बहुचर्चित अशरफ कांड में दो दरोगा को 10 साल की कैद, जुर्माना
17 साल पहले हुए बहुचर्चित अशरफ कांड में दो दरोगाओं को दस साल के कारावास की सजा सुनाई गई है।
वाराणसी। दो दशक पहले हुए बहुचर्चित अशरफ कांड में शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश शैली राय ने एसआई भृगुनाथ मिश्र और धर्मनाथ सिंह को दोषी करार देते हुए 10-10 साल कारावास और 14 -14 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं इस मामले में साजिश रचने के आरोपी शहर उत्तरी के बीजेपी विधायक रवीन्द्र जायसवाल और उनके गनर राजनाथ भारती के खिलाफ साक्ष्य न मिलने पर कोर्ट ने बरी कर दिया है। इस हाईप्रोफाइल मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर रपट दर्ज हुई थी और सुप्रीम कोर्ट तक से शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिये गये थे। कोर्ट का फैसला आने के बाद दोनों एसआई को कोर्ट से ही हिरासत में ले कर जेल भेज दिया गया। फैसले के वक्त बड़ी संख्या में विधायक समर्थक के साथ दूसरे लोग भी सुबह से कचहरी पर डटे थे।
Read Also: VIDEO: पेशाब के बहाने कर लिया बाइक पर हाथ साफ
क्या था पूरा मामला
अशरफ कांड अपने तरह का अनूठा मामला था। दरअसल खोजवा (भेलूपुर) निवासी अशरफ के खिलाफ धमकी देने का एक मामला आईपीसी की धारा 504 व 506 के तहत दर्ज कराया गया था। इस मामले में कोर्ट से वारंट लेकर उसे गिरफ्तार करने की खातिर दो तेजतर्रार दरोगा एसआई भृगुनाथ मिश्र और धर्मनाथ सिंह राजस्थान गये थे। अजमेर में अशरफ को पकड़ा गया लेकिन वहां पर लोगों ने विरोध किया। दरगाह थाने में 27 मई 2000 को बकायदा लिखापढ़ी कर अशरफ को दोनों एसआई की सुपुर्दगी में सौंपा गया। इसके बाद से अशरफ का आज तक पता ही नहीं चला। दो दिन के बाद जीआरपी थाने में दोनों दरोगा ने एफआईआर दर्ज करायी कि अशरफ रास्ते में कहीं फरार हो गया। दूसरी तरफ घरवालों का कहना था कि रवीन्द्र जायसवाल के इशारे पर दोनों दरोगा ने अशरफ की हत्या कर शव को फेंक दिया। स्थानीय अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देने के बावजूद रपट नहीं दर्ज हुई तो कोर्ट का सहारा लिया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर आईपीसी की धारा 364,201,218 और 120 बी के तहत दर्ज कराया गया।
इन धाराओं में हुई दोनों को सजा
इस मामले में दोनों दरोगा ने पहले तो हल्के में लिया लेकिन बाद में कोर्ट से वारंट जारी हो गया तो उनकी नींद उड़ गयी। कोर्ट ने दोनों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया जिसके बाद उन्हें कोर्ट में हाजिर होना पड़ा। कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया। काफी समय के बाद उनकी जमानत हो सकी थी। इस कांड का असर उनके करियर पर भी पड़ा जिसके चलते प्रमोशन नहीं हो सका। कई थानों में प्रभारी रह चुके दोनों दरोगा भृगुनाथ और धर्मनाथ के विरुद्ध आरोप सिद्ध होने के बाद कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 364 में दस वर्ष एवं 10 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। धारा 201 में 3 वर्ष की कैद और दो हजार रुपये जुर्माना जबकि धारा 218 में तीन वर्ष की कैद और दो हजार जुर्माना की सजा सुनाई। यही नहीं दोनों को कोर्ट से ही न्यायिक अभिरक्षा में दिया गया हैं।
मंत्री ने दिलाई विधायक को राहत
आरोप सिद्ध न होने पर विधायक रवींद्र और उनके गनर राजनाथ को बरी कर दिया गया। बरी हुए इन दोनों आरोपियों की कोर्ट में पैरवी प्रदेश के विधि राज्यमंत्री एवं अधिवक्ता डॉ. नीलकंठ तिवारी ने की जबकि वादी पक्ष के अधिवक्ता देवेंद्र सिंह थे।
Read Also: पति को जादू का सामान लाने भेजा और तांत्रिक ने उसकी पत्नी का किया रेप