65 साल के बुजुर्ग का हठयोग, 11 साल से खेत में बिता रहे जिंदगी
यह बुजुर्ग आज तक चाहे गर्मी हो या बरसात या फिर सर्दी, वो खेत में ही बैठे हैं। जो गांव वाले देते हैं वही उनका भोजन होता है। गांव वाले अब उनकी इस जिद्द को हठयोग बताते हैं।
वाराणसी। वाराणसी में एक ऐसा शख्स है जो अपने परिवार से नाराज होकर 11 सालों से खेत में बैठा है। दरअसल, 65 वर्ष के कमला प्रसाद साल 2005 में परिवार में बंटवारे के दौरान अपने परिजनों से कुछ इस तरह खफा हुए कि वाराणसी के मिर्जामुराद में खेत में जाकर बैठ गए। तब से वो आज तक चाहे गर्मी हो या बरसात या फिर सर्दी, वो खेत में ही बैठे हैं। जो गांव वाले देते हैं वही उनका भोजन होता है। गांव वाले अब उनकी इस जिद्द को हठयोग बताते हैं।
हैरत में डाल देने वाली यह दास्तान है मिर्जामुराद क्षेत्र के चित्तापुर गांव की। इस गांव में अपने खेत में पिछले 11 साल से एक शख्स कमला प्रसाद उर्फ कमलेश तिवारी खुले आसमान के नीचे बैठा है। चित्तापुर गांव निवासी स्व. राममूरत तिवारी के चार पुत्रों में एक कमलेश, जो 2005 में अपनी नौकरी छूट जाने के बाद गांव लौटे। पर अपने परिजनों की अनदेखी के कारण अपने खेत में आकर बैठ गए और तब से सर्दी, गर्मी और बरसात बिताते हुए इसी खेत में खुले आसमान के नीचे रहते हैं। ये भी पढ़ें- 1 साल बाद अपनी मां से वाघा बार्डर पर मिला पाकिस्तानी बच्चा
क्या
कहना
है
कमला
प्रसाद
का
उनका
कहना
है
की
उनका
हठ
उनका
अपना
है।
इसके
लिए
उन्हें
अफसोस
नहीं
है।
उनके
पिता
ने
ये
जमीन
उन्हें
दी
और
अब
उनकी
इच्छा
है
कि
मेरे
हिस्से
की
भूमि
पर
सरकार
द्वारा
समाज
सेवा
हेतु
कुछ
बनवा
दिया
जाय।
उसी
में
मैं
भी
अपना
बुढ़ापा
काट
लूंगा।
क्या
कहते
हैं
गांव
के
लोग?
वहीं
गांव
के
लोग
भी
बताते
हैं
कि
जिस
तरह
से
11
साल
से
कमलेश
खुले
आसमान
के
नीचे
अपने
खेत
में
रहता
है,
वो
कोई
हठ
योगी
ही
कर
सकता
है।
उनकी
क्या
ख्वाहिश
है
ये
तो
वो
ही
जानें,
पर
हम
अपनी
तरफ
से
उनकी
जितनी
हो
सके
भोजन-पानी
की
मदद
कर
देते
हैं।
ग्रामीण
ये
भी
बताते
हैं
कि
कमलेश
को
उनके
परिवार
और
गांव
से
लगातार
तिरस्कार
ही
मिला
है।
लोगों
ने
इन्हें
बहुत
परेशान
किया
पर
इन्होंने
सभी
का
भला
करने
की
कोशिश
की
है।
क्या
कहा
परिजनों
ने?
वहीं
कमलेश
के
परिजनों
में
से
एक
दीनु
ने
परिवार
में
किसी
भी
विवाद
से
इनकार
किया।
उनका
कहना
है
कि
कमलेश
हठ
योगी
हैं।
वो
ग्यारह
साल
से
अपने
परिवार
से
अलग
होकर
अपनी
मर्जी
से
यहां
रह
रहे
हैं।