मिसाल: रिश्वत क्या...? पराए धन से दूर रहता है ये पुलिस वाला
नौशाद अली बैंक एकाउंट में आए हजारों रुपए से परेशान हो गए थे क्योंकि इस तारीख पर न तो उनकी सैलरी आती है और न ही कहीं और से उनके पैसे आने वाले थे।
शाहजहांपुर। यूपी के शाहजहांपुर में एक कांस्टेबल ने ईमानदारी की मिसाल पेश कर यूपी पुलिस की शान बढ़ा दी है। सिपाही के बैंक खाते में गलती से आए हजारों रुपए उस शख्स को बुलाकर वापस कर दिए, जिसने गलती से गलत बैंक खाते में हजारों डलवा दिए थे। हाजरों रुपए वापस करने के बाद जब ये बात थाने से बाहर निकलकर लोगों के बीच पहुंची तो ये सिपाही चर्चा का विषय बन गया। वहीं सिपाही का कहना है कि गलत तरह से आए पैसे को वो नहीं रखना चाहता। हमसे ज्यादा जरूरत उस शख्स को होगी जिसने गलती से मेरे खाते में पैसे डलवा दिए थे।
हम बात कर रहे हैं यूपी के शाहजहांपुर के मीरानपुर कटरा थाने में तैनात कांस्टेबल नौशाद अली की। नौशाद अली कटरा थाने में तैनात है। सिपाही नौशाद अली ने बताया कि बीते शुक्रवार को उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया था। जब उन्होंने उस मैसेज को पढ़ा तो उनके होश उड़ गए थे। क्योंकि उस मैसेज के जरिए पता चला कि उनके बैंक खाते में 37,500 रुपए आएं हैं। कांस्टेबल नौशाद अली बैंक एकाउंट में आए हजारों रुपए से परेशान हो गए थे क्योंकि इस तारीख पर न तो उनकी सैलरी आती है और न ही कहीं और से उनके पैसे आने वाले थे।
उसके बाद नौशाद अली तुरंत बैंक पहुंचे और वहां से अपनी अकाउंट की डिटेल निकलवाई तो पता चला कि हरिद्वार में रहने वाले शख्स ने गलती से उनके अकाउंट में रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं। उसके बाद कांस्टेबल नौशाद अली ने ईमानदारी का परिचय देते हुए हरिद्वार में रहने वाले उस शख्स से बात करने की कोशिश की तो पता चला कि हरिद्वार के मोहल्ला किला मंगलौर निवासी मोहम्मद अजीम ने गलती से गलत एकाउंट नंबर लिख दिया था। जिससे पैसा कांस्टेबल के अकाउंट में आ गया। नौशाद अली को ये साफ हो गया है कि उनके खाते में मोहम्मद अजीम ने गलती से पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं तो उसके बाद नौशाद अली ने इंसानियत और ईमानदारी को कायम रखते हुए देर न कर मोहम्मद अजीम के खाते में 37,500 रुपए ट्रांसफर कर दिए। मोहम्मद अजीम के खाते में जब पैसे ट्रांसफर हो गए तो अजीम ने कांस्टेबल का शुक्रिया अदा किया।
कांस्टेबल नौशाद अली ने 27 जनवरी 2015 को यूपी पुलिस में जवाइनिंग की थी। नौशाद अली अमरोहा के रहरा रोड के पास रहते हैं। नौशाद अली के पिता राहत अली फर्नीचर बनाने का काम करते हैं। नौशाद अली के 6 भाई और एक बहन है। बड़े भाई पालिटिक्स में हैं, बहन की शादी कर दी गई है। नौशाद अली ने बताया कि उसका बचपन बहुत गरीबी में गुजरा है। उसके पिता साइकिल पर लकड़ी का सामान रखकर बेचते थे। उसके बाद उसके भाई और नौशाद ने खुद इमानदारी से मेहनत की और अमरोहा में फर्नीचर का शोरूम खोल लिया है। बड़े भाई बीएसपी के नगर अध्यक्ष है, नौशाद का कहना है कि उनके पिता ने हमेशा इमानदारी की राह पर चलना सिखाया है और अपने से कमजोर की मदद करना सिखाया है। उनका कहना है कि अगर उनके अकाउंट में लाखों रुपए भी आ जाते तो वो उसे वापस कर देते। क्योंकि उन्हें पता है कि पैसा कमाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
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