खुद के निष्कासन को रामगोपाल ने बताया असंवैधानिक, मुलायम को नियमों की जानकारी नहीं
रामगोपाल यादव ने खुद के निष्कासन को बताया असंवैधानिक, बोले मुलायम सिंह यादव को संविधान की कोई जानकारी नहीं है।
लखनऊ। सपा से निष्कासन के बाद रामगोपाल यादव ने अखिलेश यादव और खुद के निष्कासन को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है, क्योंकि नोटिस देने के आधे घंटे के अंदर दोनों को पार्टी से निकाल दिया जाता है, ऐसे में बिना हमारा जवाब लिए पार्टी से बाहर निकाल देना असंवैधानिक है, उन्होंने नियमों का पालन किए बिना यह फैसला लिया है। मुलायम सिंह यादव पर हमला बोलते हुए रामगोपाल यादव ने कहा कि ये सर्वोच्च न्यायालय से बड़े हैं, नोटिस दिया और जवाब लिए बिना निष्कासन कर दिया। बिना किसी का पक्ष सुने हुए पार्टी से बाहर निकालने का फैसला गलत है, यह गलत तथ्यों के आधार पर लिया गया फैसला है।
नियम के तहत बुलाई संसदीय बोर्ड की आपात बैठक
रामगोपाल ने कहा कि इस पार्टी के भीतर लगातार शीर्ष स्तर पर असंवैधानिक काम हो रहे हैं, अगर पार्टी का अध्यक्ष असंवैधानिक काम करे तो सम्मेलन कौन बुलाएगा, संविधान के अनुसार संसदीय बोर्ड इस बात को तय करेगा कि पार्टी के उम्मीदवार कौन होगा। इस असंवैधानिक काम को ठीक करने के लिए जब मांग आई तो यह मीटिंग बुलाई गई। आपातकालीन मीटिंग को लेकर कोई नियम नहीं होता है, पार्टी के संविधान के बारे में मुलायम सिंह को जानकारी नहीं है। उत्तर प्रदेश में सपा का कोई भी चुना हुआ है नेता नहीं है बल्कि सभी लोग मनोनीत है और उन्हीं की मांग पर यह सम्मेलन बुलाया गया है। जो पार्टी के सदस्य नहीं हैं उन्हें टिकट दिया जा रहा है। जो लोग अपनी जमानत नहीं बचा सकते हैं, उन्हें टिकट दिया गया है। फिरोजाबाद से जिस एमएलए से कोई शिकायत नहीं थी उसका टिकट काटा गया और ऐसी महिला को टिकट दिया गया जो अपनी जमानत नहीं बचा सकती है। मुलायम कहते हैं कि मेरा पार्टी में कोई योगदान नहीं है, लेकिन जब जरूरत पड़ती है तो रामगोपाल की ही याद आती है, गैर यादव से वोट मांगने के लिए मुझे ही बुलाया जाता है। चुनाव में मालूम पड़ जाएगा कि कौन कितने पानी में है। मैं अपील करता हूं सभी लोग एक जनवरी को राम मनोहर लोहिया में 11 बजे आए और अपनी राय रखे।
अखिलेश
को
नहीं
किया
गुमराह
वहीं
अखिलेश
यादव
को
गुमराह
किए
जाने
के
आरोप
पर
रामगोपाल
यादव
ने
कहा
कि
मैं
लखनऊ
में
सबसे
कम
आता
हूं,
मैं
कभी
कोई
प्रशासनिक
मामले
में
मैंने
अखिलेश
को
ना
कोई
राय
दी
और
ना
कोई
हस्तक्षेप
किया
और
ना
ही
मैंने
कोई
सिफारिश
की।
मेरा
हमेशा
बसपा
और
भाजपा
की
सरकार
के
दौरान
अधिकारियों
से
संबंध
अच्छा
रहा,
मुझे
कोई
अधिकारी
मना
नहीं
करता
था।
पार्टी
को
बचाने
के
लिए
मैंने
जो
आपातकालीन
बैठक
बुलाया
है
वह
असंवैधानिक
नहीं
है,
मैंने
पार्टी
के
महासचिव
की
हैसियत
से
यह
बैठक
बुलाई
है।