विश्व का सबसे लंबा धरना, 22 सालों से है जारी
फरवरी 1996 को जिला कलक्ट्रेट स्थित डीएम कंपाउंड में धरने की शुरुआत करने वाले मास्टर विजय सिंह कैराना तहसील के चौसाना गांव के रहने वाले हैं और 4,000 बीघे सार्वजनिक जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
मुजफ्फरनगर। भ्रष्टचार और गरीबी के विरुद्ध मदद के लिए एक इंसान पिछले 22 सालों से गांधीवादी अहिंसात्मक लड़ाई लड़ रहा है। इस लड़ाई को लड़ते हुए इस इंसान की सरकारी नौकरी ही नहीं बल्कि उसका परिवार भी छूट गया है। 22 साल से घर छोड़कर वनवासी की तरह जीवन बिता रहे और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे मास्टर विजय सिंह की लड़ाई अब पूरे देश की लड़ाई बन चुकी है।
विजय सिंह डीएम कार्यालय के सामने धरने पर बैठे रहते हैं सुनवाई भले ही न हो रही हो लेकिन उस लड़ाई की गूंज विदेशो में सुनाई दे रही है। इसका उदाहरण ये है कि मास्टर विजय सिंह का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड समेत कई बुकों में शामिल हो चुका है। मास्टर जी का आंदोलन इतिहास रचने को अग्रसर है| गांव चौसाना की लगभग 4,000 बीघा जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आज भी वो जज्बा लिए हुए हैं। उनका धरना 22वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है।
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जिला कलक्ट्रेट पर 1996 से जारी है धरना
फरवरी 1996 को जिला कलक्ट्रेट स्थित डीएम कंपाउंड में धरने की शुरुआत करने वाले मास्टर विजय सिंह कैराना तहसील के चौसाना गांव के रहने वाले हैं मास्टर विजय सिंह 4,000 बीघे सार्वजनिक जमीन को एक बाहुबली परिवार और उसके खानदान के कब्जे से मुक्त कराने के लिए धरने पर बैठे हैं। इस 22 साल के लंबे समय में मास्टर जी ने बहुत कठिनाइयों का सामना किया है। सगे संबंधी साथ छोड़ गए, परिवार छूट गया है और सरकारी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। इसी बीच उनके एक साथी की हत्या कर दी गई। कई बार मास्टर पर जानलेवा हमले हुए लेकिन मास्टर के कदम फिर भी नहीं लड़खड़ाए बल्कि अब तो अपनी जान की परवाह किए बिना ही धरना स्थल ही उनको अपना घर लगने लगा है। इस लम्बे संघर्ष के बाद उनका ये धरना 22 वे साल में प्रवेश कर गया है। इन 21 साल में मंडलायुक्त और CBCID स्तर से जांच हुई और जांच में अवैध कब्जों की पुष्टि हो गई। इसी के चलते कई सरकारें आईं और चली गईं। प्रमुख सचिव गृह चैम्बर ने तेजी दिखाते हुए करीब 300 बीघा जमीन भी कब्जा मुक्त कराई।
पैदल यात्रा कर पहुंचे थे सीएम अखिलेश से मिलने
आपको बता दें की मास्टर जी ने लखनऊ तक पैदल यात्रा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर सार्वजनिक जमीन को मुक्त कराने की गुहार लगाई थी। जिसमे मुख्यमंत्री ने एक कमेटी गठित की थी लेकिन वो भी खानापूर्ति कर लखनऊ रवाना हो गए थे। जिसका रिजल्ट भी अभी तक नहीं आया। मास्टर विजय सिंह अब 55 साल के हो गए हैं। वो दिन रात धरने पर ही रहते हैं धरने पर ही खाना बनाना, बर्तन धोना, कपड़े धोने जैसे कार्य भी मास्टर जी खुद ही करते हैं। मास्टर जी के खाने का सामान उनके गांव से मिलने आने वाले लोग लेते आते हैं जिससे उनकी दिनचर्या चल रही है।
मास्टर जी का धरना 22वें साल में प्रवेश कर गया है और मास्टर जी का धरना विश्व का सबसे लंबा धरना बन गया है। मास्टर जी का नाम सभी बुकों में दर्ज हो गया है और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने के लिए अग्रसर है। मास्टर विजय सिंह ने प्रधानमंत्री जी से गुहार लगाते हुए कहा है कि मेरी बात को भी अपने मन की बात में शामिल कर लें और अगर मेरी बात झूठी हो तो मुझे आजीवन कारावास में भेज दीजिए।
22 सालों से धरने पर बैठे मास्टर विजय सिंह को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
मास्टर विजय सिंह बताते हैं कि मेरा गांव चोसाना जिला शामली है, मेरे गांव में दबंगों के द्वारा गरीबों पर, दलितों पर, पिछड़ों पर बहुत अत्याचार था, वहां जो भी कुछ उनकी योजनाओं के तहत सार्वजनिक भूमि थी वो सब दबंग हड़प लेते थे। ये देखकर मैं बहुत दुखी था। एक दिन जब मैं घर जा रहा था तो शाम के चार बजे बच्चा कह रहा था कि मां किसी से आटा ले आ शाम को तो रोटी बना लेना। इस सेंटेंस ने मेरे जीवन को बदलने का काम किया। मैं बहुत उद्वेलित हुआ और मैंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर अपनी गांव की सार्वजनिक भूमि पर शोध किया। मुझे पता चला कि 4,575 बीघा मेरे गांव में सावर्जनिक जमीन थी और जिसमें 4,000 बीघे पर भूमाफियों का अवैध कब्जेधारियों का राजनीतिक लोगों का अवैध कब्जा था। मैंने काफी प्रार्थना पत्र दिए 1995 में कोई कर्रवाई नहीं हुई तो 26 फरवरी 1996 को मैं धरना देकर बैठ गया। तब से आज 22 साल हो गए, मेरे साथ सब कुछ हुआ मेरे साथियों और मेरे परिवार पर हमला, झूठे मुकदमे, मेरा पूरा घर जला दिया गया।
क्या है इस धरने की वजह ?
इन सबको मैं झेलता रहा, मुझे बहुत ही परेशान किया गया। मेरा एक ही उद्देश्य था की मेरे गांव की सार्वजनिक जमीन जो गरीबों के लिए, दलितों के लिए थी, वो छूटकर गरीबों को मिले। सार्वजनिक कार्यों को मिले, भले ही मुझे ये मार दे बाकि ये जमीन छूट जाए। मैं इसके लिए दृढ संकल्पित हूं। अभी तक मेरा आंदोलन मेरी शिकायत पर लगभग 300 बीघे जमीन तो मुक्त हुई और 3200 बीघे जमीन पर रिपोर्ट आई और एक सौ कुछ मुकदमें दर्ज हुए जो पेंडिग हैं।
मेरा कहना है की इनको क्लियर कर ये चार हजार बीघे जमीन छुड़वाकर के गरीबों को दो और सार्वजनिक कार्यों में प्रयोग में लाया जाए। मैं 19 दिनों में पैदल यात्रा करता हुआ मुख्यमंत्री अखिलेश जी तक गया था। उन्होंने कमेटी गठित की बाकी फिर वही खेल हुआ भूमाफियाओं, राजनेताओं और कमेटी भी भ्रष्टाचार का शिकार हो गई। आखिरकार अखिलेश जी का जो आदेश था 28,04,2012 का वो भी हवाई साबित हुआ। कोई कर्रवाई नहीं हुई। मुझे टाइम नहीं दिया गया उसमें कुछ नहीं हुआ, अभी तक लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड, इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिक वर्ड ऑफ रिकॉर्ड, वर्ड बुक इण्डिया में ये सबसे लम्बे धरने के रूप में दर्ज हो चूका है। ये धरना विश्व का सबसे लंबा धरना बन चूका है। लेकिन मुझे धरना चलाने की नहीं मुझे उस जमीन से मतलब है जिस पर गरीबों का हक है। उत्तर प्रदेश में करोड़ों बीघे जमीन हैं जिससे गरीबी हट सकती है और उत्तर प्रदेश के विकास के लिए पर्याप्त जमीन मिल सकती है। माननीय प्रधामंत्री जी मन की बात करते हैं और मेरी प्रधानमन्त्री जी से अपील है की मन की बात में मेरी भी बात शामिल करें अगर मेरी बात गलत साबित हो तो मुझे जेल भिजवा दिया जाए।
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