यूपी विधानसभा चुनाव 2017: मुस्लिम वोटरों के लिए मायावती ने चला ऐसा दांव, विरोधी हो जाएंगे चित
उत्तर प्रदेश में करीब 18 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं जिन्हें लुभाने की कवायद बीएसपी की ओर से की जा रही है। पार्टी को उम्मीद है कि मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए उनका ये दांव कामयाब होगा।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन की कवायद में जुटी बहुजन समाज पार्टी लगातार नई रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी की ओर से प्रदेश में सबसे पहले उम्मीदवारों का ऐलान किया गया। इतना ही नहीं अब चुनाव प्रचार को लेकर भी बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार नई रणनीति बना रही हैं। इसका पता इसी बात से चल जाता है कि पार्टी की ओर से दर्जनभर मौलवियों को चुनाव प्रचार के लिए उतारने की योजना बनाई जा रही है।
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यूपी चुनाव में कई ऐसी सीटें जहां मुस्लिम वोटरों का अहम योगदान होता है। कहा जाता है कि मुस्लिम मतदाता जिस भी दल को समर्थन करते उन्हें चुनावों फायदा जरूर मिलता है। बीएसपी की नजर इसी वोटबैंक पर सेंध लगाने की है। ऐसे पार्टी ने करीब 12 मौलवी को चुनाव प्रचार में उतारने की योजना बनाई है। ये मौलवी मुस्लिम बहुल इलाके में बीएसपी के समर्थन में वोट देने की अपील करेंगे। बीएसपी की योजना पर गौर करें पार्टी खास तौर से पश्चिमी यूपी और मध्य यूपी में मौलवियों को प्रचार के लिए उतारेगी। प्रचार कार्य के लिए लखनऊ स्थित मदरसे के एक शिक्षक ने भी प्रचार में समर्थन की पेशकश पार्टी से की है।
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बीएसपी ने 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया टिकट
उत्तर प्रदेश में करीब 18 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं जिन्हें लुभाने की कवायद बीएसपी की ओर से की जा रही है। पार्टी को उम्मीद है कि मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए मौलवी अगर प्रचार करेंगे तो इससे उन्हें जरुर फायदा मिलेगा। आम तौर पर देखा गया है कि मुस्लिम वोटर समाजवादी पार्टी को सीधा समर्थन करते नजर आते हैं। हालांकि बीएसपी इस बार इस वोटबैंक पर सेंध की कोशिश कर रही है। इस बार बीएसपी के चुनाव प्रचार का जिम्मा पार्टी के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सौंपी गई है। उन्होंने कई मुस्लिम मौलवियों से संपर्क किया है। ये मौलवी बीएसपी की कई बैठकों और रैलियों में शामिल होते रहे हैं। मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए ही पार्टी ने रणनीति के तहत 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी संभाल रहे चुनाव प्रचार का जिम्मा
बीएसपी के प्रचार कार्य से जुड़े 42 वर्षीय मौलाना करी शफीक ने लखनऊ के आस-पास करीब दर्जनभर पार्टी की बैठकों और कार्यक्रमों में शिरकत की और इसमें संबोधन किया है। उन्होंने बताया कि कई मौलवी बीएसपी का खुला समर्थन करने के लिए तैयार हैं। मौलाना करी शफीक ने बताया कि वो बीएसपी के साथ इसलिए जुड़े हैं क्योंकि बीएसपी की सरकार में हम ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। सपा सरकार में कई सांप्रदायिक दंगे हुए हैं...लेकिन बीएसपी सरकार में मुस्लिमों के विकास के लिए कार्य किए गए हैं। बसपा की पिछली सरकार में 100 मदरसों को मान्यता दी गई। साथ ही उर्दू, अरबी और फारसी विश्वविद्यालयों को स्थापित किया गया।
मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कवायद में बीएसपी
बरेली के सुन्नी उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष 43 वर्षीय मौलाना फरयाद हुसैन भी बीएसपी कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। उन्होंने बरेली और मुरादाबाद में आयोजित बीएसपी के कई कार्यक्रमों में शिरकत की है। उनके मुताबिक कई मुस्लिम मौलवी इस क्षेत्र में बीएसपी के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वो पार्टी से कई साल से जुड़े हैं। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में मुस्लिमों के लिए बहुत कार्य किए गए हैं। अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान हसन ने भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी से मुलाकात की और समर्थन का प्रस्ताव दिया। उन्होंने बताया कि उनके संगठन से जुड़े सभी जागरुकता कार्यक्रम चलाएंगे। वोटरों को को बताएंगे की सपा सरकार आरक्षण को लेकर अपने वादे पूरे करने में नाकाम रही।
बीएसपी के इस दांव का कितना होगा असर?
बहुजन समाज पार्टी के प्रचार का समर्थन करने वाले हफीज अब्दुल गफ्फार जलालाबादी ने कहा कि उन्होंने पश्चिमी और केंद्रीय यूपी में कई मौलवियों से मुलाकात की है और उनसे बीएसपी को समर्थन करने की अपील की है। उन्होंने बताया की हमने 70 फीसदी अपना काम कर लिया है। जलालाबादी शामली जिले में अपना मदरसा चलाते हैं। बता दें कि मुस्लिम वोटरों को साधने की कवायद में बसपा के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने दारुल-उलूम का दो बार दौरा किया। लखनऊ में भी उन्होंने शिया मौलवी मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी से मुलाकात की और उनसे समर्थन की उम्मीद जताई है। सूत्र बता रहे हैं कि मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी की ओर से कोई भरोसा नहीं दिलाया गया।