यूपी: PWD इंजीनियर के बेडरूम में 50 लाख रुपये काला धन, कहा- रिश्वत लेना कोई बुराई नहीं
नोटबंदी के ऐलान के बाद कुछ लोगों ने काले धन का इस्तेमाल करने के लिए सोना खरीद लिया, कुछ ने अमेरिकी डॉलर और यूरो खरीदा। कुछ लोगों ने अपने घरों की ईएमआई को बैक डेट में जमा करवा दिया।
लखनऊ। देश में हर तरफ नोटबंदी के फैसले पर कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना हो रही तो कहीं लोग उन्हें कोस रहे हैं। लेकिन इस बीच एक इंजीनियर ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए दावा किया है कि उसके पास 50 लाख रुपये से ज्यादा कालाधन है लेकिन वह उसे अपने तरीके से सफेद कर लेगा।
काला धन वह है जिसके लिए टैक्स नहीं चुकाया गया। वह पैसा जो रिश्वत के जरिए कमाया गया है या तमाम गलत धंधों के जरिए जुटाया गया है। इंजीनियर ने दावा किया कि उसके बेडरूम में करीब 50 लाख रुपये रखे हैं जो काला धन है।
'रिश्वत लेना टैबू नहीं है'
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) से बात करने वाले उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग (PWD) में काम करने वाले इंजीनियर ने कहा कि जब 8 नवंबर की शाम उसने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना को कुछ देर के लिए सब कुछ समझ से परे था। लेकिन धीरे-धीरे दिमाग शांत हो गया।
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इंजीनियर ने बताया कि वह रिश्वत के जरिए लाखों करोड़ों रुपये सिर्फ उसने नहीं जमा किए। उसके विभाग में काम करने वाले दूसरे साथी भी ऐसे ही मोटी रकम जमा करते रहे हैं। उसने कहा कि रिश्वत अब किसी भी बिजनेस के लिए पेशे की तरह हो गई है। धंधा करना है तो रिश्वत देनी ही पड़ेगी। ये रिश्वत कॉन्ट्रैक्ट पाने वाले लोग देते हैं। उसने गर्व के साथ कहा कि सरकारी नौकरी में रहते हुए रिश्वत लेना टैबू नहीं है।
मोदी सरकार के ऐलान से मुश्किल में जनता
मोदी सरकार ने 8 नवंबर को ऐलान किया कि 500 और 1000 रुपये के नोट पर पाबंदी लगाई जाएगी। यह देश में मौजूद करंसी का 86 फीसदी हिस्सा था। इनकी जगह पर सरकार ने 2000 रुपये और 500 रुपये के नए नोट जारी किए हैं। सरकार का कहना था कि इससे काला धन या तो बाहर आएगा या फिर अंदर ही बेकार हो जाएगा। लेकिन एक समस्या यह भी है कि जिस देश में बड़ी संख्या में लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं है उनका वैध पैसा भी बर्बाद ना हो जाए।
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सीनियर्स को देने पड़ते हैं महंगे तोहफे
लखनऊ में अपने आवास में बैठे हुए इंजीनियर ने कहा, 'कमीशन के तौर पर पैसा लेने में कोई बुराई नहीं है। हर त्योहार पर मुझे अपने सीनियर्स को महंगे तोहफे देने पड़ते हैं। इनमें महंगी घड़ियां, सूट और सोने के तोहफे भी होते हैं। उनके बच्चों तक के लिए तोहफे देने पड़ते हैं। क्या आपको लगता है कि ये सब मैं अपनी सैलरी से कर सकता हूं?'
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उसने बताया कि जो रकम रिश्वत के तौर पर उसे मिलती है वह कोई भी प्रोजेक्ट फाइनल होने पर उसके इस्टीमेट के साथ ही तय हो जाती है। किसी से मांगने की जरूरत नहीं होती रिश्वत की रकम फिक्स होती है। हर प्रोजेक्ट पर अलग-अलग रेट होता है। टेंडर से लेकर प्रोजेक्ट पूरा होने तक हर स्तर पर। ऊंचे दर्जे पर बैठे मंत्री से लेकर फाइल देखने वालों तक को कमीशन मिलता है।
'जब अनपढ़ नेता कमा सकता है तो अधिकारी क्यों नहीं'
इंजीनियर ने कहा, 'मैं जो भी रिश्वत लेता हूं उसकी किसी से तुलना नहीं है। मैं एक हैचबैक कार में घूमता हूं जबकि दूसरे लोग एसयूवी और सेडॉन कारों में जाते हैं। क्या मेरे सीनियर ये देखते नहीं होंगे?'
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सिविल सर्विसेज में करीब 30 साल तक रहने के बाद रिटायर एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि रिश्वत की लत जिसे लगती है वो फिर छूटती नहीं। एक ब्यूरोक्रेट एक अनपढ़ नेता को कानूनों की आड़ में पैसे कमाना सिखाता है। ऐसे में जब एक नेता पैसा कमा सकता है तो वो खुद क्यों नहीं?
काले धन को लोगों ने ऐसे किया सफेद
नोटबंदी के ऐलान के बाद कुछ लोगों ने काले धन का इस्तेमाल करने के लिए सोना खरीद लिया, कुछ ने अमेरिकी डॉलर और यूरो खरीदा। कुछ लोगों ने अपने घरों की ईएमआई को बैक डेट में करवाकर जमाकर दिया। कुछ लोगों ने रेलवे से लंबी दूरी के टिकट खरीद लिए ताकि बाद में कैंसिल कराकर नई करंसी हासिल की जा सके। इंजीनियर ने भी अपने पैसों को ठिकाने लगाने का रास्ता ढूंढ़ निकाला। उसने बताया कि वह पैसों को ठिकाने लगा चुका है। हालांकि उसने तरीका नहीं बताया कि कहां और कैसे पैसे खर्च किए हैं।