मुलायम के पत्र पर उठे सवाल, पूर्व पार्टी उपाध्यक्ष ने कहा- फर्जी है दस्तखत, कोई और ले रहा है फैसले
समाजवादी पार्टी आए दिन नए-नए विवादों के जरिए सुर्खियों में रहती है। ताजा मामला मुलायम सिंह की ओर से जारी किए गए दो पत्रों पर दस्तखतों से जुड़ा है।
लखनऊ। हर रोज नए विवाद में फंस रही समाजवादी पार्टी और उसके पदाधिकारी अब एक और नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। ताजा मामला सपा के नेता मुलायम सिंह यादव से जुड़ा है। 1 जनवरी उत्तर प्रदेश के मुख्मयंत्री अखिलेश यादव को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया था। उसी दिन मुलायम सिंह यादव ने दो पत्र जारी किए थे। दो में से एक पत्र सादे पन्ने यानी बिना लेटर हेड के था। दूसरा पत्र पूरी तरह से लेटरहेड के साथ जारी किया गया था।
हालांकि
विवाद
लेटर
हेड
को
लेकर
नहीं
बल्कि
उनके
दस्तखत
का
है।
मुलायम
सिंह
यादव
के
आदेश
पर
पार्टी
से
निष्कासित
उपाध्यक्ष
रहे
किरणमय
नंदा
ने
कहा
है
कि
दोनों
पत्रों
पर
दस्तखत
अलग-अलग
हैं।
1
जनवरी
को
मुलायम
ने
पहला
पत्र
दिन
में
करीब
2
बजे
जारी
किया
था।
जिसमें
4
बिंदुओं
के
तहत
कहा
गया
था
कि
प्रोफेसर
रामगोपाल
यादव
को
पार्टी
से
निष्कासित
किया
जाता
है।
साथ
ही
पूर्व
में
घोषित
किए
गए
प्रत्याशियों
की
सूची
आगे
भी
जारी
रहेगी
और
बची
हुई
लिस्ट
जल्द
ही
जारी
कर
दी
जाएगी।
इसी
पत्र
के
आखिरी
और
चौथे
बिन्दु
में
कहा
गया
था
कि
5
जनवरी
को
पार्टी
का
अधिवेशन
बुलाया
गया
है
लेकिन
उसे
2
जनवरी
को
ही
स्थगित
कर
दिया
गया
था।
दूसरा
पत्र
1
जनवरी
शाम
करीब
5
बजे
आया,
जो
लेटर
हेड
सहित
था।
उस
पर
साइकिल
चुनाव
निशान
के
साथ,
पार्टी
में
मुलायम
के
पद
का
जिक्र
भी
था।
पार्टी
में
राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
किरणमय
नंदा
को
संबोधित
किए
गए
पत्र
में
कहा
गया
था
कि
1
जनवरी
2017
का
आपातकालीन
राष्ट्रीय
प्रतिनिधि
सम्मेलन
में
हिस्सा
लेने
और
निरंतर
पार्टी
विरोधी
गतिविधियों
के
चलते
उन्हें
उपाध्यक्ष
पद
से
निष्कासित
किया
जाता
है
साथ
ही
उनकी
प्राथमिक
सदस्यता
भी
समाप्त
की
जाती
है।
इन
दोनों
पत्रों
को
जारी
करने
में
समय
के
हिसाब
से
तो
अंतर
है
ही
साथ
ही
इन
पर
हुए
दस्तखत
को
लेकर
भी
आशंका
जताई
जा
रही
है।
इसके
चलते
यह
भी
कहा
जा
रहा
है
कि
फैसले
कोई
और
ले
रहा
है।
इससे पहले खुद अखिलेश भी कह चुके हैं कि कुछ लोगों ने मुलायम पर काबू में ले लिया है। इस विषय पर किरणमय नंदा ने कहा है कि देख लीजिए चिट्ठी, जिसमें लिखा है कि अधिवेशन असंवैधानिक है, उसमें साइन अलग है। नेता जी का नहीं है। किरणमय ने यह आशंका जताई है कि मुलायम की जगह दल में फैसले कोई और शख्स ले रहा है। वहीं पार्टी प्रवक्ता सीपी राय ने कहा है कि भावनाओं के कारण कोई भी दस्तखत अलग कर सकता है। दस्तखत करने में गलतियां हो जाती है। राय ने यह भी कहा कि जब इस पर खुद मुलायम कि ओर से सवाल नहीं उठाए गए तो इसे फर्जी कहना गलत है। दस्तखत के विषय पर आजम खान ने कहा कि जहां तक दस्तखत की बात है तो एक शॉर्ट फॉर्म में लिखा गया है और दूसर फुलफॉर्म में। केवल एक्स्पर्ट ही दस्तखत के असली या नकल होने की बात बता सकते हैं। हालांकि इस बारे में नेता जी ने अभी तक कुछ नहीं कहा। पत्रकारों से बात करते हुए आजम ने कहा कि हमने कोशिश की थी विवाद खत्म हो, 24 घंटे के भीतर निष्कासन वापस हुआ था किसे उम्मीद थी, अगर जरूरत पड़ी तो फिर कोशिश करुंगा। ये भी पढ़ें:समाजवादी पार्टी के चिन्ह का मसला जल्द सुलझा पाएगा आयोग? जानें वो नियम जिसके तहत सुलझते है ऐसे मामले