सहारनपुर: मायावती की रैली से लौट रहे दलितों पर हमला, 1 की मौत सात घायल
मायावती शब्बीरपुर गांव पहुंचीं। उनके दौरे के दौरान शब्बीरपुर में हिंसा भड़की। इस हिंसा में एक की मौत हो चुकी है। पुलिस अधिकारियों को मौके पर भेजा गया है।
सहारनपुर। यूपी के सहारनपुर जनपद में सुलग रही जातीय दंगे की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार शाम बसपा सुप्रीमो मायावती की सभा से वापस लौट रहे दलितों पर उच्च जाति के लोगों ने धारदार हथियारों से हमला बोल दिया, जिससे एक दलित युवक की मौत हो गई। एक मुस्लिम व्यक्ति समेत सात दलित गंभीर रुप से घायल हो गए। सुरक्षा को देखते हुए गांव में भारी मात्रा में पुलिस फोर्स और अर्द्धसैनिक बल के जवानों को तैनात कर दिया गया है। इस वारदात से पूरे जनपद में तनाव का माहौल बना है। मुजफ्फरनगर में तैनात एसएसपी बबलू कुमार को शासन ने सहारनपुर भेज दिया है। उधर, इस बाबत जिला प्रशासन कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
दलितों का हाल जाने गईं थी मायावती
विगत पांच मई को सहारनपुर जनपद के गांव शब्बीरपुर में ठाकुर और दलितों में हुए जातीय दंगे के बाद मंगलवार की शाम मायावती गांव शब्बीरपुर में पीड़ित दलितों का हाल जानने के लिए आई थी। मायावती ने गांव में एक सभा को भी संबोधित किया और पीड़ित दलितों को 25 से 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता बसपा के पार्टी फंड से देने की घोषणा की थी। मायावती शाम करीब साढ़े छह बजे गांव शब्बीरपुर से अपने दिल्ली आवास के लिए रवाना हो गई थी। मायावती के गांव शब्बीरपुर गांव से वापस लौटने के बाद सभा में आए आसपास के गांवों के दलित भी अपने अपने घर को वापस लौट रहे थे।
घात लगा कर बैठे थे हमलावर
दलित जैसे ही बड़गांव थाना क्षेत्र के गांव चंदपुर में पहुंचे तो पहले से घात लगाए बैठे ऊंची जाति के लोगों ने तलवार, चाकू और तमंचों से लैस होकर दलितों के काफिले पर हमला बोल दिया। बताया जाता है कि हमलावरों ने चुन-चुन कर दलितों के साथ मारकाट कर रहे थे। दलितों पर हुए हमले के बाद चारों ओर चीख पुकार मच गई। आनन फानन में मौके पर जमा हुई भीड़ को देखकर हमलावर तलवार और तमंचे लहराते हुए फरार हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस घायलों को लेकर जिला अस्पताल पहुंची जहां पर डाक्टरों ने दलित युवक आशीष निवासी गांव सुआखेड़ी को मृत घोषित कर दिया। गंभीर रुप से घायल हैदर और छह अन्य दलितों की हालत नाजुक होने के चलते हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। गांव में अर्द्धसैनिक बल और पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया है। डीएम एनपी सिंह और एसएसपी सुभाष चंद दुबे इस बाबत जवाब देने की स्थिति में नहीं कि हमला किस जाति के लोगों ने बोला।
मायावती के आने से पहली भी हुई हिंंसा
बसपा सुप्रीमो मायावती के पहुंचने से पहले सहारनपुर में बवाल प्रभावित गांव शब्बीरपुर में फिर से जातीय हिंसा हो गई। दलित और ठाकुरों में फिर जमकर बवाल हुआ। आगजनी की गई और एक दूसरे पर पथराव किया गया। इस हिंसा में जहां भीम आर्मी के कुछ सदस्यों ने ठाकुर बिरादरी के दो घरों में आग लगा दी, वहीं ठाकुरों ने भी फायरिंग और जमकर धारदार हथियार चलाए। गोली और तलवार लगने से तीन दलित घायल हो गए। यहां दलित सरसावा के रहने वाले बताए जाते हैं। गांव में तनावपूर्ण स्थिति बनी है और पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया है।
ठाकुर और दलित आमने-सामने
ज्ञात हो कि विगत पांच मई को गांव शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा के बााद बसपा सुप्रीमो मायावती को इस गांव में आना था। बताया जाता है कि मायावती जनपद की सीमा में प्रवेश कर गई थी, लेकिन गांव शब्बीरपुर नहीं पहुंच पाई थी, इसी बीच भीम आर्मी के कुछ सदस्यों का किसी बात को लेकर गांव के ही ठाकुर बिरादरी के लोगों से कहासुनी हो गई, यह कहासुनी इतनी बढ़ी कि भीम आर्मी के सदस्यों ने गांव के ठाकुरों के दो घरों में आगजनी कर दी। इसके बाद तो दोनों पक्ष आमने सामने आग गए।
दोनों पक्षों के बीच तलवारें, गोलियां चलीं
दोनों पक्षों की ओर से फायरिंग और पथराव किया गया। ठाकुर बिरादरी की ओर से धारदार हथियार भी चलाए गए। गोली लगने से सरसावा निवासी एक युवक गंभीर रुप से घायल हो गया, जबकि तलवार लगने से सरसावा के ही दो युवक घायल हुए हैं।
बवाल के बाद गांव की स्थिति तनावपूर्ण
किसी तरह से पुलिस फोर्स ने स्थिति को नियंत्रित किया। डीएम एनपी सिंह और एसएसपी सुभाष चंद दूबे गांव में डेरा डाले हुए हैं। गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी। सुरक्षा के लिहाज से गांव में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
शब्बीरपुर के पीड़ितों को आर्थिक सहायता देगी बसपा
जनपद के बड़गांव थाना क्षेत्र के गांव शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद करीब बीस दिन बाद बसपा सुप्रीमो मायावती मंगलवार को गांव शब्बीरपुर पहुंची और पीड़ित दलितों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर दलितों पर अत्याचार सहन नहीं किया जाएगा। आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश में जातीय दंगे करा रही है। मायावती ने घोषणा की कि बसपा के पार्टी फंड से पीड़ित दलितों को 50 और 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
पहले भी शब्बीरपुर में हुई हिंंसा
ज्ञात हो कि विगत पांच मई को जातीय संघर्ष हो गया था, जिसमें करीब एक दर्जन दलित परिवारों के मकानों को आग लगा दी गई थी। करीब बीस दिन बाद मंगलवार शाम करीब पौने पांच बजे मायावती गांव शब्बीपुर पहुंची। गांव पहुंचने पर उन्होंने आगजनी के शिकार हुए दलित परिवारों के घर जाकर स्थिति और नुकसान का जायजा लिया। कहा कि जो भी हुआ वह बेहद गलत हुआ। उन्होंने पीड़ितों से सवाल किया कि दंगे के बाद सरकार ने आर्थिक मदद की जो घोषणा की थी, क्या उस घोषणा के अनुसार दलितों को मुआवजा दिया गया, जिस पर पीड़ित परिवारों ने बताया कि एक दो को छोड़कर किसी अन्य पीड़ित को कोई मुआवजा जिला प्रशासन ने उपलब्ध नहीं कराया है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को भरोसा दिलाया कि बसपा पूरी तरह से उनके साथ है।
'भाजपा सरकार में हो रहे हैं जातीय दंगे'
पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने गांव स्थित आश्रम में आयोजित सभा को भी संबोधित किया। उन्होंने मंच से घोषणा की कि बसपा के अपने पार्टी फंड से पीड़ितों को आर्थिक मदद मुहैया कराई जाएगी। कहा कि जिनके घर जले हैं, उनको पचास हजार रुपये और जिनका कम नुकसान हुआ है, उन्हें 25 हजार रुपये बसपा द्वारा प्रदान किए जाएंगे। मायावती ने कहा कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, तभी से राज्य में जातीय दंगे हो रहे हैं। यह सरकार कानून व्यवस्था कायम करने में पूरी तरह से फेल हो रही है। जातीय दंगों में दलित और पिछड़ों को निशाना बनाया जा रहा है। राज्य के संभल में भी जातीय दंगा हो चुका है और अब सहारनपुर सुलग रहा है।
'योगी सरकार नहीं चाहती कि दलितों का विकास हो'
उन्होंने कहा कि उन्हें सुबह ही सहारनपुर आना था, लेकिन योगी सरकार के इशारे पर सहारनपुर के जिला प्रशासन ने हैलीपेड बनाने की अनुमति नहीं प्रदान की, जिस कारण उन्हें दिल्ली से सड़क मार्ग से सहारनपुर आना पड़ा। उन्होंने कहा कि सड़क मार्ग से आने और अब उनके वापस लौटने पर उनकी जान को खतरा है। वापस लौटते वक्त यदि उन्हें कुछ होता है तो इसके लिए पूरी तरह से प्रदेश की योगी सरकार जिम्मेदार होगी। कहा कि वह जल्दी गांव में आ सकती थी, लेकिन उन पर मामला भड़काने का आरोप न लगे, इसलिए अब शांत वातावरण में आई हूं। कहा कि प्रदेश में दलितों और पिछड़ों के साथ ज्यादती हो रही है। जिस पर योगी सरकार पूरी तरह से साइलेंट है। सहारनपुर में जो हुआ, उस सरकार की चुप्पी इस ओर इशारा करती है कि यह सरकार नहीं चाहती कि प्रदेश में दलितों का विकास हो। दलित पीड़ितों को एक एक लाख रुपये देने की घोषणा की गई थी, लेकिन पांच छह लोगों को ही 25-25 हजार रुपये दिए गए।
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