके हैं।
बनासकांठा ने बनाए रिकॉर्ड
संवाददाता के अनुसार, आज बनासकांठा अनार का निर्यात श्रीलंका, मलेशिया, दुबई और यूएई जैसे देशों में किया जाता है। जिसमें गेनाभाई का भी बड़ा योगदान रहा है। पिछले 12 वर्षों में लगभग 35 हजार हेक्टेयर में तीन करोड़ से अधिक अनार के पौधों की खेती की गई। इतना ही नहीं, बनासकांठा जिला आज धान की फसल के लिहाज से भी सूबे में सबसे आगे है। बागवानी में भी यह अव्वल बन रहा है। अनार की फसल ने बनासकांठा जिले के किसानों के जीवन में सुधार किया है और साथ ही साथ ड्रिप सिंचाई में नाम कमाया है।
पहलीबार में 6,000 पौधे लगाए
यह देखते हुए महाराष्ट्र के नासिक जिले के किसान अनार की फसल देखने के लिए बनासकांठा जिले का रूख कर रहे हैं। लखानी तालुका में सरकार गोलिया गाँव को आज पूरे राज्य में पद्दम गाँव के रूप में सराहा जाता है, जिसका श्रेय लोग गेनाभाई को देते हैं। गेनाभाई कहते हैं कि मैंने सर्वप्रथम 2004 में अनार की खेती करने के बारे में सोचा था। अपनी महाराष्ट्र की यात्रा के दौरान मैंने अनार की खेती करने का निर्णय लिया। ज़मीन विरासत में मिली थी। किंतु, उन्हें थोड़ी हिचकिचाहट थी क्योंकि वह बचपन से ही विकलांग थे, उन्होंने अपनी दृढ़ता से खेती करने का फैसला किया और महाराष्ट्र से 15 रुपये के एक जैसे 6,000 पौधे लाए। जिसमें उन्होंने शुरुआत में डेढ़ लाख रुपए खर्च किया था।
एक साल के बाद पांच हेक्टेयर में अनार की खेती की
अनार बोने के बाद गेनाभाई दरगाभाई पटेल ने एक साल के बाद पांच हेक्टेयर में अनार के पौधों को ड्रीप इरीगेशन के जरिए सींचा। उस समय प्रौद्योगिकियों के बारे में राज्य के किसान जानते नहीं थे। आज गेनाभाई पटेल अपनी फसल से पहले 90 लाख कमा रहे हैं।
राजस्थान सरकार ने भी पुरस्कार दिए
राजस्थान सरकार ने पुरस्कार के साथ लाखों रूपयों की नकद राशि गेनाभाइ पटेल को दी है। गणाभाई मूल राजस्थान निवासी हैं और उनका परिवार राजस्थान में रहता है। उनके परिवार के सदस्यों ने भी गुजरात में अनार की खेती देखी है और वह भी राजस्थान में अनार की खेती कर रहे हैं। गेनाभाइ ने राजस्थान के बाड़मेर और झालोर जिले के किसानों को 250 हेक्टेयर में अनार की खेती करने में मदद की। जिसके तहत राजस्थान सरकार ने पुरस्कार दिया है।
किसान की आय-आउट बैलेंस शीट
गेनाभाई को 2010 में अनार के खेत में 9 टन उत्पादन मिला। अनार, जो 161 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचा गया और उन्होंने 14.49 लाख रुपये की आय अर्जित की। जिसमें किसान को प्रति हेक्टेयर 1.20 लाख रुपये की लागत आई थी और किसान की शुद्ध आय 13.29 लाख रुपये थी। यानी किसान ने 2010 में अनार से पांच हेक्टेयर में 66.45 लाख रुपये कमाए। इसी तरह 2011 में गेनाभाई पटेल को प्रति हेक्टेयर 12 टन उत्पादन प्राप्त हुआ। वह फसल से गेनाभाई ने 37 लाख रुपये की आय प्राप्त की। 2012 में अनार का उत्पादन बढकर 26 टन हो गया था। इसका मतलब यह हुआ कि, प्रति हेक्टेयर 15.16 लाख रूपये कमाने वाला किसान अब 75.80 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमा रहा है।
यूं बढ़ती गई आय
2012 में उनकी आय में 26 टन की वृद्धि हुई, लेकिन इस वर्ष केवल 66 रुपये प्रति किलोग्राम उपज, किसान को 17.16 लाख प्रति हेक्टेयर के मुकाबले 2.0 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इसका मतलब है कि प्रति हेक्टेयर 15.16 लाख रुपये कमाने वाले किसान ने 75.80 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। 2018 में गेनाभाई की आय बढ़कर करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।
फिर एक दिन पद्मश्री पुरस्कार मिला
गेनाभाई पटेल को भारत सरकार ने पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा है। पद्मश्री मिलने पर ज्ञानभाई पटेल ने कहा कि, मुझे दिल्ली से फोन आया। जैसे ही मैंने फोन उठाया, मुझे बताया गया कि आपको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सुनकर मैं चौंक गया। दो मिनट रुककर मैंने अपने भाई से बात की कि हमें पद्मश्री मिला है।
''अवॉर्ड लेते समय मेरी खुशियों का ठिकाना नहीं था''
मैं दोनों पैरों से विकलांग हूं औऱ अवॉर्ड लेने दिल्ही गया था। अवॉर्ड लेते समय मेरी खुशियों का ठिकाना नहीं था। गुजरात के प्रगतिशील किसान के रूप में, गेनाभाई को अब तक 7 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें से 4 राष्ट्रीय पुरस्कार हैं। वहीं, अशोक गहलोत द्वारा राजस्थान में अनार की खेती फैलाने के लिए 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया है।
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