पाटी, संगठन, सकार के नाम पर अब बस सिप्पाल बचा है, चाओ तो ले ओ...
अमर सिंह ने पुरानी मुहब्बत का वास्ता दिया तो नेताजी बोले, अमर हमाए पास बचा ही क्या है जो तुम्हें दें। पाटी, संगठन, सकार के नाम पर बस सिप्पाल बचा है, चाओ तो ले लो।
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी में इन दिनों कलह मची हुई है। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव आमने-सामने हैं। पार्टी भी दो फाड़ हो चुकी है। एक तरफ अखिलेश के पक्ष में ज्यादातर नेता खड़े हैं, तो वहीं मुलायम अकेले पड़े नजर आ रहे हैं। मुलायम के पास गिने-चुने दो लोग रह गए हैं, एक उनके भाई शिवपाल यादव तो दूसरे अमर सिंह। इन्हीं दोनों से वो आजकल बातें करते रहते हैं।
सपा के झगड़े में इन दिनों समाजवादी पार्टी का हर छोटा-बड़ा नेता अमर सिंह को गरियाने पर लगा हुआ है। जिसे देखो वो उन्हें दलाल से लेकर घर तोड़ने वाला तक जो मुंह में आ रहा है, कह रहा है। अब जब सब लोग उन पर पिले पड़े हैं तो वो अपना दुखड़ा लेकर नेताजी मुलायम सिंह के अलावा और कहां जा सकते हैं। ऐसे में नेताजी के पास पहुंचे हैं। अमर सिंह नेताजी के घर पहुंचे हैं।
अमर
सिंह-
नेताजी
नमस्कार
मुलायम-नमक्कार,
आओ
अमससीं
कैसे
ओ?
अमर-
मैं
तो
ठीक
हूं।
नेताजी
आप
जानते
हैं,
देश
का
कोई
ऐसा
नेता,
ऐसा
व्यापारी
या
फिल्मी
सितारा
नहीं
जो
हमें
ना
जानता
हो।
हमने
बड़ी
शादिया
करवाई
और
तला..
खैर
वो
छोड़िए।
आपके
लिए
भी
हमने
क्या
कुछ
नहीं
किया।
आपकी
मुलाकात
किस-किस
से
नहीं
करवाई।
मुलायम-
अम,
हमए
काहे
सुना
रयै
ओ,
क्या
अम
नहीं
जानते
जो
तुम
समाजआदी
पाती
के
लिए
किए
हो।
वो
बड़े
लोगों
से
मुलाकात
की
बात
भी
हमें
याद
है।
हम्मे
तो
कहा
भी
अक्लेस
को
कि
अमर
सिंह
ना
ओते
तो
अम
जेल
में
ओते।
अमर-
नेताजी,
जो
आदमी
देश
में
कुछ
भी
करा
सकता
हो,
उस
अमर
के
साथ
आपका
बेटा
क्या
कर
रहा
है।
अखिलेश
और
उसके
चेलों
ने
मुझे
किसी
नुक्कड़
पर
खड़ा
लौंड़ा
समझ
लिया
है,
जो
मुंह
मे
आ
रहा
है
कह
दे
रहे
हैं,
दल्ला,
बिचौलिया
और
ना
जाने
क्या-क्या?
मुलायम-
क्या
हमें
इसका
दुक
नई
ए?
पर
क्या
करें
अक्लेस
हमाई
नई
मानना
ए,
आमओपाल
ने
उसे
जो
पढ़ा
दिया
है,
वही
बोल
रहा
है।
लेकिन
मैं
तुमाए
साथ
हूं,
प्रेस
के
लोग
भी
तुमें
हमारा
अमर
प्रेम
कहते
हैं
अमर-
अमर
प्रेम
का
आपने
नेताजी
अच्छा
सिला
दिया।
मुलायम-
अमर
बाऊक
क्यों
कर
रए
ओ,
हमाए
पास
बचा
ही
क्या
है
जो
तुम्हें
दें।
पाटी,
संगठन,
सकार
के
नाम
पर
अब
बस
सिप्पाल
बचा
है,
चाओ
तो
ले
लो।
(यह
एक
व्यंग्य
लेख
है)
पढ़ें-
जब
नेताओं
के
फोन
ना
उठाने
से
खार
खाए
शिवपाल
से
नेताजी
ने
पूछा,
टाइम
क्या
हुआ
है?