वाराणसी में 25 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? 6 महीने बाद मिलेगा जवाब
15 अक्टूबर 2016 को वाराणसी के राजघाट पुल पर समागम के दौरान एक दुखदायी हादसा हुआ था जिसमें प्रशासन की इस मुद्दे पर उदासीनता के कारण न्याय मिलने की संभावना धूमिल होती जा रही हैं।
वाराणसी। बीते वर्ष 15 अक्टूबर को वाराणसी के राजघाट पुल पर समागम के दौरान एक दुखदायी हादसा हुआ था। इस हादसे में श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मचने से 25 लोगों की मौत और कई संख्या में लोग घायल हुए थे। लेकिन वहीं, जांच आयोग को रिपोर्ट न सौंपने और प्रशासन की इस मुद्दे पर उदासीनता के कारण न्याय मिलने की संभावना धूमिल होती जा रही हैं। गौरतलब है कि जस्टिस राजमणि चौहान ने इस मामले की अवधी 6 महीने के लिए बड़ा दी है। ये भी पढ़ें:वाराणसी: चुनावी चेकिंग के दौरान 10 लाख रुपए और 4 किलो चांदी बरामद
क्या
हुआ
था
15
अक्टूबर
को?
दरअसल,
वाराणसी
में
15
अक्टूबर
को
जय
गुरु
देव
के
पंकज
सिंह
गुट
का
समागम
वाराणसी
के
ही
पड़ाव
में
होना
था
।
जिसके
लिए
पूरे
देश
से
अनुयायी
यहां
आये
हुए
थे।
इस
समागम
में
सुबह
फेरी
शुरू
हुई
थी
जिसमें
लाखो
भक्त
शामिल
हुए
थे।
इसी
दौरान
पूरे
शहर
से
होते
हुए
जब
फेरी
राजघाट
पुल
पर
पहुंची
तो
किसी
अफवाह
के
चलते
लोगों
में
भगदड़
मच
गई
जिसमें
25
लोगों
की
मौके
पर
ही
मौत
हो
गयी
थी
और
100
से
ज्यादा
अनुयायी
घायल
हो
गए
थे।
कब
बैठा
था
जांच
आयोग?
घटना
के
करीब
एक
महीने
बाद
राज्य
सरकार
ने
एक
सदस्यीय
हाईकोर्ट
के
पूर्व
न्यायधीश
राजमणि
चौहान
के
नेतृत्व
में
घटना
को
लेकर
न्यायिक
जांच
आयोग
का
गठन
किया
गया।
जिसकी
रिपोर्ट
दो
महीने
में
देनी
थी,
लेकिन
प्रशासनिक
अधिकारियों
की
उदासीनता
के
कारण
अभी
तक
जांच
की
रिपोर्ट
वही
हैं
जहां
से
शुरू
हुई
थी।
क्या
कहा
आयोग
के
चेयरमेन
ने?
सर्किट
हाउस
में
एक
पत्रकार
वार्ता
के
दौरान
जांच
कमीशन
के
चेयरमेन
राजमणि
चौहान
ने
बताया
कि
अभी
तक
प्रशासन
की
तरफ
से
एकमात्र
प्रशासनिक
अधिकारी
(एसडीएम
चंदौली)
ने
ही
अपना
बयान
आयोग
के
सामने
दर्ज
करवाया
है।
बता
दें
कि
बार-बार
नोटिस
देने
के
बावजूद
भी
कानूनी
तौर
पर
उस
समय
के
वाराणसी
जनपद
के
किसी
भी
अधिकारी
ने
आयोग
के
सामने
आकर
अपना
आधिकारिक
बयान
दर्ज
नहीं
करवाया
है।
जिसकी
वजह
से
कमिशन
की
जांच
रिपोर्ट
पूरी
नहीं
हो
पाई
है
और
इसलिए
कमीशन
को
6
महीने
का
समय
विस्तार
दिया
गया
है।
वहीं, घटना के बाद दबाव के चलते घटना के दौरान राज्य सरकार ने एक सदस्सीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। लेकिन न्यायिक आयोग को उचित प्रशासनिक सहयोग न मिलने के कारण भगदड़ मामले में हुई मौतों के जिम्मेदार को भी सजा मिलने की सम्भावना खत्म होती दिख रही है। ये भी पढ़ें: मोदी के गढ़ में पलटा जाएगा हाईकमान का फैसला, विरोध के आगे टेके घुटने