प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकारी प्रचार सामग्री को लगी फफूंद, 45 हजार देने को कोई नहीं तैयार
पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही उनकी योजनाओं की प्रचार सामग्री पिछले कई महीनों से रेलवे के पार्सल घर में पड़ी है। पार्टी इसे लेने को तैयार नहीं है और रेलवे इसे नीलाम करने की तैयारी में है।
वाराणसी। पीएम मोदी लगातार केंद्र सरकार की नई-नई योजना देश में शुरू कर रहे हैं। अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी उन्होंने कई योजनाओं का लोकार्पण किया और इन योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए भी उतनी तेजी से प्रचार भी किया जाता रहा है पर आपको जानकार हैरानी होगी की पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही उनकी योजनाओं की प्रचार सामग्री पिछले कई महीनो से रेलवे के पार्सल घर में पड़ी है। पार्टी इसे लेने को तैयार नहीं है और रेलवे इसे नीलाम करने की तैयारी में है।
प्रचार सामग्री रखने की जगह तक नहीं
पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही प्रधानमंत्री के द्वारा जारी की गई योजनाओं की प्रचार सामग्री रखने की जगह तक नहीं है। ये हम नहीं कह रहे है बल्कि वाराणसी रेलवे का पार्सल विभाग कह रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री द्वारा जारी किये गए योजनाओं के प्रचार के लिए गुजरात से प्रचार सामग्री जून 2016 को वाराणसी आयी थी। 45 हजार रुपये अदा कर इसे ले जाना था पर कई महीने के बीत जाने के बावजूद इसे कोई लेने नहीं आया।
भाजपा पदाधिकारी नहीं आए पार्सल लेने
पार्सल विभाग के पर्यवेक्षक अब्दुल कलाम का कहना है कि उन्होंने प्रचार सामग्री को रेलवे से उठवाने के लिए वाराणसी के प्रधानमंत्री कार्यालय में भी संपर्क किया पर भाजपा के पदाधिकारी सामान ले जाने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में पार्सल घर में पड़ा-पड़ा खराब हो रहे लगभग 30 टन प्रचार सामग्री को अब रेलवे नीलाम करने की सोच रहा है।
भाजपा प्रवक्ता बोले, हम ले जाएंगे प्रचार सामग्री
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अब इस मुद्दे पर सफाई दे रही है। बीजेपी पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता का संजय भारद्वाज का कहना है कि प्रचार सामग्री से कार्यालय भरा हुआ है। इसलिए हम सामग्री उठाकर नहीं ला पा रहे है लेकिन दो से तीन के अंदर ले आएंगे। गुजरात से ये सामग्री आई हुई है देर हुई है पर अब इसे लाया जाएगा।
क्या भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी
मीडिया में ये मामला आने के बाद अब बीजेपी बैकफुट कर आते हुए प्रचार सामग्री ले जाने की बात कर रही हैं लेकिन सवाल ये उठता है कि ये लापरवाही उस वक्त हो रही हैं जब 2017के चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सरकारें अपनी-अपनी विकास योजनाओ का हवाला देकर प्रचार कर रही हैं। कहा जा रहा है कि या तो भाजपा अतिउत्साह में है या फिर उत्साह की कमी है।