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योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों, अधिकारियों का सोना -जागना दूभर किया

योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों और अधिकारियों के लिए बढ़ाई मुश्किल, देर रात तक चलने वाली बैठकों ने मंत्रियों की राह को किया मुश्किल

By Ankur
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के भीतर के तौर-तरीकों को बदलना शुरु कर दिया, अब पार्टी के भीतर बैठक, भोजन और विश्राम की जगह चिंतन और मंथन ने ले ली है। आपको बता दें कि कल्याण सिंह लंबी-लंबी बैठकों के लिए जाने जाते हैं, वह 8-10 घंटों तक बैठकें किया करते थे। अपने पहले कार्यकाल 1990 में वह लंबी बैठके लिया करते थे, आलम यह था कि एक बार वह खुद भी मानसिक थकान के चलते बेहोश हो गए थे। अपने दूसरे कार्यकाल 1997 में कल्याण सिंह 90 मंत्रियों की बैठक एक साथ लिया करते थे। लेकिन बाद में भाजपा की परंपरा बदली और राम प्रकाश गुप्ता व राजनाथ सिंह ने लंबी बैठकों का दौरा खत्म कर दिया। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने फिर से पुरानी परंपरा को शुरु किया है। लेकिन सबसे योगी आदित्यनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि क्या वह बिना नींद के इस तरह से काम कर पाते हैं, या नहीं।

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हर मंत्री का बैठक में आना अनिवार्य

हर मंत्री का बैठक में आना अनिवार्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब पार्टी की पुरानी परंपरा को शुरु करते हुए अपने सभी मंत्रियों की बैठक लेनी शुरु कर दी है, लेकिन मुख्यमंत्री की बैठक का समय आपकी उम्मीद से थोड़ी ज्यादा है, जो शाम को 6 बजे शुरु होकर रात 12 बजे तक चलती है। हाल में मुख्यमंत्री ने 47 कैबिनेट और राज्यमंत्रियों की बैठक ली जिसमें सभी मंत्रियों का आना अनिवार्य था। प्रधानमंत्री मोदी के पदचिन्हों पर चलते हुए मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को बैठक में आने को अनिवार्य कर दिया है।

आसान नहीं है मंत्रियों का सफर

आसान नहीं है मंत्रियों का सफर

एक वरिष्ठ मंत्री का कहना है कि हम पूरी नींद नहीं ले पा रहे हैं, वह तो योगी हैं, वह इसे मैनेज कर सकते हैं, वह अपने व्यस्त समय में सिर्फ 2 घंटे ही नींद के लिए निकालते हैं, लेकिन हमारा क्या। वहीं अन्य मंत्रियों का कहना है कि अभी सरकार नई है। बैठक में शामिल होने वाले 47 मंत्री जो कि लंबी-लंबी बैठकों में हिस्सा लेते हैं और आधी रात तक इसमें शामिल होते हैं, उन्हें अब उम्मीद होगी कि उन्हें कुछ अवकाश मिलेगा, लेकिन मई-जून में उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करने के भी निर्देश दे दिए गए हैं।

योगी आदित्यनाथ की मंत्रियों को दो टूक

योगी आदित्यनाथ की मंत्रियों को दो टूक

मुख्यमंत्री की बैठक तीन सत्र में चली जिसमें विभाग के प्रशासनिक ढांचे, मौजूदा योजनाएं और भविष्य की योजनाओं पर बात हुई। वहीं जब एक मंत्री ने यह सवाल पूछा कि हमें दूसरे विभाग की बैठक में क्यों शामिल होना चाहिए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया कि आपका विभाग बदल भी सकता है, ऐसे में एक जिले का इंचार्ज होने के नाते आपको सभी विभाग की जानकारी होनी चाहिए। जल्द ही मुख्यमंत्री मंत्रियों को एक-एक जिले की जिम्मेदारी देंगे जिसमें उन्हें यहां के विकास कामों पर नजर रखनी होगी, यही नहीं उन्हें इन जिलों का दौरा करना होगा और उन्हें एक रात गांव में ही गुजारनी होगी।

अधिकारी और बाबू के लिए भी मुश्किल सफर

अधिकारी और बाबू के लिए भी मुश्किल सफर

यहां गौर करने वाली बात यह है कि योगी आदित्यनाथ की बैठकों में सिर्फ मंत्री ही नहीं बल्कि ब्यूरोक्रैट और बाबू भी शामिल हैं, एक वरिष्ठ अधिकारी ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि अब तो बायोमीट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया गया है, अब हमें अपना अंगूठा लगाना होगा जब भी हम ऑफिस में आएंगे या बाहर जाएंगे। एक अन्य ब्यूरोक्रैट ने हंसी में कहा कि बैठकों के दौरान तारीखें बदल जाती है, शुरु किसी और तारीख को होती है और खत्म किसी और तारीख को होती है।

मायावती-अखिलेश घर पर ही करते थे बैठक

मायावती-अखिलेश घर पर ही करते थे बैठक

एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जहां मायावती और अखिलेश यादव आधिकारिक बैठकें अपने घर पर लेते थे तो योगी आदित्यनाथ यह बैठकें अपने ऑफिस में ही लेते हैं। मायावती सिर्फ कैबिनेट बैठक ही दफ्तर में लेती थी और उसके लिए भी बकायदा अलग से एक सड़क बनाई गई थी जोकि उनके घर से उनके ऑफिस को जोड़ती थी, जिसकी दूरी तकरीबन एक किलोमीटर थी, इस सड़क पर आम जनता का आना-जाना मना था।

एनडी तिवारी भी देर रात करते थे काम

एनडी तिवारी भी देर रात करते थे काम

योगी आदित्यनाथ के अलावा एनडी तिवारी भी रात में बैठके किया करते थे, वह अक्सर देर रात को योजनाओं के लागू होने की रिपोर्ट को देखा करते थे। अधिकारी कभी भी आधी रात से पहले नहीं सोते थे, क्योंकि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि कभी भी मुख्यमंत्री ऑफिस से उन्हें फोन आ सकता है। जबकि कल्याण सिंह अपने घर और दफ्तर दोनों का इस्तेमाल बैठकों के लिए करते थे।

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English summary
Yogi Adityanath making it tough for the ministers and officials in the state. New work culture is proving to be a tough task.
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