नहीं हटाए जाएंगे शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बने 1.72 लाख शिक्षक, SC ने लगाई एक शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दिया बड़ा झटका, बिना टीईटी नहीं कर सकेंगे शिक्षण कार्य
नई दिल्उली। उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शिक्षा मित्रों के लिए अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति को निरस्त नहीं किया जाएगा परंतु उसके लिए उन्हें टीईटी परीक्षा पास करनी पड़ेगी।
निरस्त नहीं होगी शिक्षामित्रों की बहाली
बता दें की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1.72 लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति को गैर कानूनी बताकर निरस्त कर दिया था। इसके बाद बेरोजगार हुए शिक्षा मित्रो ने सुप्रीम कोर्ट के आगे मामले कि सुनवाई करने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 की अंतर्गत इस फैसले को सुरक्षित कर लिया था। उसी की चलते आज कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
टीईटी पास शिक्षा मित्रों को राहत
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जो शिक्षा मित्र पहले से ही टीईटी परीक्षा पास कर चुके हैं उनके शैक्षणिक रिकॉर्ड को देखने के बाद ही उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई जाएगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लाखों शिक्षा मित्रों और सहायक अध्यापकों की नौकरी पर लटक रही तलवार अब खत्म हो गई है।
लंबे समय से शिक्षा मित्र कर रहे थे आंदोलन
गौरतलब हो की शिक्षामित्रों की नियुक्ति सपा सरकार ने सहायक शिक्षकों के रूप में की थी परंतु उनकी नियुक्ति में धांधली की बात सामने आने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की द्वारा की गई नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। जिसके बाद से ही तमाम शिक्षा मित्र आंदोलन कर रहे हैं। लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला तमाम शिक्षामित्रों के लिए राहत की लेकर आया है।
बन गया था राजनीतिक मुद्दा
लंबे समय से 1.72 लाख शिक्षामित्रों और उनके परिवार के भविष्य के अलावा यह मुद्दा तमाम राजनीतिक दलों के लिए भी बड़ा मुद्दा था। बता दें की 2017 में हुए उत्तर प्रदेश के चुनावों में वाराणसी में नरेंद्र मोदी ने बीजेपी की सरकार बनने के बाद निरस्त हुए सारे शिक्षा मित्रों को दोबारा नियुक्त करने का वादा किया था।
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