यूपी विधानसभा चुनाव 2017: टूट गई साइकिल की चैन, मुलायम और अखिलेश की पार्टियां अलग-अलग लड़ेगी चुनाव
समाजवादी पार्टी में बाप बेटे के झगड़े के अब भी निपटने की उम्मीदें लगाएं लोहियावादियों को शायद यह खबर थोड़ी अटपटी जरूर लगे, लेकिन सौ फीसदी सच है कि यूपी में अब साइकिल की चेंन टूट चुकी है।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में बाप बेटे के झगड़े के अब भी निपटने की उम्मीदें लगाएं लोहियावादियों को शायद यह खबर थोड़ी अटपटी जरूर लगे, लेकिन सौ फीसदी सच है कि यूपी में अब साइकिल की चेंन टूट चुकी है। यानि समाजवादी पार्टी में वर्चस्व की छिड़ी जंग में अखिलेश और मुलायम ने अलग राह पर चलने का फैसला लगभग कर लिया है। समझौते की तकरीबन सभी कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि दो दिन से मुलायम के आवास पर जारी बात समझौते की नही बल्कि पार्टी के नए सविंंधान या नई रणनीति की चल रही है। अंदर से छन छन कर बाहर आ रहीं खबरों के मुताबिक सब कुछ साफ़ हो चुका है।
मुलायम के साथ उनके बुरे वक्त के "सारथियों" की फौज रहेगी। वहीं युवराज अखिलेश यादव अपनी नई सेना के सेनापति होंगे। पार्टी के ज्यादातर पुराने "पुरोधा" नेता जी की टीम में मोर्चा संभालेंगे। माना यह भी जा रहा है कि मुलायम के खून पसीने की मेहनत मानते हुए साइकिल सिंबल उन्ही को (नेता जी) को सौप दिया जाए। जिसको लेकर मुलायम खेमा खासा आश्वस्त भी है। दोनों खेमों से बाहर ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि अगले दो दिन में पहले अखिलेश और फिर मुलायम अपनी रणनीति और नई टीम के अलावा अपने अपने प्रत्याशियों का नये सिरे से ऐलान कर देंगे।
इसी
घटनाक्रम
के
बीच
बेहद
भरोसेमंद
सूत्रों
की
मानें
तो
कांग्रेस
का
अखिलेश
वाली
समाजवादी
पार्टी
से
लगभग
गठबंधन
हो
चुका
है।
इस
पूरी
प्रक्रिया
की
कमान
स्वयं
अखिलेश
और
कांग्रेस
के
युवराज
राहुल
गांधी
संभाले
हैं।
हालांकि
बताया
यहां
तक
जा
रहा
है
कि
गठबंधन
में
अहम
भूमिका
प्रियंका
गांधी
ने
निभाई
है।
इस
नए
गठबंधन
का
ऐलान
भी
9
जनवरी
को
संभव
है।
फिलहाल
अखिलेश
रात
दिन
अपनी
नई
पारी
खेलने
के
लिए
युद्धस्तर
पर
"वार्मअप"
में
जुटे
हैं।
ये
भी
देखें:
रामगोपाल
यादव
बोले-अखिलेश
यादव
की
अगुवाई
वाली
समाजावादी
पार्टी
असली,
साइकिल
चुनाव
चिन्ह
पर
हमारा
हक
इधर,
आज
शनिवार
देर
शाम
अखिलेश
खेमे
से
दिल्ली
के
एक
वकील
प्रोफेसर
रामगोपाल
यादव
की
ओर
से
चुनाव
आयोग
को
भेजे
जवाब
की
कॉपी
लेकर
मुलायम
के
आवास
पहुंंचे।
जिसे
मुलायम
और
उनकी
वाली
सपा
ने
रिसीव
करने
से
इंकार
कर
दिया
है।
कुल मिलाकर आज देर रात या कल दोपहर तक बाप-बेटे के बीच छिड़ी इस विरासत की जंग का फैसला हो जाएगा। इतना तो तय है कि लंबे समय से जारी इस अस्तित्व की लड़ाई को समाप्त करने के लिए अब तक चलाए गए समझौता या बीच का रास्ता निकलने के सभी "रास्ते" दोनों पक्षों की ओर से बंद हो गए हैं। इस बार ईवीएम में एक नई पार्टी और उसके प्रत्याशी का नाम तो पढ़ा ही जाएगा।