यूपी में सपा के कब्रिस्तान और श्मशान घाट के भेदभाव का सच
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का कब्रिस्तान और श्मशान घाट के विकास का सच, पहली बार भाजपा नहीं उठा रही है इस मुद्दे को
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनाव में एक बार फिर से प्रधानमंत्री का श्मशान घाट व कब्रस्तान का बयान चर्चा में है। प्रधानमंत्री ने रविवार को फतेहपुर की रैली में कहा कि जैसे कब्रस्तान बनाए जाते हैं वैसे ही श्मशान घाट भी बिना किसी भेदभाव के बनाए जाने चाहिए। यह पहला मुद्दा नहीं है जब भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया है, पार्टी ने 2012 के अपने मैनिफेस्टो में भी इस मुद्दे को रखा था। समाजवादी पार्टी ने 2012 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में कब्रस्तानों की बाउंड्री को बनाने के लिए विशेष पैकेज देने की बात कही थी ताकि कब्रस्तान के आस पास अवैध कब्जे को रोका जा सके।
2012 से भाजपा उठा रही है श्मशान घाट के मुद्दे को
उत्तर प्रदेश में जब 15 मार्च 2012 को सपा सरकार की सरकार सत्ता में आई तो पार्टी ने अपनी कैबिनेट की बैठक में अपने चुनावी वायदे को पूरा करने का फैसला भी पास किया। इसके लिए डीएम को शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीईओ अपना प्रस्ताव भेज सकते थे, जिसके बाद कब्रस्तान की बाउंड्री को बनाने का काम शुरु किया जाएगा, सरकार के इस फैसले का भाजपा ने विरोध करते हुए कहा था कि यह भेदभाव की राजनीति है।
अल्पसंख्यकों के लिए शुरु की गई योजना
सपा सरकार के इस फैसले का भाजपा ने विरोध करते हुए कहा था कि यह मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है और 4 फरवरी 2014 के कैबिनेट फैसले का विरोध किया। सपा सरकार ने इस योजना को अल्पसंख्यक समुदायों के कब्रिस्तान, अंतेष्टि स्थल की भूमि की सुरक्षा योजना नाम दिया, इस योजना के तहत मुसलमानों के अलावा सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के अंतिक क्रियास्थल को बनाने का ऐलान किया गया। इसके लिए डीएम को इस बात का निर्देश दिया गया कि इन सभी स्थलों की बाउंड्री को 1.35 मीटर बनाया जाएगा।
इन जगहों पर सबसे अधिक कब्रिस्तान का विकास
सपा सरकार ने इस योजना को मुस्लिम वक्फ विभाग के तहत शुरु किया, इसके लिए सरकार ने 2012-13 में सरकार ने कुल 200 करोड़ रुपए का आवंटन किया और इसके तहत कुल 1130 कब्रिस्तान की बाउंड्री बनाने का काम शुरु किया गया, इस वर्ष सरकार ने पूरी 100 फीसदी आवंटित राशि को खर्च कर दिया। कब्रिस्तान की बाउंड्री बनाने की लिए सबसे अधिक मांग मुसलमानों ने मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बरेली, शाहजहांपुर, मेरठ, रामपुर, बहराइच और गाजियाबाद में की गई।
85315 कब्रिस्तान की हुई पहचान
वक्फ बोर्ड ने राज्य सरकार को प्रदेश में कुल 85315 कब्रस्तान की लिस्ट दी जहां बाउंड्री का निर्माण कराया जाना था, जबकि अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के केवल 339 स्थल ही पहचान किए गए जहां निर्माण कराया जाना था। अल्पसंख्यक विभाग का कहना है कि प्रदेश में मुसलमानों की आबादी काफी अधिक है लिहाजा कब्रस्तान की संख्या अधिक है, बाकी अन्य समुदायों के स्थल भी इसी आधार पर चुने गए हैं। अल्पसंख्यक विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि मुसलमानों के इतर अन्य समुदाय के लोग मुश्किल से ही अंतिम क्रियास्थल की बाउंड्री बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा है।
श्मशान घाट की अनदेखी
सपा सरकार ने 2013-14 में इस योजना के लिए एक बार फिर से 300 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया, जिसमें से 98.13 फीसदी पैसा खर्च किया गया। इस वर्ष तक श्मशान घाट के विकास के लिए किसी भी तरह का बजट आवंटित नहीं किया गया था, जिसके बाद भाजपा ने इस मुद्दे को कई बार उठाया और सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया।
आखिरकार शुरु हुआ श्मशान घाट का विकास
सितंबर 2014 में सपा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान घाट के विकास के लिए योजना की शुरुआत की, इसके तहत तमाम स्थलों की पहचान की गई जहां पंचायती राज विभाग को इस बात की जिम्मेदारी दी गई कि वह श्मशान घाट में दो प्लेटफॉर्म का निर्माण कराए, इसके अलावा शांति स्थल, पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय, स्टोररूप, हैंड पंप, पीने का पानी आदि की व्यवस्था की जानी थी।
2017 के बजट में भारी अंतर
सपा सरकार ने 2014-15 में श्मशान घाट के विकास के लिए कुल 100 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया, जबकि अल्पसंख्यकों के 200 करोड़ रुपए का आवंटन नहीं किया। इसके बाद सरकार ने 2015-16 में 200 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया। लेकिन 2016-17 में सपा सरकार ने एक बार फिर से अल्पसंख्यकों के लिए कब्रिस्तान के निर्माण के लिए 400 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान घाट के लिए सिर्फ 127 करोड़ रुपए का ही आवंटन किया गया।
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