यूपी विधानसभा चुनाव 2017: साइकिल मैकेनिक के बेटे को अखिलेश यादव ने दिया टिकट
सपा का टिकट हासिल करने वाले महेंद्र चौहान ने 2002 में ही उम्मीदवार बनाए जाने की मांग रखी थी, उस समय उन्हें बताया गया कि उनकी उम्र अभी कम है और उन्हें 2007 में टिकट दिया जाएगा। उस समय टिकट नहीं मिला।
वाराणसी। समाजवादी पार्टी में लंबी लड़ाई के बाद पार्टी का नेतृत्व हासिल करने वाले अखिलेश यादव ने खास पहल की है। उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव में अहम फैसला लेते हुए एक साइकिल मैकेनिक के बेटे को उम्मीदवार बनाया है। अखिलेश यादव ने गाजीपुर जिले के जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से महेंद्र चौहान को अपना उम्मीदवार बनाया है। महेंद्र चौहान के पिता साइकिल मैकेनिक हैं। बता दें कि सपा का चुनाव चिन्ह भी साइकिल ही है।
जहूराबाद से सपा उम्मीदवार बनाए गए महेंद्र चौहान
राम बचन चौहान, जिनकी जहूराबाद में ही कासिमाबाद रोड पर अपनी साइकिल ठीक करने की दुकान है। वो साइकिल ठीक करने के अपने काम में जुटे हुए थे, इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली की उनके बेटे को जहूराबाद से समाजवादी पार्टी का टिकट मिला है। इस जानकारी के बाद शुरू में तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उनके बेटे को सपा का टिकट मिला, हालांकि जब उन्हें पूरा विश्वास हो गया तो उन्होंने तुरंत ही इसकी जानकारी अपनी पत्नी गिरिजा देवी और दूसरे परिवारवालों को दी।
साइकिल पर सवार का अखिलेश का नया दांव
रामबचन चौहान ने कहा कि इस खबर ने मुझे चौंका दिया, मेरा बेटा सपा का उम्मीदवार चुना गया वो भी उस जहूराबाद सीट से जहां वर्तमान में विधायक पूर्व मंत्री शादाब फातिमा हैं। पिता से अलग महेंद्र, मानविकी में स्नातक हैं, वे इस फैसले के बाद भी बेहद शांत नजर आ रहे थे। महेंद्र चौहान ने कहा कि मैं अखिलेश भैया और प्रोफेसर साहब (रामगोपाल यादव) का शुक्रगुजार हूं, उन्होंने मुझे जहूराबाद से चुनाव लड़ने के योग्य समझा। मैं पूरी कोशिश करुंगा कि इलाके के लोगों की हरसंभव सहायता कर सकूं।
1995 से सपा में हैं महेंद्र चौहान
महेंद्र चौहान, 1995 से समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उस समय जहूराबाद से शिवपूजन चौहान को टिकट दिया गया था। उस समय महेंद्र चौहान 12वीं के छात्र थे। हालांकि शिवपूजन चौहान चुनाव हार गए थे लेकिन बाद में महेंद्र चौहान फुल टाइम वर्कर बन गए। महेंद्र ने बताया कि 1995 में वो सपा से जुड़े जब मुलायम सिंह यादव ने उनके समुदाय से जुड़े सदस्य को टिकट दिया। 1997 में महेंद्र डीसीएसके पीजी कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में महासचिव के पद के लिए चुनाव में उतरे। वो इस चुनाव में हार गए और गांव लौट कर पार्टी और लोगों की सेवा में जुट गए।
2002 में महेंद्र चौहान ने पहली बार सपा नेतृत्व से पहली बार मांगा टिकट
साल 2000 में महेंद्र की पत्नी मंजू चौहान जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव लड़ी और जीत हासिल की। 2002 में महेंद्र ने विधानसभा चुनाव मांगा, उस समय उन्हें बताया गया कि वो युवा हैं, साथ ही कहा गया कि 2007 में उन्हें टिकट दिया जाएगा। हालांकि उस समय पार्टी की ओर से सानंद सिंह को टिकट दिया गया और वो हार गए। 2012 में रामकरण दादा, जिन्हें पूर्वांचल का गांधी कहते हैं, उन्होंने मुलायम सिंह यादव से महेंद्र चौहान को टिकट की अपील की, लेकिन उस समय भी उन्हें टिकट नहीं मिला।
अखिलेश यादव के नेतृत्व में महेंद्र चौहान का पूरा हुआ सपना
अब जाकर उनका सपना पूरा हो गया है। महेंद्र, सपा के ओबीसी विंग के राज्य इकाई के कर्मी हैं। वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वाराणसी में रहते हैं। पार्टी के जिला अध्यक्ष राजेश कुशवाहा ने बताया कि महेंद्र सपा के कर्मठ कर्मचारी हैं। उन्हें पार्टी ने सियासी रणनीति को समझते हुए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इससे पार्टी को फायदा मिलेगा।
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