मोदी की राह को मुश्किल बनाते पार्टी के बागी नेता
इस बार के चुनाव में वराणसी की आठ विधानसभा सीटों के लिये 127 उम्मीदवार मैदान में हैं।इनके भाग्य का फैसला 27 लाख 80 हजार वोटर करेंगे।
वाराणसी। विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ काशी पर हैं जहां इस बार के चुनाव में 27 लाख 80 हजार वोटर वाराणसी के आठ विधानसभा सीट के प्रत्याशियों का अपने तरीके से उनके भाग्य का फैसला करेंगे। अगर पिछले चुनावों के आंकड़े देखे जायें तो वाराणसी शहर की विधानसभा सीटों में बीजेपी सभी दलों पर भारी पड़ी है।
लेकिन रूरल एरिया में दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी भी जीते हैं।लेकिन इस बार के चुनावों में पार्टियों को विरोधियों के साथ-साथ पार्टी से बागी हुये लोगों से भी जूझना पड़ेगा।जो इस बार के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक रहे हैं।
वाराणसी कैण्ट से सबसे ज्यादा उम्मीदवार
विधानसभा चुनाव में सोमवार को प्रत्याशियों के नाम वापसी के दिन कई नाटकीय मोड़ सामने आये , रोहनिया विशनसभा से कृष्णा पटेल के बेटी पल्लवी नेअपनी माँ का पर्चा वापस ले लिया।तो कैण्ट विधानसभा से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बावजूद रीबू के नामांकन के बाद शुरू हुई टकराव भी खत्म हो गया।अब रीबू के पर्चा वापसी के बाद अनिल श्रीवास्तव ही सपा और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी हैं।
एमए वाराणसी में 133 लोगो ने अपने दावे पेशकिये थे जिनमें 6 लोगो के नाम वापसी के बाद अब 127 दावेदार बचे हैं. अगर हम आठों विधानसभा सीटों के अलग अलग- आंकड़े देखे तो अब कैण्ट विधानसभा में सबसे ज्यादा 27 प्रत्याशी, शिवपुर में 18 , उत्तरी विधानसभा में 17 , दक्षिणी में 17,सेवापुरी में 15 और अजगरा , पिंडरा और रोहनिया में 12 -12उम्मीदवार मैदान में हैं।
उत्तरी विधानसभा
उत्तरी
सीट
से
भाजपा
ने
रविन्द्र
जायसवाल
को
टिकिट
दिया
है।
जो
यहां
से
विधायक
भी
हैं
पिछले
चुनाव
में
हुयी
कांटे
की
टक्कर
रवींद्र
जयसवाल
ने
सुजीत
मौर्य
को
मात
दी
थी।
यदि
यहां
के
पिछले
आकड़ो
पर
नजर
डाले
तो
भाजपा
के
रविन्द्र
जयसवाल
को
47889
मत,
बसपा
के
सुजीत
मौर्या
को
45844
मत,और
सपा
के
समद
अंसारी
को
37434
मत
मिले
थे।
रविन्द्र
के
सामने
एक
बार
फिर
सपा
और
कांग्रेस
के
संयुक्त
उम्मीदवार
हैं
समद
अंसारी
और
बसपा
के
सुजीत
मौर्या
हैं।और
दो
उम्मीदवार
बीजेपी
के
बागी
हैं।
दक्षिणी विधानसभा
इस
सीट
से
भाजपा
के
टिकट
पर
चुनाव
लड़ने
वाले
नीलकंठ
तिवारी
पेशे
के
वकील
हैं
।इन्हें
यहां
पार्टी
के
कार्यकर्ताओं
का
पूरा
समर्थन
नहीं
मिल
रहा
है।
जिसका
कारण
भाजपा
ने
यहां
से
वर्तमान
विधायक
का
टिकट
काटकर
नीलकंठ
तिवारी
को
टिकट
दिया
है।
कांग्रेस
और
समाजवादी
पार्टी
ने
मिलकर
राजेश
मिश्रा
को
अपना
प्रत्याशी
बनाया
है
जो
पूर्व
सांसद
भी
रह
चुके
हैं
।पिछले
चुनाव
बीजेपी
को57868
मत,
कांग्रेस
को
44046
मत
,
बार
इस
दंगल
में
भाजपा
से
नीलकंठ
तिवारी,
सपा
-
कांग्रेस
प्रत्याशी
राजेश
मिश्रा
,
बसपा
प्रत्याशी
राकेश
त्रिपाठी
हैं
शिवपुर विधानसभा
इस विधानसभा सीट पर कभी भी एक पार्टी का राज कायम नहीं रहा है। 2012 के चुनाव में ये सीट बसपा के पास थी।जबकि इस बार भाजपा ने समाजवादी पार्टी से भाजपा में आने अनिल राजभर को अपना प्रत्याशी बनाया हैं तो इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने आनंद मोहन यादव "गुड्डू" को प्रत्याशी बनाया है जो अखिलेश यादव के करीबी हैं , बसपा ने सीट से पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है।पिछले चुनाव में बसपा को 48716 वोट, सपा को 36084 वोट मिले थे ।
रोहनिया विधानसभा
रोहनिया
विधानसभा
सीट
अपना
दल
का
गढ़
रही
है।
क्योंकि
सोने
लाल
पटेल
यहीं
से
चुनाव
लड़ते
थे।और
जीतते
थे
।उनके
बाद
उनकी
बेटी
अनुप्रिया
यहां
से
पहली
बार
विधायक
बनीं।लेकिन
बीते
उपचुनाव
में
ये
सीट
समाजवादी
पार्टी
के
खाते
में
चली
गयी।इसी
सीट
को
लेकर
अनुप्रिया
और
भाजपा
में
तनातनी
भी
हुयी
थी।
आखिर
में
भाजपा
प्रत्याशी
के
लिए
उन्हें
मना
लिया।यहाँ
भाजपा
ने
सुरेंद्र
नारायण
को
समाजवादी
पार्टी
ने
महेंद्र
सिंह
पटेल
को
और
बसपा
ने
प्रमोद
कुमार
को
प्रत्याशी
बनाता
हैं
जबकि
पिछले
चुनाव
में
अपना
दल
को
57812
मत
,
बसपा
को
40229
मत
पर
उप
चुनाव
में
अपना
दल
की
कृष्णा
पटेल
को
हार
का
सामना
करना
पड़ा
था
उन्हें
61672
वोट
और
वर्तमान
विधायक
सपा
के
महेंद्र
पटेल
को
76121
वोट
मिले
थे।
पिंडरा विधानसभा
इस
सीट
का
निर्णय
यहां
के
वोटर
पार्टी
को
देखकर
नहीं
बल्कि
व्यक्ति
को
देखकर
करते
हैं
।यहां
से
भाजपा
से
निष्कासित
हुये
अजय
राय
विधायक
हैं।उन्होने
मुरली
मनोहर
जोशी
का
खुलेआम
विरोध
किया
था।जिससे
उन्हें
पार्टी
से
निकाल
दिया
गया
था।
वे
कांग्रेस
में
शामिल
हो
गये
थे।2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
ने
उन्ं
हेप्रधानमंत्री
के
खिलाफ
अपना
प्रत्याशी
भी
बना
दिया
वैसे
तो
इस
बार
के
चुनाव
में
इस
सीट
पर
कांग्रेस
के
अजय
राय
,भाजपा
के
अवधेश
सिंह
,और
बसपा
के
बाबूलाल
अपना
भाग्य
आजम
रहे
हैं
पर
सपा
और
कांग्रेस
का
पलड़ा
यहां
भी
भारी
है
सेवापुरी विधानसभा
यहां
के
विधायक
सुरेंद्र
पटेल
जो
वर्तमान
में
समाजवादी
पार्टी
के
प्रत्याशी
है
और
इस
सरकार
में
पीडब्लूडी
राज्य
मंत्री
भी
हैं।सुरेन्द्र
पटेल
काफी
लम्बे
समय
से
यहां
के
विधायक
हैं।सुरेंद्र
पटेल
ये
मानते
हैं
की
समाजवाद
की
साईकिल
पर
इस
विधानसभा
में
ब्रेक
नहीं
लग
सकता।
इनके
अलावा
महेंद्र
कुमार
पाण्डेय
और
अपना
दल
ने
नील
रतन
पटेल
"नीलू"
को
अपना
प्रत्याशी
बनाया
हैं
और
खुद
अनुप्रिया
अपने
पार्टी
के
लिए
यह
दम
झोकने
को
तैयार
है
अजगरा विधानसभा
पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बसपा बुरी तरह हार गयी थी।लेकिन अजगरा सीट से बसपा के त्रिभुवन राम जीते थे।इसलिये इस बार फिर से बसपा ने उन पर भरोषा जताया है और यहां से टिकट दिया है।समाजवादी पार्टी से लालजी सोनकर, भाजपा और अपना दल गठबंधन से प्रत्याशी कैलाश नाथ सोनकर चुनावी मैदान में हैं।
अब देखने वाली बात ये होगी की आने वाला 11 मार्च मोदी की काशी के इन आठ विधानसभा में किसे अपना विधायक चुनती हैं
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