चल गया पता...रीता के कांग्रेस छोड़ने की ये है असली वजह
रीता बहुगुणा जोशी का कहना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी में उनकी अनदेखी की जा रही थी। हालांकि उनके पार्टी छोड़ने की वजहें कुछ और भी हैं...
नई दिल्ली। कांग्रेस की बड़ी नेता रही रीता बहुगुणा जोशी अब बीजेपी में शामिल हो गई हैं। उनके भारतीय जनता पार्टी में आने की वजह आखिर क्या है? इसको लेकर सस्पेंस कायम है...हालांकि उन्होंने जो वजह बताई उसमें अहम यही है कि वो राहुल गांधी के रवैये से खफा थी।
2 दशक के साथ के बाद क्यों छोड़ गई रीता कांग्रेस को
तो ये हैं वो वजहें जिसकी वजह से बीजेपी में गई रीता
रीता बहुगुणा जोशी का कहना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी में उनकी अनदेखी की जा रही थी। जिसकी वजह से उन्हें पार्टी छोड़ने का फैसला लेना पड़ा। ये तो वो वजह है जो खुद रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी छोड़ने को लेकर बताई हैं। हालांकि उनके पार्टी छोड़ने की वजहें कुछ और भी हैं...
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अपने साथ-साथ बेटे के लिए भी चाहती थी टिकट
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है तो इसके पीछे जो अहम वजह सामने आ रही है वो है टिकट विवाद। जानकारी के मुताबिक रीता जोशी आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने साथ-साथ अपने बेटे मयंक के लिए टिकट की मांग कर रही थी।
रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस आलाकमान से अपने लिए सेंट्रल लखनऊ से टिकट की मांग की थी। साथ ही अपने बेटे मयंक के लिए लखनऊ कैंट से टिकट चाहती थी। पार्टी इसके तैयार नहीं नजर आ रही थी। हालांकि रीता जोशी ने टिकट विवाद से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि मैंने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मांगा।
शीला को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने से थी खफा
रीता बहुगुणा जोशी की कांग्रेस पार्टी से नाराजगी की एक वजह उनकी अनदेखी करना भी माना जा रहा है। कांग्रेस आलाकमान ने यूपी चुनाव में ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया। कांग्रेस ने ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए ये कदम उठाया। ये बात रीता जोशी को नगावार गुजरी।
रीता जोशी खुद पार्टी का अहम ब्राह्मण चेहरा थी। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस पार्टी की कर्मठ कर्मचारी के तौर पर उन्हें ये अहम जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार करते हुए शीला दीक्षित को आगे किया। जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई। बता दें रीता जोशी यूपी में कांग्रेस का अहम ब्राह्मण चेहरा थी। उनकी गिनती तेजतर्रार नेताओं के तौर पर भी होती रही है।
कांग्रेस आलाकमान के रवैये से थी नाराज
यूपी में रीता बहुगुणा जोशी की गिनती तेजतर्रार नेताओं में होती है। उन्हें मायावती के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने की वजह से 2009 में गिरफ्तार भी किया गया था। उस समय उनके घर पर बीएसपी कार्यकर्ताओं ने आगजनी भी की थी।
रीता जोशी कई आंदोलनों में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करती रही हैं। बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी ने उन पर कोई भरोसा नहीं जताया। पार्टी ने आगामी यूपी चुनाव की रणनीतिक गोलबंदी में रीता को कोई खास जिम्मेदारी नहीं सौंपी।
राहुल गांधी के नेतृत्व पर उठाए सवाल
रीता बहुगुणा जोशी के बीजेपी में जाने के पीछे राहुल गांधी का रवैया भी अहम है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के फैसलों में रीता की लगातार अनदेखी हो रही थी। पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में उनकी अनदेखी की जा रही थी।
रीता बहुगुणा जोशी ने बताया था कि जब सोनिया गांधी ने 2003 से 2008 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का नेतृत्व शुरू किया था तो उस दौरान उन्होंने रीता जोशी को 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में उन्हें अनदेखी का शिकार होना पड़ा। इस बार भी यूपी चुनाव में राजबब्बर को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। जबकि चुनाव की रणनीति में उन्हें कोई खास रोल नहीं दिया गया। जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई थी।
'दगाबाज' रीता पर कांग्रेस ने यूं किया पलटवार
जहां रीता जोशी के कांग्रेस छोड़ने के पीछे कई वजहें सामने आ रही हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने उन्हें 'खानदानी दगाबाज' करार दिया है। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि रीता बहुगुणा जोशी खानदानी दगाबाज हैं। बीजेपी इन दगाबाजों की फौज इकट्ठा कर रही है।
वहीं पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद ने उन्हें अवसरवादी नेता करार दिया है। उन्होंने रीता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी पकड़ वोटरों में इतनी भी नहीं है कि वो अपनी सीट बचा सकें। बता दें कि रीता जोशी पहले भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर एक बार समाजवादी पार्टी में गई थी। हालांकि 10 महीने बाद कांग्रेस में वापस आ गई।