कौन थे पगला बाबा जिनकी शरण में आते थे लालू समेत कई बड़े नेता
लालू प्रसाद यादव समेत कई बड़े रसूखदार नेता तांत्रिक गुरु पगला बाबा की शरण में आते थे। मिर्जापुर के जंगल में स्थित आश्रम में उनका निधन हो गया।
मिर्जापुर। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के गुरु पगला बाबा ने विंध्य क्षेत्र के तुलसी तलैया के पास स्थित आश्रम में गुरुवार की दोपहर में शरीर छोड़ दिया। दोपहर में गंगा जल मंगाकर स्नान करने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। आश्रम में मौजूद भक्तों की ओर से दूरदराज में रहने वाले भक्तों को सूचना दी गई। शाम से भक्तों के आने का क्रम शुरू हो गया।
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विन्ध्याचल के तुलसी तलैया नामक स्थान पर विभूति नारायण सिंह उर्फ पगला बाबा ने वर्षों से अपना आश्रम बनाकर साधना कर रहे हैं। पगला बाबा पूरी तरह से अघोरी साधक रहे। उनके आश्रम में लालू यादव सहित तमाम नामचीन अधिकारी, राजनेता और व्यापारी दर्शन पूजन के लिए आते रहे। कइयों की साधना भी यहीं पर हुआ करती थी। अपने तीखे तेवर और अटपटे बोल के लिए विख्यात पगला बाबा के पास काफी प्रभावशाली लोगों का आना-जाना लगा रहता था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के उनके आश्रम में आने के बाद से वे काफी चर्चा में आ गए।
लालू यादव चारा घोटाले के आरोप में जेल जाने के पूर्व भी इनकी शरण मे आये थे। उसी दौरान उन्होंने कहा था कि बाबाजी ने बचपन में मेरे जीवन की रक्षा तब की थी जब परिजनों और डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी। ऐसे महान संत को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। यही नहीं पगला बाबा ने आश्रम दो कुत्ते पाल रखे थे। जंगल में स्थित आश्रम में यही कुत्ते उनकी सुरक्षा कवच रहे। यही नहीं वह हमेशा इन कुत्तों से ऐसे खेलते रहते हैं जैसे उनका इनसे जन्मों का नाता हो।
बिहार
विधानासभा
चुनाव
से
पहले
आये
थे
लालू
बिहार
विधानसभा
चुनाव
से
पहले
लालू
यादव
तुलसी
तलैया
आश्रम
में
आये
थे।
पगला
बाबा
ने
तंत्र
साधना
की
थी।
इससे
पहले
चारा
घोटाले
से
बचने
के
लिए
भी
लालू
ने
तंत्र
साधना
करायी
थी।
पगला
बाबा
के
शरीर
छोड़ने
से
दूसरे
संत
भी
दुखी
इलाके
के
तुलसी
तलैया
आश्रम
के
संत
पगला
बाबा
के
शरीर
छोड़ने
की
सूचना
पर
इलाके
के
लोगों
के
साथ
ही
संतों
की
भीड़
जुट
गई।
सभी
के
चेहरे
पर
दुखी
भाव
दिखा।
लोगों
ने
कहा
कि
पगला
बाबा
वास्तव
में
सच्चे
संत
थे।
उनकी
शरण
में
जो
भी
आया
उसका
कल्याण
किए।
सच
कहने
में
नहीं
चूकते
थे
बाबा
पगला
बाबा
सच
कहने
में
जरा
भी
नहीं
चूकते
थे।
आश्रम
में
आने
वाले
भक्तों
को
हमेशा
सही
रास्ते
पर
चलने,
त्याग
और
दूसरों
की
मदद
करने
की
सीख
दिया
करते
थे।
भक्तों
से
कहते
थे
कि
सक्षम
व्यक्ति
की
सक्षमता
खत्म
हो
जाती
है
जब
वह
दिन
दुखी
की
मदद
देखकर
भी
नहीं
कर
पाता
है।
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