यूपी विधानसभा चुनाव 2017: युवा तय करेंगे प्रदेश का भविष्य, इस बार कौन बनेगा यूथ आइकॉन?
2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को शानदार जीत मिली। उस समय नरेंद्र मोदी ने विकास का मुद्दा उठाया, उन्होंने मतदाताओं के सामने गुजरात के विकास का मॉडल पेश किया और यूथ ऑइकॉन बने।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। ये चुनाव किसी एक्शन थ्रिलर से कम नहीं दिख रहा। इसकी वजह भी है क्योंकि इस बार चुनाव में मुकाबला समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के युवा नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच है।
क्या फिर से चलेगा मोदी का जादू?
पीएम मोदी 63 वर्ष की उम्र में साल 2014 के आम चुनाव में यूथ आइकॉन बन कर उभरे। जिस तरह से 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश के 814 मिलियन मतदाता 35 साल से नीते थे, उन्होंने कई पार्टियों को भविष्य बनाया तो कई को प्रभावित भी किया। ठीक उसी तरह से यूपी में इस बार के विधानसभा चुनाव में भी बड़ी ताकत युवाओं के हाथ में ही रहने की संभावना है।
2014 में मोदी की रणनीति को युवाओं ने किया पसंद
2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को शानदार जीत मिली। उस समय नरेंद्र मोदी ने विकास का मुद्दा उठाया, उन्होंने मतदाताओं के सामने गुजरात के विकास का मॉडल पेश किया, जिसे वोटरों ने समझा और उन्हें बहुमत दिया। अब एक बार फिर से युवाओं को ही फैसला लेना है। देश के बड़े प्रदेशों में शुमार यूपी की जंग में प्रधानमंत्री मोदी 66 साल के हो चुके हैं। इस बार यूपी के चुनाव की बात करें तो प्रदेश में 140 मिलियन मतदाता 35 साल से कम हैं। इनमें 25 लाख नए वोटर हैं जिनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच है। 38 मिलियन युवाओं की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। ऐसे में तय है कि वो अपनी सोच और जानकारी के राय बनाएंगे और सत्ता उसी को देंगे जिसे वो पसंद करेंगे।
युवा अखिलेश और राहुल बदलेंगे यूपी का सियासी गणित
हालिया वक्त में ऐसा पहली बार है जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता इस तरह से करीब आए हों, इसके पीछे भी युवा नेतृत्व का ही हाथ है। अखिलेश यादव और राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी और डिंपल यादव भी समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। उनके चुनाव प्रचार का अंदाज हो सकता है युवाओं को प्रभावित करे। दोनों ही पार्टियों के युवा नेताओं को अपने परिवार से जंग लड़कर अपनी पार्टी का नेतृत्व मिला है। चाहे अखिलेश यादव हों, जिन्हें अपने परिवार से करीब 6 महीने तक लड़ाई के बाद सपा में नेतृत्व हासिल हुआ। वहीं राहुल गांधी की बात करें तो उनका राज्याभिषेक समय के हाथ में है।
प्रदेश में इस बार 140 मिलियन मतदाता 35 वर्ष से कम
फिलहाल अखिलेश यादव के सामने अपनी लोकप्रियता को वोटों में तब्दील करने पर नजर है दूसरी ओर कांग्रेस भी सत्ता में आना चाहती है। पार्टी ने प्रदेश में पिछले 27 साल में एक भी चुनाव में जीत हासिल नहीं की है। बीजेपी की बात करें तो उसे सपा के बीच हुए घमासान और प्रदेश सरकार के खिलाफ लोगों के गुस्से का फायदा अपने पक्ष में आने की उम्मीद थी, हालांकि अभी हालात बदले हैं क्योंकि सपा और कांग्रेस का गठबंधन उनकी रणनीति को प्रभावित कर सकता है। अगर अंकगणितीय नजर से देखें तो 2012 के चुनाव में सपा का वोट शेयर 40 फीसदी के आस-पास था। वहीं बीजेपी के पास महज 15 फीसदी वोट शेयर थे, जबकि मायावती के पास 25.91 वोट शेयर थे। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 42 फीसदी पहुंच गया।
इस बार क्या होगा युवाओं का फैसला
यूपी चुनाव में सपा और कांग्रेस गठबंधन की तुलना बिहार के महागठबंधन से की जा रही है। जहां दो बड़े नेता नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ आए और उन्होंने बिहार में नरेंद्र मोदी की जीत के रास्ते में बड़ा रोड़ा अटका दिया। हालांकि बीजेपी ने मोदी के नेतृत्व में इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में शानदार जीत दर्ज कराई। फिलहाल यूपी में हुआ गठबंधन में नवयुवा भारत में युवाओं की शक्ति को पेश करता है। फिलहाल पूरी लड़ाई में युवाओं को रोल बेहद अहम है, इसमें अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच सहयोग का भी फायदा मिलेगा। हालांकि अभी इंतजार करना होगा कि युवा यूपी चुनाव में किस पार्टी के साथ खुद को ज्यादा जोड़ते हैं?
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