बाहुबली विधायक राजा भैया के करीबी को योगी सरकार ने भेजा जेल
राजा भैया के करीबी गुलशन यादव 3 महीनों से बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती था। मामला प्रकाश में आने के बाद शासन ने रिपोर्ट तलब की परिणामस्वरूप गुलशन यादव को फिट घोषित कर वापस जेल भेजा गया।
इलाहाबाद। यूपी के बाहुबली विधायक राजा भैया के करीबी सहयोगी गुलशन यादव को योगी सरकार ने वापस जेल भेज दिया। कुंडा नगर पंचायत के अध्यक्ष गुलशन यादव बीते 13 महीनों से बीमारी का बहाना बनाकर इलाहाबाद के रुपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती थे। गुलशन यादव पर हत्या के प्रयास का आरोप है।
गुलशन यादव प्रतापगढ़ जेल में हत्या के प्रयास के आरोप में बंद थे लेकिन यूरिन इंफेक्शन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव की शिकायत कर बीते 13 महीनों से अस्पताल में भर्ती थे। मामला प्रकाश में आने के बाद शासन ने रिपोर्ट तलब की जिसके बाद हड़कंप मच गया। परिणामस्वरूप गुलशन यादव को डॉक्टरों ने तुरंत फिट घोषित कर दिया गया और जेल प्रभारी उन्हें सलाखों के पीछे फिर से ले गए। ये भी पढ़ें- कैसे लगता है कुंडा में राजा का दरबार? देखिए तस्वीरें
हत्या
के
आरोप
में
गए
थे
जेल
कुंडा
नगर
पंचायत
के
चेयरमैन
गुलशन
यादव
पर
पुष्पेंद्र
सिंह
की
गोली
मरकर
हत्या
का
मुकदमा
दर्ज
हुआ
था।
जिसके
बाद
11
सितबंबर
2014
को
गुलशन
को
गिरफ्तार
कर
प्रतापगढ़
जेल
में
बंद
कर
दिया
गया
था।
मार्च
2016
में
गुलशन
ने
बीमारी
की
शिकायत
की।
उन्होंने
बताया
की
उन्हें
यूरिन
व
हड्डी
में
दिक्कत
है।
बीमारी की शिकायत के बाद प्रतापगढ़ जेल से गुलशन को इलाहाबाद के स्वरुप रानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बीमारी का इलाज था की बस चलता रहा। पर बीमारी ठीक नहीं हो रही थी। लेकिन दो दिन पहले ही जेल से जब रिपोर्ट तलब हुई तो गुलशन को डॉक्टरों ने तुरंत फिट घोषित कर दिया। ये भी पढ़ें- राजा भैया के बाहुबल के आगे सभी बड़ी पार्टियों ने टेके घुटने
एक
दूसरे
पर
आरोप
इस
मामले
में
खिंचाई
शुरू
हुई
तो
जिला
प्रशासन
से
लेकर,
जेल
प्रशासन
और
अस्पताल
प्रशासन
एक
दूसरे
के
सर
पर
आरोप
मढ़ने
लगे।
जिला
प्रशासन
ने
तो
मामले
से
अनजान
बने
रहने
में
ही
भलाई
समझी।
वहीं
जेल
प्रशासन
ने
कहा
की
उन्हें
फिट
होने
की
रिपोर्ट
नहीं
मिली
थी
जिसके
कारण
गुलशन
अस्पताल
में
रह
रहा
था।
वहीं
अस्पताल
का
इस
बारे
में
कहना
है
कि
हमने
अपनी
रिपोर्ट
पहले
दे
दी
थी।
बता
दें
कि
जेल
अधिकारी
व
अस्पताल
प्रशासन
हर
दूसरे
महीने
पत्र
भेज
कर
हालात
पर
चर्चा
करते
थे
बावजूद
इसके
गुलशन
को
डिस्चार्ज
करने
की
कभी
पहल
नहीं
होती
थी।