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सपा के इस मुस्लिम उम्मीदवार को हर सच्चा हिंदुस्तानी करेगा सैल्यूट

जहां एक ओर चुनाव जीतने के लिए लोग करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिया करते हैं, वहीं एक ऐसा भी शख्स है, जो बिना पैसे बर्बाद किए ही चुनाव जीत जाता है।

By Anujkumar Maurya
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नई दिल्ली। इस समय चुनावी दौर चल रहा है। महंगी गाड़ियों से लेकर हेलिकॉप्टर तक से नेता रैलियां करने पहुंच रहे हैं। जहां एक ओर चुनाव जीतने के लिए लोग करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिया करते हैं, वहीं एक ऐसा भी शख्स है, जो बिना पैसे बर्बाद किए ही चुनाव जीत जाता है। वह कहते हैं कि उनका उसूल है- सिंपल लिविंग और हाई थिंकिंग। आइए मिलते हैं उस शख्स ने, जिसने अपनी धाक और दौलत के बल पर नहीं, बल्कि अपनी सादगी और सच्चाई के बल पर चुनावों में जीत के झंडे गाड़े हैं। ये भी पढ़ें- आपके पास है कार और बाइक तो 1 अप्रैल से लगने वाली है चपत

समाजवादी पार्टी के हैं नेता

समाजवादी पार्टी के हैं नेता

इस शख्स का नाम है आलम बदी, जो आजमगढ़ जिले के निजामाबाद से विधायक हैं। वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। अभी तक आलम बदी 4 बार चुनाव लड़ चुके हैं, जिनमें से 3 में उन्हें जीत हासिल हुई है। सिर्फ एक बार के चुनाव में वह मामूली वोटों से हारे हैं। इस बार हो रहे यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भी आलम बदी विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं।

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ठुकरा चुके हैं मंत्री का पद

ठुकरा चुके हैं मंत्री का पद

2007 में मुलायम सिंह उन्हें मंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे, लेकिन आलम बदी ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। आलम बदी का कहना था कि अगर वह मंत्री बनते भी हैं तो भी वह अपने विधायक वाले घर में ही रहेंगे, लाल बत्ती नहीं लेंगे और साथ ही पीएम का कैंप भी उनके लिए नहीं लगेगा। आलम बदी कहते हैं कि ऐसी स्थिति में मुलायम सिंह के अन्य मंत्रियों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती, इसलिए उन्होंने मंत्री का पद ठुकरा दिया था।

साथ नहीं रखते कार्यकर्ताओं का झुंड

साथ नहीं रखते कार्यकर्ताओं का झुंड

आलम बदी कितने सादगी परस्त व्यक्ति हैं, इसका पता इसी बात से चलता है कि वह अपने साथ कार्यकर्ताओं का झुंड रखना बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं। आलम बदी कहते हैं कि वह अपने साथ कार्यकर्ता रखने में भरोसा नहीं करते हैं। वह मानते हैं कि जनता ही कार्यकर्ता है और जनता ही वोटर है, जो उन्हें चुनाव में भारी मतों से जिताती है। ये भी पढ़ें- यहां की तहजीब देखिये जनाब...रामायण गाते हैं दो मुसलमान भाई

चुनाव जीतने के लिए नहीं लेते पैसों का सहारा

चुनाव जीतने के लिए नहीं लेते पैसों का सहारा

आलम बदी कभी चुनाव जीतने के लिए पैसों का सहारा नहीं लेते हैं। जहां एक ओर चुनाव जीतने के लिए अन्य नेता करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं, वहीं दूसरी ओर आलम बदी चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ 2 लाख रुपए खर्च करते हैं। अपने क्षेत्र के काम करवाने के लिए उन्हें विधायक निधि का 1.5 करोड़ रुपए और पूर्वांचल विकास निधि का 50 लाख रुपए मिलता है, उसे भी वह पूरी तरह से जनता की सेवा में लगा देते हैं।

बिना पोस्टर-बैनर के प्रचार

बिना पोस्टर-बैनर के प्रचार

आलम बदी कभी प्रचार के लिए पोस्टर और बैनर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनकी सादगी और सच्चाई से उनके क्षेत्र का हर व्यक्ति वाकिफ है। वह सुबह 9 बजे घर से निकल जाते हैं और शाम 5 बजे तक लोगों के ही बीच रहते हैं। उनका यही अंदाज उन्हें और नेताओं से अलग करता है। वह कहते हैं कि उनकी किसी रैली में भीड़ बुलानी नहीं पड़ती, लोग खुद उन्हें सुनने आते हैं। ये भी पढ़ें- 1 मार्च से बदल चुके हैं बैंकों के नियम, ये है नई व्यवस्था

लेते हैं एक-एक पाई का हिसाब

लेते हैं एक-एक पाई का हिसाब

जहां एक ओर करोड़ों के टेंडर देने के बाद वहां हो रहे काम को देखने के लिए कोई नेता नहीं जाता, वहीं दूसरी ओर आलम बदी जिस काम के लिए भी पैसे देते हैं, उस काम को वहीं खड़े रहकर अपनी आंखों के सामने करवाते हैं। साथ ही, काम हो जाने पर वह एक-एक पाई का हिसाब लेते हैं। आलम बदी कहते हैं कि कोई उनके काम में एक ईंट भी इधर से उधर नहीं करता है, क्योंकि सभी जाते हैं कि अगर ऐसा कुछ किया तो आलम बदी उसका पूरा हिसाब लेंगे और गलती पकड़ी जाएगी। इसी डर से कोई काम करने में कुछ भी गलती नहीं करता है।

कर चुके हैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई

कर चुके हैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई

आलम बदी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं। वह एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद शुरुआत में उन्होंने गोरखपुर में नौकरी भी की है, लेकिन जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर वह समाजसेवा करने लग गए। आलम बदी कहते हैं कि राजनीति समाज सेवा का नाम है, न कि पैसे कमाने का और मौज मस्ती करने का।

पैदल चलते हैं आलम बदी

पैदल चलते हैं आलम बदी

जहां एक ओर नेता चलने के लिए बड़ी-बड़ी गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं, वहीं दूसरी ओर आलम बदी उन लोगों में से हैं जो आज भी पैदल चलते हैं। वह अधिकतर यूपी रोडवेज की बस में ही सफर करते हैं या फिर रास्ते में जो भी मिल जाता है उसी से लिफ्ट ले लेते हैं। जब उनसे इस बारे में बात की गई तो आलम बदी बोले- मैं पैदल ही सदन में जाता हूं और वहां बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आने वाले लोग गाड़ी से उतर कर मुझे नमस्कार करते हैं। अपनी बात को वह एक शायरी में कुछ इस तरह से कहते हैं- सफर तो साथ है, मजिंल अलग-अलग है मगर।

कौन-कौन है परिवार में?

कौन-कौन है परिवार में?

आलम बदी के परिवार की बात की जाए तो उनके 6 बेटे हैं, जिसमें से 3 शहर से बाहर नौकरी करते हैं। सबसे बड़ा बेटा 15 रुपए महीने की प्राइवेट नौकरी करता है और दूसरा बेटा फर्नीचर की एक छोटी सी दुकान चलाता है। इसके अलावा उनका सबसे छोटा बेटा उन्हीं का साथ एक पीए की तरह रहता है और काम-काज में उनकी मदद करता है।

क्या खाते हैं आलम बदी?

क्या खाते हैं आलम बदी?

आलम बदी की उम्र करीब 82 साल है, इसके बावजूद वह एकदम फिट हैं और खुद ही घूम-घूम कर सारे काम करवाते हैं। जब उनसे इस फिटने का राज पूछा गया तो वह बोले- मैं वेज और नॉनवेज दोनों ही खाता हूं, लेकिन दिन भर में 2 अंडे, 2 रोटी और 2 गिलास दूध मेरी खुराक है। कम खाओ, पैदल चलो और खूब पानी पियो। वह सिर्फ 1200 रुपए का मोबाइल इस्तेमाल करते हैं।

खस्ता हाल है घर

खस्ता हाल है घर

आलम बदी के घर की बात की जाए तो उनका घर काफी सामान्य है। कई बार तो वह खुद ही सुबह झाड़ू भी लगा दिया करते हैं। उनके घर पर पार्टी का भी कोई झंडा नहीं है, लेकिन भारत का झंडा उन्होंने लगा रखा है। उनके घर में पुताई हुई भी काफी समय बीत चुका है। वह ठंडी और गर्मी दोनों ही मौसम में उनसे मिलने आए लोगों से घर के टीम शेड के नीचे ही मिलते हैं। घर में कोई नौकर भी नहीं है।

ना फेसबुक पर ना ट्विटर पर

ना फेसबुक पर ना ट्विटर पर

आलम बदी की उपस्थिति न तो फेसबुक पर है और ना ही ट्विटर पर। ऐसा नहीं कि उन्हें फेसबुक या ट्विटर चलाना नहीं आता है, जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि वह एक इंजीनियर हैं तो इन सबको वह बखूबी समझते हैं। दरअसल, वह अपनी सादगी के चलते इन सबसे दूर रहते हैं और सिर्फ अपने क्षेत्र की जनता की सेवा करने का काम करते हैं। हालांकि, फेसबुक पर उनके किसी चाहने वाले ने आलम बदी का एक फेसबुक पेज बना रखा है।

धर्म की राजनीति से हैं कोसों दूर

धर्म की राजनीति से हैं कोसों दूर

जहां एक ओर वोट पाने के लिए नेता हिंदु-मुस्लिम मुद्दों से जुड़े कोई भी बयान देने से नहीं चूकते हैं, भले ही उनके बयान से कानून और व्यवस्था की स्थित क्यों न पैदा हो जाए, लेकिन आलम बदी का अदांज कुछ हटकर है। आलम बदी ने अपने इलाके में शहीदों के नाम पर 4 द्वार बनवाए, जिनमें से कोई भी मुस्लिम नहीं है, जबकि आलम बदी खुद मुस्लिम हैं। वह कहते हैं कि इससे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।

यूपी की राजनीति पर राय

यूपी की राजनीति पर राय

यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी के परिवार में काफी उथर-पुथल होने पर आलम बदी कहते हैं कि अखिलेश यादव अब हिंदुस्तान के टीपू सुल्तान बन गए हैं। वह कहते हैं कि अखिलेश यादव ने पिछले 5 सालों में उत्तर प्रदेश में जो काम किया है वह पिछले 70 सालों में भी किसी ने नहीं किया है। इस बार भी आलम बदी को पूरा यकीन है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जीत होगी।

जीतने के बाद क्या करेंगे?

जीतने के बाद क्या करेंगे?

आलम बदी से जब यह सवाल किया गया कि वह अगर इस बार जीत जाते हैं तो वह अपने क्षेत्र के लिए क्या करेंगे, इस पर वह बोले कि यूं तो उनके इलाके के सभी काम हो चुके हैं, लेकिन अगर इस बार भी वह विधायक का चुनाव जीत जाते हैं तो वह सबसे पहले महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था करेंगे। इतना ही नहीं, वह अपने क्षेत्र के लोगों के लिए पीने के साफ पानी की व्यवस्था भी करेंगे।

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English summary
salute to honesty and simplicity of mla alam badi of samajwadi party
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