विधानसभा चुनाव 2017: यूपी का रण जीतने के लिए हाईटेक प्रचार में जुटे सियासी दल
पांच राज्यों के चुनाव में सोशल मीडिया बड़ा हथियार बनकर उभरा है। सभी सियासी दलों ने इस प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि पार्टियों ने खास तौर आईटी सेल का गठन किया है।
नई दिल्ली। यूपी के चुनाव समर में सभी सियासी दल जोर आजमाईश में जुटे हुए हैं। चुनावी शंखनाद के बाद उम्मीदवारों के चयन में मशगूल रही पार्टियां अब चुनाव प्रचार में जुटने की ओर अग्रसर हैं। माना जा रहा है कि सभी सियासी दलों की रणनीति प्रचार को लेकर अलग-अलग है। हालांकि एक हथियार ऐसा है जिसे कोई भी दल इस चुनाव में जरुर हथियाना चाहता है। प्रचार का वो हथियार है सोशल मीडिया। बीजेपी और कांग्रेस तो पहले ही चुनाव प्रचार के सोशल मीडिया और हाईटेक प्रचार को अपनाते रहे हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी इससे अछूते नहीं रहे हैं।
सियासी
दलों
के
लिए
प्रचार
का
अहम
माध्यम
बना
सोशल
मीडिया
पांच राज्यों के चुनाव में सोशल मीडिया बड़ा हथियार बनकर उभरा है। सभी सियासी दलों ने इस प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि पार्टियों ने खास तौर आईटी सेल का गठन किया है। इसके जरिए सभी दल अपने उम्मीदवारों की जानकारी के साथ-साथ अपनी पार्टी से जुड़ी अहम बातें मतदाताओं के बीच पहुंचा रहे हैं। यूपी में इस बार के चुनाव में युवाओं का रोल बेहद अहम रहने वाला है। ऐसे में उन्हें खुद से जोड़ने के लिए पार्टियों ने सीधे तौर सोशल मीडिया को हथियार के तौर पर इस्तेमाल की योजना बनाई है। बीजेपी और कांग्रेस तो पहले ही फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल साइट पर अपना पक्ष रख रहे थे। दूसरी ओर सपा और बसपा ने भी जिला इकाइयों का ट्विटर हैंडल बना रखे हैं। यूपी के सीएम अखिलेश यादव खुद ट्विटर पर सक्रिय हैं। समाजवादी पार्टी की ओर से हाईटेक रथ भी बनाया गया है। ये रथ विभिन्न चुनाव क्षेत्र से गुजरेगा। इस रथ में अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, राम गोपाल यादव और डिंपल यादव की तस्वीरें लगी हुई हैं। साथ ही नारा भी लिखा है इस हाईटेक रथ से सपा अपना पक्ष युवाओं के बीच रखने के लिए कर रही है।
सभी प्रमुख सियासी दलों का अपना ट्विटर हैंडल है। फेसबुक पर भी सभी पार्टियां सक्रिय हैं। वॉट्सऐप भी लगातार पार्टियों की रणनीति में शामिल है। नेताओं के भाषण से लेकर पार्टियों का संदेश और आरोप-प्रत्यारोप सभी कुछ वॉट्स ऐप के जरिए प्रसारित किया जा रहा है। सोशल मीडिया चुनावी जीत में कितना खास योगदान रखता है ये 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया। उस समय बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने हाईटेक प्रचार पर खास ध्यान दिया। अब इसी तर्ज पर सपा और बसपा भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। कांग्रेस में रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहले ही चुनावी जीत को लेकर अपनी सियासी रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने हाईटेक प्रचार को खास तरजीह दी है। फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कि आखिर हाईटेक प्रचार इन तरीकों से कितना फायदा किस सियासी दल को मिलेगा।
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