यूपी चुनाव: पहले चरण में बंपर वोटिंग, किसके लिए फायदा तो किसे देगा झटका?
पहले चरण में मुस्लिम वोटरों ने बीजेपी के विरोध में वोट किया है, कई सीटों पर बीएसपी और सपा-कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच ये वोट बंटे माने जा रहे हैं। जिससे इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में जिस तरह से मतदाताओं ने जमकर वोटिंग की है उससे सियासी दलों की रणनीति पर असर जरुर पड़ा है। पहले फेज में 64 फीसदी से ज्यादा मतदान दर्शाता है किसी एक दल के समर्थन में वोट नहीं पड़े हैं। जानकारों के मुताबिक मतदाताओं का वोट बंटा हुआ है। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 सीटों पर मतदान हुआ। पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ वहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। हालांकि वोटिंग ट्रेंड पर गौर करें तो इस बार मुस्लिम वोट बंटे हुए नजर आ रहे हैं।
पहले चरण में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
मुस्लिम मतदाताओं ने इस बार किसी एक दल को नहीं देकर बीजेपी को हराने के लिए उसके सामने जो मजबूत उम्मीदवार रहे उन्हें समर्थन किया है। चाहे वह उम्मीदवार बीएसपी का हो या फिर सपा-कांग्रेस गठबंधन का, मुस्लिम वोटरों ने एक मत से केवल बीजेपी को हराने के लिए मतदान किया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जमकर वोटिंग देखने को मिली थी, उस समय करीब 62 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ। ध्रुवीकरण और मोदी लहर के असर ने उस समय बीजेपी को मजबूत किया। हालांकि इस बार भी वोटिंग आंकड़ा बढ़ा लेकिन जानकारों की मानें तो इस बार बीजेपी के लिए सीधे फायदा मिलने की उम्मीद कम है। हालांकि कुछ सीटों पर बीजेपी आगे रहेगी, उसे फायदा मिलने की उम्मीद है।
मुस्लिम मतों में बंटवारे की उम्मीद
पहले चरण में मुस्लिम वोटरों ने बीजेपी के विरोध में वोट किया है लेकिन कई सीटों पर बीएसपी और सपा-कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच ये वोट बंटे हुए माने जा रहे हैं। जिसकी वजह से इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। ऐसी सूरत में मुस्लिम मतों का बंटवारा किसी एक को फायदा करने के बजाय बीजेपी के हक में जा सकता है। मुस्लिम बहुल इलाकों में इसका असर दिख सकता है। खास तौर से जहां मुस्लिम उम्मीदवार दो या उससे ज्यादा हैं।
11 फरवरी को हुआ पहले चरण का मतदान
जाट वोटरों की बात करें तो इस बार उनका वोट बीजेपी के समर्थन में जाने की उम्मीद की कम ही है। जिसका सीधा फायदा राष्ट्रीय लोकदल को मिलेगा। आरएलडी इस चुनाव में करीब दर्जनभर सीट पर टक्कर में दिख रही है। माना यही जा रहा है कि बीजेपी से नाराज जाट वर्ग आरएलडी के समर्थन में जाएगा। दूसरी ओर कांग्रेस-सपा गठबंधन के एक साथ आने की रणनीति भी इस वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन को फायदे की उम्मीद
सपा-कांग्रेस गठबंधन की वजह से भी इस बार वोटरों का मिजाज बदला हुआ माना जा सकता है। जानकारों के मुताबिक इस बार दलित वोटरों में सेंध की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि ये वर्ग कांग्रेस को समर्थन कर सकता है और समाजवादी पार्टी का साथ मिलने इस वर्ग के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। हालांकि कई सीटों पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को अपने ही विरोधियों से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को मिल सकता है फायदा
फिलहाल पहले फेज के चुनाव में सीधा मुकाबले के बजाय त्रिकोणीय मुकाबले के आसार ज्यादा हैं। हालांकि चुनावी जानकारों के मुताबिक फ्रंट फुट पर बीजेपी ही नजर आ रहा है। मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के शहरी इलाकों में ध्रुवीकरण की उम्मीद है, जिसे सीधे तौर पर बीजेपी के लिए फायदे संकेत दे रहे हैं। हालांकि सियासी गोलबंदी में वोटरों का मिजाज क्या रहेगा ये तो नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।
युवा वोटरों ने पहले चरण में की जमकर वोटिंग
जानकारों के मुताबिक इस बार के वोटिंग पैटर्न को देखें तो रिकॉर्ड मतदान की वजह है युवा वर्ग। युवाओं के बाहर निकलकर वोटिंग करने की वजह से आंकड़ा बढ़ा है। वहीं चुनाव आयोग की मानें तो उन्होंने मतदाताओं को वोटिंग के लिए प्रोत्साहित करने की जमकर कवायद की। जिसका असर हुआ और मतदाओं ने जमकर वोट डाले।
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