इलाहाबाद: 23 साल से चल रहे मर्डर केस में सपा नेता समेत 3 को उम्रकैद
23 साल पहले स्कूल के प्रबंधक पद को लेकर हुए विवाद में एक का मर्डर हुआ था जिसमें सपा नेता समेत तीन लोगों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी है।
इलाहाबाद। हत्या के एक मामले में 23 साल बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। हाईप्रोफाइल आरोपियों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों हत्यारोपियों को पुलिस ने जेल भेज दिया है। मामले की सुनवाई कौशांबी के अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में हुई। हलांकि यह आदेश शनिवार को ही पारित हो गया था। लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन व पुलिसिया लिखा-पढ़ी रविवार को की गई । मामला विद्यालय प्रबंधक पद को लेकर था जिसमें 23 साल पहले हत्या हुई थी। इसमें सपा नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले पीपीएफ के डायरेक्टर व डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक इलाहाबाद के अध्यक्ष सुघर सिंह समेत तीन लोगों को हत्या का दोषी पाया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
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मामले की सुनवाई कर रहे एडीजे रामचंद्र यादव ने आरोपियों पर 65 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है । मालूम हो कि सियालाल मिश्र हत्याकांड नाम से इस केस ने खूब चर्चा बटोरी थी और मामले में राजनैतिक दलों के लोग सियासत करने से भी नहीं चूके थे।
प्रबंधक पद को लेकर हुई थी हत्या
कौशांबी के सैनी शाखा गांव स्थित ब्रह्मदेव जूनियर हाईस्कूल के प्रबंधक पद पर ब्रह्मदीन मिश्र का भतीजा रुद्र प्रकाश काबिज था। जबकि तत्कालीन स्कूल के अध्यक्ष अर्जुन सिंह आदि स्कूल के प्रबंधक पद पर सुघर सिंह के चाचा रामसागर को बिठाना चाहते थे। इसे लेकर 23 साल पहले सपा नेता सुघर सिंह और ब्रह्मदीन मिश्र के बीच विवाद शुरू हो गया। स्कूल प्रबंधन की लड़ाई में कब्जे को लेकर रणनीति बनने लगी।
गोली
मारकर
हुई
हत्या
14
जुलाई
1994
की
शाम
लगभग
साढ़े
चार
बजे
अर्जुन
सिंह
व
ब्रह्मदीन
का
भतीजा
रुद्र
प्रकाश
नलकूप
पर
मौजूद
था।
तभी
नलकूप
पर
रखे
स्कूल
का
फर्नीचर
सुघर
सिंह
आदि
जबरन
ले
जाने
लगे।
इसके
विरोध
करने
पर
सुघर
सिंह
की
ओर
से
गोलियां
तड़तड़ा
उठी।
वारदात
में
ब्रह्मदीन
के
चचेरे
भाई
सियालाल
मिश्र
की
गोली
मारकर
हत्या
कर
दी
गई
।
जिसके
बाद
ब्रह्मदीन
मिश्र
ने
हत्या
की
रिपोर्ट
दर्ज
कराई
थी
।
सजा के साथ जुर्माना
मामले की सुनवाई चलती रही। मुकदमे की पैरवी में दूसरी पीढ़ी भी सक्रिय हो गई और 23 साल बाद मामले में फैसला आया। शासकीय अधिवक्ता अब्दुल लतीफ ने दर्जन भर से अधिक गवाहों को कोर्ट में पेश किया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद एडीजे पंचम रामचंद्र यादव ने आरोपी सुघर सिंह, राजेंद्र सिंह व पवन कुमार को आजीवन कारावास व 65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। पुलिस ने तीनों को जेल भेज दिया है।
केस
में
दो
बरी
इस
मामले
में
राम
सागर
सिंह
व
शिव
सागर
सिंह
भी
आरोपी
थे।
हालांकि
इन
दोनों
पर
आरोप
सिद्ध
नहीं
हुआ।
खास
बात
यह
है
कि
शिव
सागर
की
2005
में
हत्या
हो
चुकी
है।
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