यूपी चुनाव: मुख्तार को टिकट देने के बाद बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या हुई 99
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की रणनीति यूपी को लेकर शुरू से ही साफ थी यही वजह है कि पार्टी ने मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए प्रदेश में 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
लखनऊ। यूपी के सत्ता संग्राम में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कवायद में जुटी मायावती ने कौमी एकता दल का बीएसपी में विलय करा के बड़ा दांव चल दिया है। इतना ही बसपा सुप्रीमो ने मुख्तार अंसारी समेत उनके परिवार के दो और सदस्यों को टिकट बांटे हैं इसमें मुख्तार अंसारी का बेटा भी शामिल है। मायावती के इस दांव के बाद बीएसपी ने यूपी में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में नया रिकॉर्ड कायम किया है। बीएसपी ने इस बार यूपी में कुल 99 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कुल मिलाकर मायावती की बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश की पहली ऐसी मुख्य धारा की पार्टी है जिसने इतनी ज्यादा संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
मुख्तार की पार्टी का बसपा में विलय
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की रणनीति यूपी को लेकर शुरू से ही साफ थी यही वजह है कि पार्टी ने मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए प्रदेश में सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया। पार्टी को पता है कि दलित वोट हमेशा से उनकी ताकत रहे हैं अगर मुस्लिम वोट बैंक उनकी तरफ झुक जाए तो यूपी के सत्ता संग्राम में बड़ा फायदा मिल सकता है। इसके साथ-साथ पार्टी ने सवर्णों को भी साधने की कवायद की है।
मायावती ने प्रदेश में 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया टिकट
मायावती ने इसलिए भी मुस्लिमों पर दांव चला क्योंकि चुनाव से ठीक पहले सपा में घमासान देखने को मिला था। मायावती को लग गया कि अगर सपा में बिखराव हुआ तो मुस्लिम आबादी का वोट उनके पक्ष में आ सकता है यही वजह रही पार्टी ने सबसे पहले प्रदेश की सभी सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया। जिसमें उनकी रणनीति साफ नजर आई। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी करीब 19 फीसदी है, जबकि दलित आबादी करीब 21 फीसदी के करीब है। पार्टी को पता है कि दलित वोटर उनका कोर वोटबैंक है, ऐसे में अगर मुस्लिम वोटबैंक का उन्हें समर्थन मिल गया तो यूपी की सत्ता उनसे दूर नहीं रहेगी। बीएसपी सुप्रीमो ने इसीलिए दलितों की जगह मुस्लिमों ज्यादा टिकट दिया। पार्टी ने प्रदेश में 87 दलित उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
बसपा में तीसरी बार शामिल हुए हैं मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी तीसरी बार बहुजन समाज पार्टी में गए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2016 में कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की कोशिशें की जा रही थी लेकिन अखिलेश यादव के विरोध के बाद उनका ये दांव पूरा नहीं हो सका। बीएसपी में शामिल होने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मुख्तार अंसारी को सपा ने राजनीतिक द्वेष के चलते कार्रवाई की है। उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। बता दें मुख्तार अंसारी जेल में बंद हैं। 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में उन्हें जेल की सजा हुई है। मायावती ने कहा कि कोर्ट में अभी तक ये साबित नहीं हुआ है कि इस मामले में मुख्तार अंसारी शामिल हैं। मायावती के मुताबिक उन्हें इस केस में जानबूझकर फंसाया गया है।
विरोधियों को चित करने के लिए माया ने चला ये दांव
मायावती ने कौमी एकता दल के बीएसपी में विलय के साथ ही मुख्तार अंसारी को मऊ से बसपा का उम्मीदवार घोषित कर दिया। उनके बेटे अब्बास अंसारी और भाई सिग्बतुल्लाह अंसारी को भी पार्टी ने घोसी और मोहम्मदाबाद से टिकट दिया है। अंसारी परिवार को टिकट देने के लिए बीएसपी ने घोसी से वसीम इकबाल, मोहम्मदाबाद से विनोद कुमार राय और मऊ से मनोज राय का टिकट काट दिया।
मुख्तार के साथ-साथ उनके भाई और बेटे को भी मायावती ने दिया टिकट
मुख्तार अंसारी, 1996 में पहली बार यूपी विधानसभा पहुंचे, उस समय वो बीएसपी के टिकट पर विधायक चुने गए। इसके बाद अगले दो विधानसभा चुनावों में वो निर्दलीय चुनाव में उतरे और जीत भी गए। इसके बाद मुख्तार अंसारी सपा पहुंचे लेकिन कुछ दिन बाद ही बहुजन समाज पार्टी में वापस आ गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार और अफजाल अंसारी बीएसपी में वापस आ गए। 2010 में मुख्तार अंसारी ने उस समय कौमी एकता दल का गठन किया, जब उन्हें बीएसपी से निकाल दिया गया था। 2012 में उन्होंने कौमी एकता दल के टिकट पर मऊ से चुनाव लड़ा और जीत गए। इस बार मुख्तार अंसारी सपा में जाना चाहते थे लेकिन बात नहीं बनी अब बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
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