होली: इलाहाबाद में निकाली गई 'मुर्दा' बारात, परंपरागत अगुआई करता दिखा 'कलयुग'
इलाहाबाद में हर साल कलयुग के नेतृत्व में मुर्दा बारात निकाली जाती है। सैकड़ों साल से शहरी और उनके पूर्वज परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं।
इलाहाबाद। संगम नगरी इलाहाबाद में होली से पहले प्रसिद्ध मुर्दा बारात निकाली गई थी। होलिका दहन में कुप्रथाओं को दफन करने की मान्यता के तहत सैकड़ों सालों की परंपरा का निर्वहन करते हुए मुर्दा बारात शहर की गलियों से गुजरी। गाजे-बाजे और रॉड लाइट के साथ सैकड़ों बाराती नाचते गाते आगे बढ़े तो सबसे आगे कलयुग महराज रहे। मुर्दा बारात धूमधाम से हटिया पुलिस बूथ से निकाली गई।
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सैकड़ों सालों से है परंपरा
इलाहाबाद में हर साल कलयुग के नेतृत्व में मुर्दा बारात निकाली जाती है। सैकड़ों साल से शहरी और उनके पूर्वज परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं। देर रात ये विख्यात मुर्दा यात्रा निकली गई तो हर कोई इसे देखने और इसमें शामिल होने के लिए घर से निकला।
कुरीतियों पर होता है कटाक्ष
मुर्दा बारात का मतलब ये होता हैं कि इस बारात में भ्रष्टाचारियों, करप्ट नेताओं, दहेज लोभियों, बलात्कारियों, भ्रूण हत्याओं को मुर्दा मान कर उनकी बारात निकाली जाती है। इस साल भी 51 मीटर कपड़े के मुर्दे का शूट तैयार किया गया था। गले में जूते और चप्पल की माला पहनाकर उसका स्वागत किया गया। इसके बाद मुर्दे के अंतिम संस्कार के लिए उसे होलिका के हवाले कर दिया गया।
यहां से गुजरी बारात
मुर्दा बारात शहर के हटिया से शुरू हुई और कटघर, मुट्ठीगंज, रामभवन, बहादुरगंज, बताशा मंडी, लोकनाथ चैराहा, लक्ष्मण मार्केट, तिलक रोड, बांस मंडी से होते हुए वापस हटिया चैराहे पहुंची। इस बीच मुर्दे के परछन की रश्म की गई। बारात वापसी के दौरान भ्रष्टाचारियों, नारी अपराध सहित अन्य सामाजिक कुरीतियों को संकल्प के होलिका में समर्पित कर दिया गया। कुरीति के समाज से जाने की खुशी में लोगों ने पहले एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी और सुबह फगुआ गीत की बयार के साथ रंग खेला गया।
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