यूपी विधानसभा चुनाव 2017: ये चुनावी 'जंग' नई पीढ़ी के नेताओं की लोकप्रियता का टेस्ट है?
यूपी विधानसभा चुनाव में कई ऐसे नेता पहली बार मुकाबले में उतरे हैं जिनकी ठोस शैक्षिक पृष्ठभूमि है। उन्होंने पारिवारिक दबाव में या फिर खुद अपना करियर छोड़ कर सियासी गलियारे में कदम रखने का फैसला लिया।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी जंग तेज होती जा रही है। सभी सियासी दल अपनी-अपनी रणनीति के तहत अपने दांव चल रहे हैं। इस बार के यूपी चुनाव में केवल सत्ता की लड़ाई ही देखने को नहीं मिलेगी बल्कि इसमें कई बड़े नेताओं का भी टेस्ट है जिन्होंने पार्टी लाइन से अलग हटकर नई पीढ़ी को राजनीतिक विरासत सौंपने की तैयारी की है। अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की बात करें तो अखिलेश यादव और राहुल गांधी यूपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका दावा है कि गठबंधन का उन्हें फायदा मिलेगा और यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनेगी। यूपी चुनाव में विभिन्न दलों में कई बड़े नेता हैं जिनके बेटे या बेटी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाने उतरे हैं।
कई बड़े नेताओं के बेटा-बेटी शुरु कर रहे सियासी पारी
यूपी विधानसभा चुनाव में कई ऐसे नेता पहली बार मुकाबले में उतरे हैं जिनकी ठोस शैक्षिक पृष्ठभूमि है। उन्होंने पारिवारिक दबाव में या फिर खुद ही अपना करियर छोड़ कर सियासी गलियारे में कदम रखने का फैसला लिया है। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से साफ किया हो कि वो अपने करीबियों के लिए चुनावी टिकट नहीं मांगे, बावजूद इसके इस बार चुनाव में कई ऐसे नए चेहरे हैं जिन्हें बीजेपी ने इसी आधार पर टिकट दिया है।
बीजेपी ने कई बड़े नेताओं के बेटे-बेटी को दिया टिकट
बीजेपी की बात करें तो केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे और यूपी बीजेपी के महासचिव पंकज सिंह को पार्टी ने नोएडा से चुनाव मैदान में उतारा है। पंकज सिंह को नोएडा की मौजूदा बीजेपी विधायक बिमला बाथम की जगह पर टिकट दिया गया है। 38 वर्षीय पंकज सिंह एमिटी यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। साल 2002 में पंकज राजनीति में सक्रिय हुए। राजस्थान के राज्यपाल और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को भी बीजेपी ने टिकट दिया है। संदीप सिंह को परिवार की पारंपरिक अतरौली सीट से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। संदीप सिंह, इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। ये उनका पहला चुनाव है। अतरौली सीट से कल्याण सिंह 10 विधायक बने।
बीजेपी का दांव कितना होगा कामयाब?
बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को भी बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। मृगांका कई निजी स्कूल चलाती हैं। पार्टी ने कैराना से मृगांका को टिकट दिया है। बीजेपी ने लखनऊ पूर्व से विधायक आशुतोष टंडन 'गोपालजी' को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। आशुतोष टंडन 'गोपालजी' , बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन के बेटे हैं। उन्होंने पिछले उप-चुनाव में जीत हासिल करके विधायक बने। गोंडा से सांसद बृज भूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण को भी इस चुनाव में बीजेपी ने टिकट दिया है। प्रतीक ने मेलबर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।
कांग्रेस ने भी बड़े नेताओं के बच्चों पर लगाया है दांव
कांग्रेस की बात करें तो पार्टी ने लंदन से मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन करके लौटी अदिति सिंह को टिकट दिया है। अदिति सिंह, बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी हैं। कांग्रेस ने अदिति को पारंपरिक रायबरेली सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पीएल पुनिया के बेटे 32 साल के तनुज पुनिया बाराबंकी के जैदपुर सीट से चुनाव मैदान में कदम रखेंगे। उन्होंने आईआईटी रुड़की से पढ़ाई की है और केमिकल इंजीनियर रहे हैं।
सपा-बसपा भी ये दांव खेलने में पीछे नहीं
समाजवादी पार्टी की बात करें तो पार्टी ने 27 साल के अब्दुल्ला आजम को रामपुर के स्वार टांडा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। अब्दुल्ला आजम ने एमटेक की पढ़ाई की है। जिस विधानसभा चुनाव से सीट से उन्हें टिकट दिया गया है उस पर उनके पिता आजम खान का अच्छा प्रभाव है। समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और अखिलेश यादव सरकार में मंत्री नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल हरदोई सीट से चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने पुणे से एमबीए किया है। बीएसपी ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। अब्बास अंसारी राष्ट्रीय स्तर के शूटर और तीन बार राष्ट्रीय चैंपियन रहे हैं। मुख्तार अंसारी हाल ही बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए हैं।