'यूपी चुनाव में प्लीज गधों को बख्श दीजिए, उनकी बेइज्जती होती है'
सबसे पहले यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने गधों को चुनावी सियासत में जगह दी। उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन से यह अपील की कि वह गुजरात के गधों का प्रचार ना करें।
नई दिल्ली। अंग्रेजी में एक कहवात है ''Every Dog Has A Day'' और ये कहावत इन दिनों 'गधों' पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। ये चुनावी मौसम की खूबी है कि जिन गधों को कोई नहीं पूछता अब वो मशहूर हो गए हैं। अब एनिमल एक्टीविस्टों ने इसपर आपत्ति जताई है और कहा कि ''कृप्या गधों को बख्श दें।'' इसके पीछे कारण देते हुए एनिमल एक्टिविस्टों का कहना है कि ''जब आप किसी आदमी की तुलना गधे से करते हैं तो आप आदमी की तो तारीफ करते हैं, लेकिन गधों की बेइज्जती होती है।''
ऐसा इसलिए क्योंकि ये बेचारे जानवर राजनेताओं से कहीं ज्यादा कड़ी मेहनत करते हैं। जानवरों की रक्षा के लिए काम करने वाली एक कार्यकर्ता तम्मना का कहना है कि गधे ज्यादा इमानदार और मेहनती होते हैं। उनका कहना है कि क्या आपने कभी किसी नेता को ऐसा देखा है।
कहां से शुरु हुआ राजनीति में गधे का जिक्र
सबसे पहले यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने गधों को चुनावी सियासत में जगह दी। उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन से यह अपील की कि वह गुजरात के गधों का प्रचार ना करें। दरअसल अखिलेश ने यह निशाना सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर लगाया था।
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अखिलेश ने कहा था कि गुजरात वाले टीवी पर गधों का प्रचार कराते हैं और यूपी में आकर श्मशान और कब्रिस्तान की बात करते हैं। अखिलेश ने इस पूरे विज्ञापन को पढ़कर भी सुनाया था। अखिलेश ने कहा, गुजरात के तो गधों का भी प्रचार किया जा रहा है और प्रधानमंत्री मुझ पर इलजाम लगाते हैं।
फिर पीएम मोदी ने किया पलटवार
पीएम मोदी ने अखिलेश यादव का गुजरात के गधों वाले बयान पर गुरुवार को जमकर निशाना साधा और गधे को प्रेरणा लेने वाला पशु बताया। पीएम ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में आलोचनाओं का सम्मान होना चाहिए लेकिन अखिलेश ने गधे पर हमला कर अपने डर का प्रदर्शन किया है। पीएम ने कहा, 'लोकतंत्र में मैं आलोचनाओं को प्यार से लेता हूं।
अखिलेश जी मोदी पर हमला करें समझा जा सकता है लेकिन आपने गधे पर हमला कर दिया, यानी आपको गधों से भी डर लगने लगा क्या? पशु में भी ऊंच-नीच का भाव देखने लग गए। गधा आपको इतना बुरा लगने लगा।' मोदी ने कहा, 'अगर दिल-दिमाग साफ हो तो किसी से भी प्ररेणा ले सकते हैं। गधा अपने मालिक का वफादार होता है। कम खर्चे में पूरा काम करता है। गधा कितना भी बीमार हो, कितना भी थका हुआ हो, मालिक अगर काम लेता है तो बीमारी के बावजूद वह काम पूरा करता है।'