जब नेताओं के फोन ना उठाने से खार खाए शिवपाल से नेताजी ने पूछा, टाइम क्या हुआ है?
शिवपाल चाहते हैं उनके भविष्य को लेकर कोई घोषणा हो लेकिन नेताजी को फिक्र है अखिलेश की, वो बोले 'रामओपाल, सब उल्टा पढ़ा रहा रहा है मुख्यमंत्री को, ये अकलेस का भविष्य खत्म कर देगा।'
नई दिल्ली। शिवपाल सिंह यादव इन दिनों बुरी तरह से भरे बैठे हैं। तमाम उम्र जिस पार्टी के संगठन के लिए काम किया, अब उन नेताओं को फोन करते हैं तो लाइन बिजी आती है। शिवपाल रोजाना समाजवादी पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों को फोन करते हैं तो एक ही जवाब मिलता है 'जिस व्यक्ति से आप बात करना चाहते हैं वो अभी किसी और के साथ बात करने में व्यस्त हैं'। शिपवाल जानते हैं, ये आदमी कौन है, जो उनकी लाइन काट रहा है लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे। एक तरफ ये दर्द है, जो दूसरी तरफ नेताजी भी लगातार उनसे सवाल पर सवाल करते रहते हैं। इन सवालों से भी वो परेशान हैं।
दरअसल शिवपाल चाहते हैं कि नेताजी उनके भविष्य के बारे में सोचें लेकिन नेताजी अब भी अखिलेश के भविष्य को लेकर ही चिंतित हैं। शिवपाल ने नेताजी से कहा था कि वो उनके भविष्य को लेकर कोई घोषणा करें लेकिन नेताजी ने कहा क्या 'रामओपाल, सब उल्टा पढ़ा रहा रहा है मुख्यमंत्री को, ये अकलेस का भविष्य खत्म कर देगा'। अब ऐसे में शिवपाल झल्लाएं नहीं तो क्या करें, दूसरे अमर सिंह तो आकर नेताजी को अल्ताफ राजा के गाने और शायरियां भी सुना देते हैं लेकिन शिवपाल वो भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में नेताजी का टाइम भी आसानी से नहीं गुजर पाता अब वो क्या करें, चश्मा कहीं रख कर भूल जाते हैं और फिर पास बैठे शिवपाल से बार-बार पूछते रहते हैं 'सिप्पाल, मेरी घड़ी की चाबी तो कोई उल्ट-सुल्ट घुमा दे रहा है, तुम बताओ टाइम क्या हुआ है?' अब शिवपाल क्या करते, आया गुस्सा तो कह दिया नेताजी मेरा टाइम आजकल ठीक नहीं चल रहा रहा है, साइकिल की चैन उतर गई है लेकिन कोई गद्दी से उतर उसे चढ़ा नहीं रहा है।
एक
तरफ
तो
शिवपाल
के
फोन
का
जवाब
पार्टी
के
पुराने
नेता
नहीं
दे
रहे
हैं
और
दूसरी
तरफ
लोग
नेताजी
की
तरफ
से
भी
उन्हें
डरा
दे
रहे
हैं।
वो
खुद
को
भरोसा
दिलाते
हैं
कि
अखिलेश
और
नेताजी
में
कोई
समझौता
नहीं
होगा
लेकिन
कुछ
लोग
आकर
कहते
हैं
कि
नेताजी
सबकुछ
बेटे
को
ही
सौंप
देंगे
और
उनको
मिलेगा
बाबाजी
का...
नेताजी
ने
जब
कहा
'अकलेस
हमसे
आकर
मिले,
माफी
मांगे
हम
उसके
खिलाफ
थोड़े
ही
हैं'
तो
शिवपाल
फिर
से
गु्स्सा
गए
और
पूछ
ही
बैठे
कि
नेताजी
जब
अखिलेश
को
ही
कमान
सौंपनी
थी
तो
क्यों
हमसे
रायता
फैलवा
रहे
हो,
हमें
पहले
ही
चुप
रहने
के
आदेश
दे
दिए
होते।
इसको
सुनकर
नेताजी
गंभीरता
छोड़ते
हुए
हुए
थोड़ा
मुस्कराए
और
बोले,
'सिप्पाल,
इत्ते
समय
से
देस
और
पदेश
में
हमें
राजनीति
करते
देख
रहे
हो
औ
हमाए
सात
भी
रहे
हो,
फिर
भी
इत्ती
देससे
समजे
हो।'
(यह
एक
व्यंग्य
लेख
है)
पढ़ें-
अमित
भाई
शाह
जी,
कुछ
पता
चला
उत्तर
प्रदेश
की
जनता
का
क्या
मूड
हैए?