तीन चरण के बाद कौन कितने पानी में, पूर्ण बहुमत के दावे की हकीकत
तीन चरण के मतदान के बाद उत्तर प्रदेश का समीकरण क्या कहता है, सभी दलों का दावा उन्हें मिल रहा है पूर्ण बहुमत।
लखनऊ।
उत्तर
प्रदेश
में
तीन
चरण
के
मतदान
हो
चुके
हैं,
लेकिन
मतदाने
के
बाद
जो
एक
खास
बात
है
वह
यह
कि
सभी
पार्टियां
पूर्ण
बहुमत
का
दावा
कर
रही
हैं।
शुरुआत
के
तीन
चरण
में
कुल
209
सीटों
पर
मतदाताओं
ने
अपना
फैसला
सुना
दिया
है,
जबकि
194
सीटों
पर
मतदान
अभी
बाकी
है।
यूपी
में
चुनाव
अपने
आधे
रास्ते
पर
आ
चुका
है,
ऐसे
में
इस
बात
का
आंकलन
काफी
अहम
हो
जाता
है
कि
तमाम
राजनीतिक
दल
किस
मुकाम
पर
खड़े
हैं
और
उनकी
क्या
स्थिति
है।
तमाम
राजनीतिक
दल
खुद
के
पूर्ण
बहुमत
में
आने
का
दावा
कर
रहे
हैं,
कोई
भी
दल
यह
नहीं
स्वीकार
करने
को
तैयार
है
कि
वह
चुनाव
में
पीछे
है
या
हार
सकता
है।
इसी
के
चलते
तमाम
दल
जिसमें
सपा-कांग्रेस,
बसपा
और
भाजपा
खुद
के
पूर्ण
बहुमत
में
आने
की
बात
कर
रही
हैं।
लेकिन
यहां
पर
यह
जानना
बेहद
अहम
है
कि
किस
आधार
पर
ये
राजनीतिक
दल
पूर्ण
बहुमत
आने
की
बात
कर
रहे
हैं,
आखिर
कौन
सी
गणित
है
इन
पार्टियों
की
जिसके
दम
पर
यह
दल
पूर्ण
बहुमत
की
बात
कर
रहे
हैं।
सपा-कांग्रेस गठबंधन का दावा
सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद तीन चरणों का मतदान हो चुका है और दोनों ही दलों के बड़े नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि उनका गठबंधन सरकार बनाने जा रहा है। खुद अखिलेश यादव और राहुल गांधी इस बात का दावा कर रहे हैं कि वह पूर्ण बहुमत हासिल करने जा रहे हैं। लेकिन इस भरोसे की वजह है यादव और मुस्लिम वोटों का एकीकरण, इसके साथ ही सवर्ण, ओबीसी और दलित वोट जो भी मिलेंगे वह पार्टी के लिए बेहतर ही साबित होगा। सपा नेता का कहना है कि इन तमाम गणित के अलावा अखिलेश वोट भी हमारे पास हैं, बड़ीं संख्या में ऐसे लोग हैं जो अखिलेश यादव के चेहरे पर अपना वोट दे रहे हैं और वह उनके विकास के कामों से प्रभावित हैं।
पहले चरण का गणित
सपा के खेमे के भीतर यह भरोसा है कि पहले चरण के मतदान में कुल 73 सीटों पर वोट हुआ जिसमें पार्टी को कमजोर माना जा रहा था उसे यहां से 25 सीटें जीतने का भरोसा है, पार्टी के अनुमान के मुताबिक इस चरण में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है क्योंकि जाट वोटर भाजपा से खुश नहीं हैं, और पार्टी को सिर्फ 18-20 सीटें ही हासिल होंगी, वहीं बसपा को 18 सीटें मिल सकती हैं। वहीं पार्टी के एक अन्य नेता का मानना है कि सपा को यहां बढ़त मिली है और उसे यहां से 25 सीटों से अधिक सीट मिल सकती है, जबकि आरएलडी को 5-7 सीटें मिल सकती है।
तीसरे चरण में सपा को हुआ नुकसान
दूसरे चरण के गणित पर नजर डालें तो इस चरण में कुल 67 सीटों पर मतदान हुआ। गठबंधन के रणनीतिकारों का मानना है कि यह चरण ध्रुवीकरण पर आधारित था, जिसमें भाजपा ने धर्म, जाति समेत तमाम मुद्दों को पार्टी ने उठाया, ऐसे में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस इस चरण में 35 सीटें जीत सकती है। सपा नेता का कहना है कि इस चरण में हमारे गठबंधन को कुल 80 फीसदी मुस्लिम वोट हासिल होंगे, जब ध्रुवीकरण होता है तो मुस्लिम एकजुट होकर वोट देता है।
वहीं तीसरे चरण के मतदान पर नजर डालें तो इस बार पार्टी के लिए 2012 के प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल है। तीसरे चरण में 69 में से 55 सीटें पार्टी को 2012 में हासिल हुई थी। इस बार पार्टी को सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी, मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिए जाना, गलत टिकट बंटवारा और मुस्लिम वोटों का बसपा में जाना अहम हो सकते हैं। हालांकि सपा के नेताओं का मानना है कि पार्टी इस नुकसान को स्वीकार भी कर ले तो भी उसे कम से कम 20 सीटों का उसे नुकसान होगा। ऐसे में अगर पार्टी को इसका नुकसान भी होता है तो भी वह प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।
भाजपा का गणित
भाजपा की सियासी गणित पर नजर डालें तो पहले चरण में भाजपा कुछ खास नहीं कर सकी है लेकिन पार्टी ने अगल चरण में काफी बढ़त हासिल की है। पार्टी के राष्ट्रीय नेता का कहना है कि अगर मुस्लिम, यादव औऱ जाटों को अलग कर दें तो बाकी के 60 फीसदी वोटों पर हमारी नजर है जोकि मुख्य रूप से अपर कास्ट, गैर यादव , ओबीसी और दलित है। पहले चरण में भाजपा ने कहा कि उसने कुल 51 सीटें हासिल करेगी। लेकिन पार्टी के अंदरूनी रिपोर्ट की मानें तो उसे कुल 35 सीटें हासिल हो रही है, लेकिन पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं का मानना है कि उसे पहले चरण में 20 सीटें ही हासिल होगी।
दूसरे चरण पर नजर डालें तो पार्टी को पूरा भरोसा है कि इस चरण में ध्रुवीकरण हुआ है और इसका पार्टी को लाभ मिला है। दूसरे चरण में बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा में पार्टी को फायदा हुआ है। जबकि तीसरे चरण में भाजपा का मानना है कि सपा के भीतर कलह का उसे सीधा लाभ मिला है। इस चरण में मुस्लिम वोटों का बिखराव हुआ है। पार्टी के एक शीर्ष नेता का कहना है कि हम उन सीटों पर बढ़त बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहां कांग्रेस मैदान में है। हम कांग्रेस की कुल 105 सीटों में से 70-80 सीटों पर जीत हासिल करेंगे।
बसपा का समीकरण
बसपा एक ऐसी पार्टी है जहां बड़े नेता मीडिया से कम रूबरू होते हैं, फिर चाहे वह मायावती हों, सतीश मिश्रा हों या नसीमुद्दीन सिद्दिकी। लेकिन पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं का मानना है कि पहले चरण में पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, मुस्लिम उम्मीदवारों के चलते पार्टी को इसका फायदा हुआ है। जाटव वोटों के साथ मुसलमान वोटों के साथ आने से पार्टी को काफी लाभ मिला है, ऐसे में पार्टी को बड़ी संख्या में सीटें हासिल हो रही है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि दूसरे चरण में पार्टी उतनी कमजोर नहीं है जितना सपा हमें दिखाने की कोशिश कर रही है। जबकि तीसरे चरण में पार्टी के कार्यकर्ता को पूरा भरोसा है बसपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी।
हालांकि तमाम सियासी दल इस बात का दावा कर रहे हैं कि उन्हें पूर्ण बहुमत हासिल हो रहा है लेकिन सभी दलों का पिटारा 11 मार्च को ही खुलेगा कि कौन कितने पानी में है।