153 किमी का एवरेज देगी बाइक, आविष्कारक यूपी के गरीब किसान का बेटा
बारहवीं में फिजिक्स पढते समय सीखा था फार्मूला, 17 साल की मेहनत के बाद पायी सफलता। सरकार ने इस तकनीक को स्टार्टअप प्रॉजेक्ट के लिए 75 लाख रुपए की मदद भी स्वीकृत की गई है।
इलाहाबाद। जरा आप सोचिये आपकी 50-60 किलोमीटर प्रति लीटर वरेज देने वाली बाइक अगर 150 का एवरेज देने लगे तो, और वह भी महज 500 रुपये के खर्च पर। आपको लग रहा होगा यह कैसे हो सकता है ? यह तो कोई अजूबा ही होगा। यह अजूबा नहीं बल्कि विज्ञान का कमाल है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस तकनीक को इण्टरमीडिएट पास छात्र ने खोजा है। 17 साल की मेहनत के बाद उसने बारहवीं में पढे फिजिक्स के फॉर्मूले के सहारे यह कारनामा किया है। जल्द ही यह तकनीक पूरे देश के सामने होगी। इसके लिये श्री माता वैष्णव देवी यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर ने स्टार्टअप प्रोजेक्ट के लिए 75 लाख रुपए की मदद भी स्वीकृत कर दी है। दरअसल इसके लिये युवक खुद से बनाये कार्बोरेटर को बाइक में फिट कर देता है और एवरेज दुगना हो जाता है जिसका खर्च मात्र 500 रुपए के आसपास आता है।
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क्या कहते हैं अविष्कारक विवेक
इस अविष्कार का जनक विवेक कुमार मूल रूप से कौशांबी का रहने वाला है। विवेक बताते हैं कि सन 2001 में बारहवीं की पढ़ाई के दौरान फिजिक्स में एक फॉर्मूला मिला था जिसका प्रयोग कर एक ऐसा कार्बोरेटर बनाया जो एवरेज को लगभग दुगने से भी अधिक कर देता है। बाइक में इस कार्बोरेटर के प्रयोग के बाद 153 किलोमीटर प्रति लीटर का एवरेज मिला है। यह कार्बोरेटर न सिर्फ बाइक बल्कि जेनरेटर समेत अन्य वाहनों का भी एवरेज बढ़ा देता है। विवेक ने बताया कि वह काफी गरीब परिवार से है और सीधे किसी अविष्कार को करने के लिये पैसों का अभाव था। साथ ही प्रैक्टिकल जानकारी भी कम थी। इसके लिये मैंने पिपरी पहाड़पुर गांव के पास एक मिस्त्री की दुकान पर जाना शुरू किया जहां मुझे करीब 2 साल लग गया फॉर्मूले के अनुसार काम करने में। लेकिन मुझे सफलता मिली तो मैं इसकी टेक्नोलॉजी पर लगातार काम करता रहा। मेरे कार्बोरेटर को तकनीक विशेषज्ञों की टीम से प्रमाण पत्र भी मिला है।
कार्बोरेटर से विवेक को मिली पहचान
विवेक ने इस काम को अंजाम देने जिंदगी के 17 साल गुजार दिये। जब विवेक के कार्बोरेटर से बाइक तहलका मचाने लगी और इसकी चर्चा पूरे जिले में हुई तो टेक्नोलॉजी से जुड़े तमाम स्टूडेंट व साइंटिस्ट ने विवेक से संपर्क किया जिसके बाद पहचान मिलनी शुरू हुई। विवेक द्वारा निर्मित कार्बोरेटर को उत्तर प्रदेश काउंसिंल फॉर साइंस ऐंड टेक्नॉलजी (यूपीसीएसटी) और मोती लाल नेहरू नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी इलाहाबाद (एमएनएन आईटी) ने प्रमाणित किया है। इसके बाद सरकार ने इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने के लिये स्टार्टअप प्रॉजेक्ट के लिए 75 लाख रुपए की मदद भी स्वीकृत की गई है।
कैसे तय किया सफर
दरअसल विवेक इंजीनियरिंग नहीं कर सकता था। उसके पास अपनी किताब तक खरीदने के पैसे नहीं थे तो उसने बाइक रिपेयरिंग सीखनी शुरू की। यहीं उसने इंजन में बदलाव का छोटा छोटा टेस्ट शुरू किया। लेकिन ग्राहक बाइक के इंजन में छेड़छाड़ पर भटक जाते थे और विवेक को बुरा-भला सुनना पड़ता था। लेकिन उसने हार नहीं मानी और कार्बोरेटर पर काम करता रहा। विवेक ने पैसे जुटाने शुरू किये और साल 2012 में उसने बजाज डिस्कवर बाइक खरीदी। फिर उसके इंजन में वह जी भरकर बदलाव करता और आखिरकार उसके हाथ सफलता लगी और बाइक का ऐवरेज 150 तक हो गया।
स्टार्टअप के तौर पर रजिस्टर हुआ प्रोजेक्ट
ख्याति व लोगों की मदद से वह उत्तर प्रदेश काउंसिल फॉर साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के संपर्क में आया। उसके बाद से विवेक के नाम और काम को मुकाम मिलने लगे। जम्मू कश्मीर के कटरा स्थित श्री माता वैष्णव देवी यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर ने विवेक की इस तकनीक को स्टार्टअप के तौर पर रजिस्टर किया है और इसके लिए सेंटर की ओर से स्टार्टअप प्रॉजेक्ट के लिए 75 लाख रुपए की मदद भी स्वीकृत की गई है। इससे टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन कर कम ईंधन खपत में जेनरेटर की क्षमता बढ़ाने में काम करेंगे। इसी यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुके आकाश श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को देखकर वह भी विवेक से जुड़े और आज तो वह बिना किसी खर्च के किसी भी बाइक का एवरेज 30 से 35 किलोमीटर बढ़ा देते हैं। अब तक करीब 200 से ज्यादा बाइकों का एवरेज बढ़ा चुके विवेक का दावा है कि कंपनियां जो एवरेज देती हैं उसमें कार्बोरेटर में प्रति मिनट 10 से 12 ग्राम पेट्रोल, डीजल गिरता है जिसे वह सेट करके 6 से 8 ग्राम प्रति मिनट कर देते है। जिससे एवरेज बढ़ जाता है और इससे इंजन पर भी कोई प्रभाव नही पड़ता।
क्या
कहते
हैं
विशेषज्ञ
उत्तर
प्रदेश
काउंसिंल
फॉर
साइंस
ऐंड
टेक्नॉलजी
के
जॉइंट
डायरेक्टर
इनोवेशन
राधेलाल
ने
बताया
कि
विवेक
ने
पेट्रोल
की
सप्लाई
को
नियंत्रित
करने
का
बेहतर
फार्मूला
तैयार
किया
है।
उसके
प्रोजेक्ट
पर
बिट्स
पिलानी
के
स्टूडेंस
भी
साथ
काम
कर
रहे
हैं।
उसके
प्रोजेक्ट
से
बाइक
के
माइलेज
में
डेढ़
गुना
से
दोगुना
तक
की
बढ़ोतरी
दर्ज
की
गई
है।
सबसे
अहम
बात
इस
टेक्नोलॉजी
से
पेट्रोल
की
मात्रा
नियंत्रित
होने
पर
इंजन
गर्म
नहीं
होता,
न
ही
स्पीड
और
पिकअप
में
कोई
परिवर्तन
आया।
विवेक
का
परिचय
विवेक
ने
मात्र
इंटर
तक
साइंस
स्ट्रीम
में
पढाई
की
है।
मूल
रूप
से
वह
कौशांबी
के
गुदड़ी
गांव
के
रहने
वाले
हैं।
विवेक
का
सपना
है
कि
उसके
नाम
से
उसकी
खुद
की
कंपनी
हो
जहां
से
निर्मित
यह
टेक्नोलॉजी
पूरे
देश
के
लोगों
को
लाभ
दे
सके।
विवेक
के
पिता
कपिलदेव
एक
साधारण
किसान
हैं।
उन्हे
मलाल
है
कि
वह
बेटे
को
इंजीनियरिंग
की
पढ़ाई
नहीं
करा
सके।
घर
की
माली
हालत
देखकर
ही
एक
दिन
मां
कस्तूरा
देवी
से
विवेक
ने
बाइक
रिपेयरिंग
सीखने
की
बात
कही
और
फिर
उसी
काम
से
आज
उदाहरण
बन
गया
है।
12
से
15
हजार
रूपये
महीना
कमाने
वाले
विवेक
ने
फिलहाल
अपने
नाम
से
कंपनी
का
रजिस्ट्रेशन
कराने
के
लिए
आवेदन
किया
है।
विवेक
की
पत्नी
पुष्पा
देवी
व
2
बच्चे
श्रृष्टि
व
आकाश
विवेक
पर
गर्व
करते
हैं
कि
वह
कुछ
बड़ा
कर
रहे
हैं।
विवेक
का
दावा
और
भरोसा
है
कि
बहुत
जल्द
वो
अपनी
कंपनी
का
प्रोडक्ट
मार्केट
में
लांच
करेंगे।
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