जाट समुदाय को आरक्षण देना है या नहीं, 2 महीने के अंदर बताए योगी सरकार: हाईकोर्ट
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को 8 हफ्ते में जाट समुदाय को पिछड़े वर्ग में रखने या न रखने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने शब्दों को स्पष्ट करते हुये कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा निर्देश दिये हैं सरकार उसका पालन करे। सरकार के पास अगर जाति संख्या का आंकड़ा नहीं है तो इसके लिये वह एक कमेटी गठित करे। सिर्फ आंकड़े नहीं है इस आधार पर निर्णय लेने से नहीं बचा जा सकता।
सरकार जाटों को नहीं करना चाहेगी नाराज
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब यह साफ हो गया है कि योगी सरकार दो माह में बड़ा फैसला लेगी। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुये सूबे की भाजपा सरकार जाटों को नाराज नहीं करना चाहेगी। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक चुनाव की दिशा तय करते हैं। फिलहाल अब गेंद योगी कैबिनेट के पाले में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार की अपेक्षा योगी सरकार किस तरह स्ट्राइक रोटेट करती है।
सुप्रीम कोर्ट दे चुकी है निर्देश
दरअसल जाट आंदोलन जब चरम की ओर बढा तो एक याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को पिछड़े वर्ग से जाटो के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। उस वक्त सरकार ने कहा था कि हमारे पास जातिगत आंकड़े नहीं हैं। इसी आधार पर सरकार ने निर्णय लेने में अपनी असमर्थता व्यक्त की और आवेदन निरस्त कर दिया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार जाट समुदाय को पिछड़े वर्ग से अलग करने का निर्णय ले। इस आदेश का पालन जब यूपी सरकार ने नहीं किया तो फिर से एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हुई जिसपर सुनावाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया।
फिर हुई है सुगबुगाहट
दरअसल उत्तर प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन की सुगबुगाहट फिर से शुरू हो गई है। अभी जाटों ने अलवर-मथुरा ट्रैक पर जाम लगा दिया था। जिसके चलते ट्रेन तक रद्द करनी पड़ी थी। जबकि कई ट्रेनों का रूट डायवर्जन भी किये गये थे। । अब यह आंदोलन फिर से उठ खड़ा हो जाये और हिंसा हो। उससे पहले ही हाईकोर्ट के आदेश ने आंदोलन की आग पर पानी डालने का काम किया है। फिलहाल आखिरी निर्णय अब योगी सरकार के हाथ में है।