11 विधायक देने वाला विंध्याचल योगी के मंत्रिमंडल से क्यों है मायूस?
विंध्याचल मंडल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा को 11 विधायक दिए हैं फिर भी योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में यहां से कोई भी जगह नहीं पा सका।
मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यानथ की मंत्रिमंडल एक्सप्रेस मां विंध्यवासिनी की नगरी को बिना छुए ही गुजर गई। विंध्याचल मंडल से विधानसभा तक पहुंचने वाले 12 में 11 विधायकों में से किसी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। शपथग्रहण समारोह के शुरू से अंत तक लोग जगह-जगह टीवी स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहे। लोगों ने कहा कि एक बार फिर से प्रदेश के मानचित्र में पिछड़े जिलों मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही को उपेक्षा ही हाथ लगी।
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दो जिलो में क्लीन स्वीप, 11 विधायक जीते
विंध्याचल मंडल में 12 विधानसभा सीटें हैं। भदोही जिले के ज्ञानपुर विधानसभा को छोड़ दिया जाए तो मिर्जापुर की पांच, सोनभद्र की चार और भदोही की दो विधानसभा सीटों से भाजपा और सहयोगी दलों के 11 विधायक चुने गए हैं। मिर्जापुर और सोनभद्र में क्लीन स्वीप किया। यही नहीं सभी विधायकों ने अपने प्रतिद्वंदियों को बड़े वोटों के अंतर से हराया है।
युवा और स्वच्छ छवि के हैं अधिकांश विधायक
11 विधायको में अधिकांश युवा हैं। युवाओं में महिला के रूप में सुचिस्मिता मौर्य का भी नाम है। इसके साथ ही कई विधायक मंत्री बनने की योग्यता भी रखते हैं और उनको लंबा राजनीतिक अनुभव भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह भी हमेशा से युवाओं को आगे करने की बात करते आ रहे हैं। लेकिन यूपी में जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो आदिवासी व पिछड़े इलाके से चुने गए प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में मौका नहीं मिला। जिससे वह अपने इलाके की समस्याओं के समाधान के लिए भी कुछ कर सकें।
पूर्वांचल में विध्याचल मंडल को मायूसी हाथ लगी
पूर्वांचल की बात करें तो विंध्याचल मंडल के इन तीनों जिलों को छोड़कर सभी जिलों के किसी न किसी को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इससे लोगों में मायूसी है। लोगों ने तो यहां तक कहा कि विंध्याचल मंडल का हक बनता था कि कम से कम तीनों जिलों को एक-एक मंत्री पद मिलना चाहिए था। लगातार हो रही उपेक्षाओं से इलाके का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है।
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी के चलते भी पड़नी चाहिए नजर
मां विंध्यवासिनी का क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में एक है। भाजपा की राजनीतिक पृष्ठिभूमि और योगी को मुख्यमंत्री बनाकर दिया गया संदेश भी धार्मिक है। इस लिहाज से भी विंध्य क्षेत्र का नाम मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना चाहिए था। मजे की बात तो यह है कि पहली बार विधानसभा में नगर विधायक के रूप में विंध्याचल के तीर्थपुरोहित रत्नाकर मिश्र भी चुनकर गए हैं। उन्होंने तीन बार के विधायक व राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया को चित करके यह उपलब्धि हासिल की है। यही नहीं सात बार के विधायक और पूर्व मंत्री रहे ओमप्रकाश के बेटे अनुराग सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पायी।
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