यूपी चुनाव: तीसरे चरण में अखिलेश के गढ़ पर दांव, क्या होगा वोटरों का फैसला
2012 के चुनावों पर गौर करें तो 69 सीटों में सपा ने कुल 55 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं बीएसपी के खाते में 6 सीटें गई थी। इस बार क्या है चुनावी समीकरण...
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण को लेकर मतदान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 19 फरवरी को तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस फेज में जिन जिलों में मतदान है, उनके नाम हैं....कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर देहात, कानपुर, फर्रखाबाद, हरदोई, सीतापुर और उन्नाव।
तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर मतदान
तीसरा चरण उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी अखिलेश यादव सरकार के लिए बेहद अहम है। यहां जिन सीटों पर मतदान है पिछले चुनाव उनमें से ज्यादातर सीटें समाजवादी पार्टी के पक्ष में गई थी। 2012 के चुनावों पर गौर करें तो 69 सीटों में सपा ने कुल 55 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं बीएसपी के खाते में 6 सीटें गई थी। बीजेपी को 5 और कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी, एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल किया। भले ही पिछली बार समाजवादी पार्टी ने अपने इस गढ़ में शानदार प्रदर्शन किया हो लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं।
सपा के गढ़ में अखिलेश की अग्निपरीक्षा
समाजवादी पार्टी पर इस बार अखिलेश यादव का कब्जा है। चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में घमासान के बाद पार्टी का पूरा नियंत्रण अखिलेश यादव के हाथों में है। बावजूद इसके अखिलेश यादव को कहीं न कहीं लगता है कि उनके चाचा शिवपाल यादव उनका गणित बिगाड़ सकते हैं। इस बात को उन्होंने इटावा की रैली में कबूल भी किया था। बता दें कि शिवपाल यादव जसवंतनगर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। उनके समर्थन में प्रचार के लिए मुलायम सिंह यादव ने भी सभा की थी। शिवपाल यादव ने नामांकन के दौरान नई पार्टी के गठन की बात कही थी। जिससे अखिलेश यादव काफी आहत नजर आए और उन्होंने इटावा की रैली में वोटरों से सहयोग की अपील की थी।
कांग्रेस से गठबंधन का दांव
इस बार के चुनाव में अखिलेश यादव को अपनों से ही झटके की उम्मीद ज्यादा लग रही है। दरअसल, इस बार उम्मीदवार तय करने में अखिलेश यादव का अहम रोल है। उन्होंने कई पूर्व नेताओं के टिकट काटे हैं और नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। अखिलेश यादव को लगता है कि पार्टी के बागी उम्मीदवार उनके लिए खतरा बन सकते हैं। इन्हीं वजहों से उन्होंने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन का दांव चला।
लखनऊ सीट पर मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू हैं सपा उम्मीदवार
तीसरे चरण के चुनाव में जिन बड़े उम्मीदवारों की किस्मत इवीएम में कैद होगी उनमें लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव सपा की उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में आई रीता बहुगुणा जोशी से है। रीता जोशी वर्तमान में लखनऊ कैंट से विधायक हैं। यहां से बीएसपी ने योगेश दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है। लखनऊ मध्य सीट की बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी ने रविदास मेहरोत्रा को उम्मीदवार बनाया है। रविदास मेहरोत्रा सपा के बड़े नेता और अखिलेश सरकार में मंत्री थे। उनका सीधा मुकाबला बीजेपी के ब्रजेश पाठक से हैं। बीएसपी ने राजीव श्रीवास्तव को यहां से मैदान में उतारा है।
इन बड़े उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में होगी कैद
लखनऊ पश्चिम की बात करें तो यहां से समाजवादी पार्टी ने मोहम्मद रेहान को टिकट दिया है। उनकी टक्कर बीजेपी के सुरेश श्रीवास्तव से मानी जा रही है। लखनऊ पूर्व सीट की बात करें तो ये भी हाईप्रोफाइल सीट है जहां बीजेपी पांच बार से चुनाव जीतती रही है। आशुतोष टंडन वर्तमान विधायक हैं और बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला कांग्रेस अनुराग सिंह से है। इनके अलावा इस फेज में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अनुराग यादव, नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल, कांग्रेस नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया की किस्मत इवीएम में कैद होगी। तीसरे चरण में कुल 826 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लगभग दो करोड़ 41 लाख मतदाता इस बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
बीजेपी, बीएसपी ने जमकर किया प्रचार
यूपी में जीत को लेकर भारतीय जनता पार्टी जी-जान लगाए हुए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समाजवादी पार्टी के गढ़ कन्नौज, इटावा और मैनपुरी में जमकर प्रचार किया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्नौज में चुनावी रैली को संबोधित किया और अखिलेश सरकार पर यूपी का विकास नहीं करने का आरोप लगाते हुए सीधा हमला किया। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी जमकर चुनाव प्रचार किया। उनका निशाना सपा के साथ-साथ बीजेपी भी रही। फिलहाल इस फेज में सबसे बड़ी परीक्षा समाजवादी पार्टी की है, देखना होगा कि उनके गढ़ में सेंध कौन सी पार्टी लगाती है।