Bihar Heatwave : भीषण गर्मी की चपेट में 'फलों का राजा', 50 साल में सबसे कम आम उत्पादन
पटना, 22 मई : बिहार में भीषण गर्मी की मार किसानों पर पड़ रही है। लू की वजह से आम की फसल को भारी नुकसान हुआ है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर के वैज्ञानिक का मानना है कि पिछले 50 वर्षों में बिहार में आम का उत्पादन इतना कम पहले कभी नहीं हुआ था। बिहार के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बार की भीषण गर्मी के कारण 65-70 फीसदी आम की फसलों को नुकसान पहुंचा है।

आम की फसल खराब
भागलपुर जिले से सबौर ब्लॉक में स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस साल मार्च में आम के पेड़ों पर मंजर लगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक आम के पेड़ पर फूल आने के बाद भीषण गर्मी शुरू हो गई है। आम की फसल खराब हो रही है। बिहार में प्रचंड गर्मी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में प्री-मानसून की खराब बारिश हुई। इसके बाद तापमान बढ़ा और इन चुनौतियों के बीच आम के आकार नहीं बढ़े। कई पेड़ों से आम बड़ी मात्रा में झड़ गए।

कीड़ों के अटैक से मुसीबत
किसानों की मुसीबत कीड़ों (red-banded mango caterpillars) के कारण भी बढ़ रही है। कीड़ों के अटैक के कारण शुरुआती चरण में आम के फल प्रभावित हो रहे हैं। फसलों को नुकसान हो रहा है। ऐसे कीड़ों के अटैक के कारण आम समय से पहले पेड़े से गिर जाते हैं।

भागलपुर के जर्दालु आम को जीआई टैग
बता दें कि बिहार के आम कई वेराइटी में मिलते हैं। विस्तृत विविधता के लिए मशहूर बिहार के आमों में दीघा मालदा, जरदालु, गुलाब खास और आम्रपाली अधिक पॉपुलर हैं। 2017 में जरदालु आम को जीआई (ज्योगरॉफिकल आइडेंटिफिकेशन) टैग दिया गया था। 28 नवंबर, 2017 को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन जर्नल में भागलपुर के जर्दालु आम को भागलपुर का अद्वितीय उत्पाद माना गया। मान्यताओं और लोकश्रुति के मुताबिक जर्दालु आम भागलपुर में सबसे पहले अली खान बहादुर ने रोपा था। विशेष सुगन्ध वाला यह आम हल्के पीले रंग का होता है।

बिहार में आम उत्पादन
बता दें कि भारत के आम उत्पादक राज्यों की सूची में बिहार चौथे स्थान पर है। देश में कुल आम उत्पादन का 8% से अधिक बिहार में होता है। APEDA (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण), के मुताबिक आम उत्पादकों की सूची में टॉप पर उत्तर प्रदेश है। इसके बाद आंध्र प्रदेश और कर्नाटक का नंबर आता है। सामान्य मौसम रहने पर बिहार में 15 लाख टन से अधिक आम उत्पादन होता है। राज्य में आम के बाग 1.58 लाख हेक्टेयर से 1.6 लाख जमीन पर लगाए गए हैं।

जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर के एसोसिएट डायरेक्टर मोहम्मद फेजा अहमद ने बताया कि इस साल भी आम की खेती उतनी ही जमीन पर हुआ, जितने पर हर साल आम उत्पादन होता है। बिहार में रकबा (जमीन का क्षेत्रफल) वही रहने के बावजूद आम उत्पादन में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा, 65 फीसदी से ज्यादा आम की फसल को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, ऐसा पहली बार हुआ है जब आम के किसानों पर जलवायु परिवर्तन का इतना व्यापक असर हुआ है।

किसानों की स्थिति चिंताजनक
मोहम्मद फेजा अहमद ने कहा, पिछले 50 वर्षों में बिहार में आम का उत्पादन इतना कम पहले कभी नहीं हुआ। इन्हीं महीनों में आम के किसान पैसा कमाते हैं। इसी से उनके पूरे वर्ष का खर्च चलता है। ऐसे में इस बार आम के किसानों की स्थिति चिंताजनक है। बकौल मोहम्मद फेजा अहमद, बिहार में मार्च से ही तापमान बढ़ रहा है। यह समय आम में मंजर लगने और फल लगने का है। अधिकतम आम के फूल असामान्य गर्मी के कारण बर्बाद हो गए।

लू प्राकृतिक आपदा, सरकार करेगी भरपाई !
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक आम के उत्पादन पर बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, राज्य में भीषण लू के कारण इस बार आम और अन्य फसलों पर असर पड़ा है। किसानों को नुकसान होगा। सरकार नुकसान के भरपाई की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि लू प्राकृतिक आपदा है। कृषि मंत्रालय आम की फसल को हुए नुकसान की समीक्षा कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।

सरकार से सब्सिडी मिले तो नुकसान की भरपाई !
'बिहार के मैंगो मैन' के रूप में मशहूर भागलपुर के किसान अशोक चौधरी के मुताबिक इस बार राज्य के कुल आम उत्पादन का मुश्किल से 30 फीसदी ही बच पाएगा। उन्होंने कहा, बिहार में लू से भारी नुकसान हुआ है। तापमान ज्यादा होने के कारण कीड़े (red-banded mango caterpillars) भी बढ़े हैं। कीड़ों के कारण अभी भी फलों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, कई किसानों को लगता है कि विदेश में आमों के निर्यात से नुकसान की भरपाई की जा सकती है, लेकिन विमानों से आम भेजना महंगा मामला है। आम के निर्यात से नुकसान की भरपाई के संबंध में बीएयू में बागवानी विभाग के अध्यक्ष संजय सहाय ने कहा कि किसानों को उत्पादों की पैकेजिंग में सब्सिडी की जरूरत है।
ये भी पढ़ें- पंजाब में धान की खेती, DSR तकनीक अपनाने पर किसानों के लिए 450 करोड़ का प्रावधान