आखिर क्यों यूपी में भाजपा को दो उपमुख्यमंत्रियों की जरूरत पड़ी?
उत्तर प्रदेश में पहली बार ऐसा है कि पार्टी दो उप मुख्यमंत्रियों को भी नियुक्त किया है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी है, लेकिन पहली बार ऐसा है कि पार्टी दो उप मुख्यमंत्रियों को भी नियुक्त किया है।
दिनेश शर्मा: मेयर से डिप्टी सीएम की कुर्सी तक...एक नजर सियासी सफर पर
हालांकि इनकी नियुक्ति पर योगी आदित्यनाथ का कहना है कि मुझे प्रदेश की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दो सहयोगियों की जरूरत पड़ेगी, लेकिन इसके पीछे के सियासी समीकरण भी हैं।
क्या है चयन के पीछे का समीकरण?
भाजपा नेता वेंकैया नायडू और भूपेंद्र चौधरी ने योगी आदित्यनाथ के साथ केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी है, लेकिन सूत्रों की मानें तो दोनों ही उपमुख्यमंत्रियों के चयन के पीछे जातिगत राजनीति का समीकरण काफी अहम है।
केशव प्रसाद मौर्या ओबीसी वर्ग से
केशव प्रसाद मौर्या ओबीसी वर्ग से आते हैं जबकि दिनेश शर्मा ब्राह्मण समाज से आते हैं, लिहाजा दोनों ही नेताओं के जरिए पार्टी प्रदेश में ओबीसी और ब्राह्मण वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। वहीं राजनाथ सिंह के बाद योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो ठाकुर हैं।
हिंदू वोटों के एकीकरण के लिए
योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में हिंदुत्ववादी चेहरे के तौर पर देखा जाता है, माना जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें हिंदू वोटों के एकीकरण के लिए मुख्यमंत्री घोषित किया है, जिसका लाभ पार्टी आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में उठाना चाहेगी। योगी आदित्यनाथ को छोटे महंत के नाम से भी जाना जाता है, इसके साथ ही लव जिहाद, पाकिस्तान और कैराना पलायन जैसे मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ अपनी राय रखते आए हैं, जिसके चलते उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है।
विकास के एजेंडे को बढ़ाना चुनौती
पांच बार सांसद चुने जाने के बाद जिस तरह से योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की शीर्ष कमान सौंपी गई है उससे माना जा रहा है कि प्रदेश में टकराव की राजनीति बढ़ सकती है, हालांकि आने वाले समय में यह देखना काफी अहम होगा किस तरह से योगी आदित्यनाथ अपनी छवि के विपरीत प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालते हैं और पार्टी के विकास के एंजेंडे को धार देते हैं।
जनमत का सम्मान
यूपी में जिस तरह से मतदान हुआ उसे देखते हुए भाजपा का मानना है कि यह मतदान जाति और संप्रदाय से उपर विकास की राजनतीति को दिया गया है, जिस तरह से सपा और बसपा के जातीय समीकरण को भाजपा ने ध्वस्त किया है उसे देखते हुए पार्टी के हौसले काफी बुलंद हैं। हालांकि पार्टी के भीतर एक तबका ऐसा भी है जिसका मानना है कि योगी आदित्यनाथ को सीएम चुना जाना जनमत का सम्मान है।